नई दिल्ली l रूस और यूक्रेन के बीच पिछले एक महीने से चल रही जंग में भारत अपनी तटस्थ नीति के चलते दुनिया का पावर सेंटर बनता जा रहा है. अभी चीन के विदेश मंत्री अचानक भारत दौरा करके गए हैं. अब रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के भारत आने की खबर आई है.
भारत आ सकते हैं रूसी विदेश मंत्री
हालांकि अभी रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ) का भारत दौरा तय नहीं हुआ है. लेकिन माना जा रहा है कि वे अगले कुछ दिनों में बिना कोई पूर्व ऐलान किए चीनी विदेश मंत्री की तरह भारत आ सकते हैं. सूत्रों के मुताबिक रूसी विदेश मंत्री के इस दौरे में आर्थिक संकट में फंसी रूसी अर्थव्यवस्था को बाहर निकालने पर चर्चा की जाएगी. इसमें दोनों देशों के बीच रुपये-रूबल में व्यापार शुरू करना भी शामिल है.
रूस के लिए संकटमोचक बना भारत
भारत और रूस (India Russia) के विदेश मंत्रियों ने इससे पहले 24 फरवरी को एक-दूसरे से बात की थी. इसके बाद यूक्रेन के खिलाफ जंग शुरू होने पर रूस ने मदद के लिए कई बार भारत से संपर्क साधा और भारत हर बार उसके लिए संकटमोचक बनकर सामने आया. पिछले हफ्ते रूस के उप विदेश मंत्री आंद्रेई रुडेंको ने रूस में भारतीय राजदूत पवन कपूर से मुलाकात कर यूक्रेन की स्थिति के बारे में जानकारी दी थी. ध्यान देने वाली बात ये है कि रुडेंको उस रूसी प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा हैं, जो जंग को खत्म करने के लिए यूक्रेन के साथ बातचीत में शामिल है.
अप्रैल में दोनों देशों में होगी मंत्रियों की वार्ता
इस साल के अंत में पीएम मोदी के वार्षिक भारत- रूस (India Russia) शिखर सम्मेलन के लिए रूस की यात्रा करने की उम्मीद है. रूसी (Russia) राष्ट्रपति पुतिन ने वार्षिक शिखर सम्मेलन के लिए पिछले 6 दिसंबर को दिल्ली की यात्रा की थी. वहीं विदेश और रक्षा मंत्रियों की दूसरी 2+2 की बैठक भी अप्रैल के दूसरे सप्ताह में रूस में होगी, जिसके लिए भारतीय विदेश मंत्री और रक्षा मंत्री देश की यात्रा करेंगे.
यूक्रेन मामले में भारत ने ले रखा स्पष्ट स्टैंड
यूक्रेन के खिलाफ जंग में भारत के संतुलित रुख से रूस मुरीद हो गया है. अपने पुराने दोस्त रूस (Russia) का कर्ज उतारने के लिए भारत उसके लिए संयुक्त राष्ट्र में लगातार तारणहार बना हुआ है. उसने रूस के खिलाफ UNSC में पेश हुए प्रस्तावों पर लगातार अनुपस्थिति दर्शाई है. जिससे रूस के खिलाफ कोई भी प्रस्ताव पास नहीं हो सका है. भारत ने रूस-यूक्रेन जंग में स्पष्ट स्टैंड ले रखा है कि इस मसले के समाधान के लिए दोनों देशों को आपस में बातचीत करनी चाहिए और किसी एक पक्ष पर पाबंदियां लगाने से कोई फायदा नहीं होगा.