नई दिल्ली : प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने सोमवार (18 मार्च) को कहा कि चीन का उदय और इस देश से सटी अस्थिर सीमाएं निकट भविष्य में भारत और उसके सशस्त्र बलों के लिए सबसे बड़ी चुनौती बनी रहेगी. जिसका भारत और भारतीय सशस्त्र बल निकट भविष्य में सामना करेंगे.
पुणे में चीन के उदय और दुनिया पर इसके प्रभाव के विषय पर रणनीतिक और सुरक्षा परिचर्चा को संबोधित करते हुए जनरल चौहान ने विवादित सीमाओं से संबंधित सभी टकराव बिंदुओं पर चीनी सेना के साथ दक्षतापूर्वक निपटने की आवश्यकता पर जोर दिया. जनरल चौहान ने कहा कि भारत का पड़ोसियों के साथ सीमाओं पर विवाद है और इन संघर्षों के कारण वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) और नियंत्रण रेखा (एलओसी) जैसे शब्द सामने आए हैं.
‘नक्शे में छेड़छाड़ की प्रवृत्ति जारी रहेगी’
सीडीएस ने कहा, ‘‘चीन से सटी अस्थिर सीमाएं और चीन का उदय निकट भविष्य में भारत और भारतीय सशस्त्र बलों के लिए सबसे बड़ी चुनौती बनी रहेगी.’’ जनरल चौहान ने कहा कि सभी विवादित सीमाओं की तरह, विरोधी की ओर से नए तथ्य, टॉपोनिमी (जगह के नामों का अध्ययन), नक्शे में छेड़छाड़ या एक नया विमर्श बनाने की प्रवृत्ति बरकरार रहेगी. उन्होंने कहा, ‘‘इसका फिर से हम सभी को सभी स्तरों पर सामूहिक रूप से मुकाबला करना होगा, जिसमें शिक्षाविद, विचारक और रणनीतिकार शामिल हैं.’’
उन्होंने कहा कि सशस्त्र बलों को विवादित सीमाओं पर शांतिकाल के दौरान भारत के दावों की वैधता बनाए रखने की जरूरत है और इस बात पर जोर दिया कि सभी बिंदुओं पर चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) से चतुराई से निपटने की जरूरत है.
‘चीन का उदय बाकी देशों को प्रभावित करता है’
सीडीएस ने आगे कहा कि चीन का उदय अन्य देशों को भी प्रभावित करता है और हमें इस तथ्य से अवगत रहते हुए समान विचारधारा वाले देशों को समान संतुलन के लिए देखना चाहिए क्योंकि एक लोकप्रिय मुहावरा कहता है कि किसी को अपनी लड़ाई लड़ने के लिए तैयार रहना चाहिए.