नई दिल्ली: जैसे को तैसा वाली रणनीति के तहत भारत की ओर से चीन को जवाब देने की पूरी तैयारी है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली नव निर्वाचित एनडीए सरकार ने तिब्बत में 30 स्थानों के नाम बदलने को मंजूरी दे दी है। इस फैसले को भारतीय राज्य अरुणाचल प्रदेश में चीन की नामकरण नीति का जवाब माना जा रहा है। यह कदम चीन द्वारा अप्रैल में अरुणाचल प्रदेश में 30 स्थानों के नाम बदलने के जवाब में उठाया गया है, जिस पर भारत ने कड़ी आपत्ति जताई थी। मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल में भारत का लक्ष्य तिब्बत में स्थित स्थानों को अपने नाम देकर अपने क्षेत्रीय दावों को पुख्ता करना है।
रिपोर्ट के मुताबिक तिब्बत के 30 स्थानों के नाम बदलने की मंजूरी भारत सरकार ने दे दी है। सूची में 11 आवासीय क्षेत्र, 12 पहाड़, चार नदिया, एक झील, एक पहाड़ी दर्रा और एक जमीन का टुकड़ा शामिल है। ये नाम तिब्बत क्षेत्र के आधार पर ही रखे जाएंगे। खबर है कि इंडियन आर्मी इन नामों को जारी करेगी और एलएसी के मैप इन नामों को अपडेट कर दिया जाएगा। 5 मई, 2020 को पैंगोंग इलाके में हिंसक झड़प के बाद पूर्वी लद्दाख सीमा पर गतिरोध शुरू होने के बाद से दोनों पड़ोसियों के बीच व्यापार को छोड़कर संबंधों में गिरावट आई है। गतिरोध को हल करने के लिए दोनों पक्षों ने अब तक 21 दौर की सैन्य वार्ता की है।
चीन के बार-बार के दावों के बावजूद, भारत ने लगातार अरुणाचल प्रदेश को देश का अभिन्न अंग और अविभाज्य बताया है। विदेश मंत्रालय ने कहा है कि ‘मनगढ़ंत’ नाम रखने से यह वास्तविकता नहीं बदल जाती। भारत की ओर से यह कड़ी प्रतिक्रिया ऐसे समय में आई है जब दक्षिण चीन सागर जैसे क्षेत्रों में चीन की विस्तारवादी नीतियों को वैश्विक अस्वीकृति मिली है।
जयशंकर ने पदभार ग्रहण करने के बाद कहा जहां तक पाकिस्तान और चीन का सवाल है, उन देशों के साथ हमारे संबंध अलग हैं और वहां की समस्याएं भी अलग हैं। चीन के मामले में हमारा ध्यान सीमा मुद्दों का समाधान खोजने पर होगा और पाकिस्तान के साथ हम वर्षों पुराने सीमा पार आतंकवाद के मुद्दे का समाधान खोजना चाहेंगे।