पेरिस: फ्रांसीसी विमानन कंपनी डसॉल्ट एविएशन भारत के मिराज 2000 और राफेल लड़ाकू विमानों के रखरखाव, मरम्मत और ओवरहाल (एमआरओ) सुविधा के लिए जेवर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के पास भूमि अधिग्रहण करने की प्रक्रिया में है। इस मामले से परिचित दो लोगों के अनुसार, इससे देश में राफेल लड़ाकू विमानों के नवीनतम संस्करणों के स्थानीय निर्माण के लिए एक प्लेटफॉर्म तैयार होगा, ताकि भारतीय वायु सेना की लंबे समय से लंबित लगभग 100 ट्विन-इंजन मल्टी-रोल लड़ाकू विमानों की आवश्यकता को पूरा किया जा सके। इसके लिए फ्रांसीसी सरकार से आवश्यक मंजूरी मिल चुकी है।
फ्रांसीसी सरकार ने पहले ही दे दी है मंजूरी
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, फ्रांस में जारी राजनीतिक उथल-पुथल के बावजूद इमैनुएल मैक्रों सरकार और डसॉल्ट ने भारतीय वायुसेना की मांग को पूरा करने के लिए स्थानीय रूप से सोर्स किए गए घटकों के साथ मेक इन इंडिया को बढ़ावा देने का ऐलान किया है। इसके लिए डसॉल्ट एविएशन ने भारत में राफेल लड़ाकू विमानों का निर्माण करने के लिए लिखित रूप से पेशकश की है।
राफेल का इंजन भी भारत में बनाने की तैयारी
यह तब हुआ है जब इंजन निर्माता सफ्रान एसए हैदराबाद में राफेल लड़ाकू इंजनों के मेंटीनेंस के लिए एक एमआरओ सुविधा स्थापित कर रहा है। यह स्थान कंपनी की नागरिक विमानों के लिए LEAP इंजन फैसिलिटी के बगल में है, जो 2025 तक तैयार हो जाएगा। लोगों ने कहा कि सफ्रान ने यह संदेश दिया है कि यदि भारतीय वायुसेना के लिए राफेल का ऑर्डर है, तो वह भारत में M-88 इंजन का निर्माण करने के लिए तैयार है। यह देखते हुए कि एचएएल का एलसीए मार्क II जीई-414 इंजन के साथ अगले दशक के मध्य से पहले तैयार नहीं होगा। ऐसे में राफेल लड़ाकू विमान न केवल भारत की आवश्यकता को पूरा करेगा, बल्कि भारत को तीसरे देशों को भी उन्हीं लड़ाकू विमानों का निर्यात करने की अनुमति देगा।