नई दिल्ली: अमेरिका से निकाले जा रहे अवैध भारतीयों के मुद्दे पर घमासान मचा हुआ है। विपक्ष लगातार केंद्र पर हमलावर है। अब इस मुद्दे पर केंद्र सरकार एक बड़ा कदम उठा सकती है। दरअसल केंद्र सरकार “विदेशी रोजगार के लिए सुरक्षित, सुव्यवस्थित और नियमित प्रवासन” को बढ़ावा देने के लिए एक नए कानून को लाने पर “गंभीरता से विचार” कर रही है।
यह कदम ऐसे समय में उठाया जा सकता है जब एक अमेरिकी सैन्य विमान बुधवार को 104 अवैध भारतीय प्रवासियों को लेकर अमृतसर पहुंचा। अवैध प्रवासियों के खिलाफ कार्रवाई के तहत डोनाल्ड ट्रंप सरकार द्वारा निर्वासित भारतीयों का यह पहला जत्था है। निर्वासित लोगों ने दावा किया कि पूरी यात्रा के दौरान उनके हाथ-पैरों में हथकड़ी लगी रही और अमृतसर हवाई अड्डे पर उतरने के बाद ही उन्हें खोला गया।
‘ओवरसीज मोबिलिटी (सुविधा और कल्याण) विधेयक 2024’ पर विचार
लोकसभा में सोमवार को कांग्रेस सांसद शशि थरूर की अध्यक्षता वाली संसदीय स्थायी समिति (विदेश मामलों) द्वारा प्रस्तुत एक रिपोर्ट में ‘ओवरसीज मोबिलिटी (सुविधा और कल्याण) विधेयक, 2024’ का प्रस्ताव रखा गया। इस विधेयक का उद्देश्य विदेशों में रोजगार के लिए जाने वाले भारतीय नागरिकों के प्रवासन को सुरक्षित और संगठित बनाना है। यह विधेयक, संसदीय स्थायी समिति ऑन एक्सटर्नल अफेयर्स की रिपोर्ट में सामने आया था। इस समिति के अध्यक्ष कांग्रेस सांसद शशि थरूर हैं।
थरूर की अध्यक्षता वाली इस समिति की रिपोर्ट में कहा गया है, “वैश्विक प्रवासन की बदलती प्रवृत्तियों और भारतीय नागरिकों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए, समिति ने बार-बार 1983 के प्रवासन अधिनियम में व्यापक सुधार की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया है। लंबे विलंब के बाद, मंत्रालय अब गंभीरता से एक नए कानून को लागू करने पर विचार कर रहा है, जिसे अस्थायी रूप से ‘ओवरसीज मोबिलिटी (सुविधा और कल्याण) विधेयक, 2024’ नाम दिया गया है।”
रिपोर्ट में आगे कहा गया है, “मंत्रालय ने समिति को सूचित किया है कि प्रस्तावित मसौदा वर्तमान में संबंधित मंत्रालयों के साथ विचार-विमर्श के चरण में है और जल्द ही इसे सार्वजनिक प्रतिक्रिया के लिए उपलब्ध कराया जाएगा। समिति इस विधेयक के प्रमुख पहलुओं पर परामर्श की आवश्यकता पर जोर देती है और आग्रह करती है कि प्रवासन अधिनियम में संशोधन, जो वैश्विक प्रवासन की बदलती वास्तविकताओं को दर्शाता है, एक वर्ष के भीतर पूरा किया जाए।”
अमेरिका से निर्वासित भारतीय प्रवासियों का आंकड़ा
अमेरिका में अवैध प्रवास के खिलाफ सख्त अभियान के तहत 104 भारतीय नागरिकों को वापस भेजा गया है। इनमें हरियाणा और गुजरात से 33, पंजाब से 30, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश से तीन-तीन, और चंडीगढ़ से दो लोग शामिल थे। इसके अलावा, 19 महिलाएं और 13 नाबालिग भी इस समूह में थे, जिनमें एक चार साल का लड़का और दो लड़कियां (पांच और सात साल की) शामिल थीं।
शशि थरूर ने अमेरिका के रवैये की निंदा की
शशि थरूर ने कहा कि अवैध प्रवासियों को वापस भेजने की प्रक्रिया सामान्य है, लेकिन अमेरिकी अधिकारियों की ओर से भारतीय नागरिकों के साथ किए गए व्यवहार की आलोचना की। उन्होंने कहा, “यह पहली बार नहीं है जब लोगों को निर्वासित किया गया है। पिछले साल, बाइडेन प्रशासन के तहत 1,100 से अधिक भारतीयों को वापस भेजा गया था। लेकिन इस मामले ने ध्यान खींचा क्योंकि इसे ज्यादा आक्रामक तरीके से किया गया।”
विदेश मंत्री एस जयशंकर का बयान
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संसद में कहा, “सरकार सभी विदेशी देशों में भारतीय छात्रों की संख्या पर करीबी नजर रखती है और उनके कल्याण की निगरानी करती है। जैसे हमने यूक्रेन संकट के दौरान किया था, वैसे ही जरूरत पड़ने पर हम आपातकालीन उड़ानें चलाने के लिए तैयार रहते हैं। हमारे पास ऐसी स्थितियों के लिए आकस्मिक योजनाएं हैं।”
अमेरिका में कड़ी होती आव्रजन नीतियां
हाल के वर्षों में अमेरिका ने अवैध प्रवास के खिलाफ सख्ती बढ़ा दी है, जिससे भारतीय प्रवासियों की हिरासत और निर्वासन की घटनाएं बढ़ी हैं। हालांकि कानूनी प्रवास के रास्ते अभी भी खुले हैं, लेकिन कई भारतीय जोखिम भरे रास्तों से—जैसे मेक्सिको और मध्य अमेरिका के जरिए—अमेरिका में प्रवेश करने की कोशिश कर रहे हैं, जिससे वे अवैध प्रवासी बन जाते हैं।
क्या बदलेगी केंद्र सरकार की नीति?
सरकार इस मुद्दे पर कड़े कदम उठाने की तैयारी कर रही है। प्रस्तावित विधेयक के तहत प्रवासियों के लिए एक संगठित नीति बनाई जाएगी ताकि विदेशों में रोजगार की तलाश में जाने वाले भारतीयों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।