नई दिल्ली: दुनिया में अशांति है। रूस और यूक्रेन के बीच जंग जारी है। इजरायल और हमास में छिड़ी जंग दूसरे देशों को भी अपनी जद में ले रही है। इसने अंतरराष्ट्रीय कारोबार को अंधी गलियों में धकेल दिया है। भारत इन चक्करों से दूर है। अब तक उसने किसी एक खेमे में शामिल होने से दूरी बनाई है। उसका टारगेट बड़ा साफ है। तीन साल के अंदर दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यस्था बन जाना। क्षेत्र में उसका सबसे बड़ा और कट्टर प्रतिद्वंद्वी सिर्फ एक है। वो है चीन। ड्रैगन बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव (बीआरआई) के जरिये पूरी दुनिया में अपना माल पाट देने की जुगाड़ में है। यह उसकी सबसे बड़ी प्राथमिकताओं में से एक है। चीन की इस महात्वाकांक्षी योजना में भारत हिस्सा नहीं है। कारण है पाकिस्तान। यह कॉरिडोर चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) को शामिल करता है जो पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से होकर गुजरता है। भारत इसे अपनी संप्रभुता का उल्लंघन मानता है। अलबत्ता, भारत बीआरआई का जवाब आईएमईसी से देने की तैयारी में है। इंडिया-मिडिल ईस्ट- यूरोप इकनॉमिक कॉरिडोर (IMEC) को लेकर सरकार का बड़ा प्लान है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अंतरिम बजट में इसका जिक्र भी किया है।
सीतारमण ने IMEC को बताया है गेम चेंजर
मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का अंतिम बजट पेश करते हुए सीतारमण ने आईएमईसी को भारत के लिए गेम चेंजर बताया है। उन्होंने कहा है कि इससे आर्थिक गतिविधियों को बड़ा प्रोत्साहन मिलेगा। सरकार इस पर फोकस बनाए हुए है। इसके जरिये भारत को सड़कों के नेटवर्क से पश्चिम एशिया और यूरोप को जोड़ने का प्लान है। वित्त मंत्री ने यह बात ऐसे समय कही है जब लाल सागर के जरिये एशिया और यूरोप के बीच समुद्री कॉरिडोर में हूती विद्रोहियों के हमलों से व्यवधान पड़ा है। इसने केप ऑफ गुड होप के रास्ते मालवाहक जहाजों को ज्यादा लंबा रूट लेने पर मजबूर किया है। इसने यूरोप को होने वाले भारतीय निर्यात को महंगा बनाया है।
भारत, मध्य पूर्व और यूरोप को जोड़ने वाले इंडिया-मिडिल ईस्ट-यूरोप कॉरिडोर (IMEC) की प्लानिंग 2023 में जी20 शिखर सम्मेलन में शुरू हुई थी। यह भारत को यूरोप और मिडिल ईस्ट के बाजारों तक बेहतर पहुंच प्रदान करेगा। आईएमईसी में 13 देश शामिल हैं। इनमें भारत, संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, इजरायल, फ्रांस, इटली, जर्मनी, नीदरलैंड, बेल्जियम, ऑस्ट्रिया, चेक गणराज्य, स्लोवाकिया और हंगरी हैं।
IMEC है चीन के BRI को जवाब
IMEC को चीन के बीआरआई का जवाब मना जाता है। हालांकि, इजरायल और हमास में छिड़ी जंग के बीच अभी इसके अमलीजामा पहनने में अड़चनें हैं। इजयराल और जॉर्डन को इस गलियारे में अहम भूमिका निभानी हैं। लेकिन, जंग के बीच दोनों ही एक-दूसरे के सामने खड़े हैं। सीतामरण ने भी इस चुनौती का जिक्र किया है। उन्होंने कहा है कि युद्धों और संघर्षों के कारण दुनिया तेजी से बदल गई है। इसके कारण सप्लाई चेन में बाधाएं आने लगी हैं। इसने दुनिया के सामने चुनौती खड़ी कर रखी है। IMEC को सीतारमण ने भारत और दूसरे देशों के लिए गेम चेंजर बताया।
अभी भारतीय कंपनियां स्वेज नहर के जरिये लाल सागर का इस्तेमाल करती हैं। इसी रूट से भारतीय माल यूरोप, उत्तरी अमेरिका, उत्तरी अफ्रीका और पश्चिम एशिया के कई हिस्सों में पहुंचता है।
आईएमईसी से क्या होगा फायदा?
- व्यापार और निवेश को बढ़ावा
- क्षेत्रीय एकीकरण को मजबूती
- बुनियादी ढांचे का विकास
- रोजगार के मौके
- लोगों के बीच संपर्क को बढ़ावा
आईएमईसी भारत के लिए क्यों महत्वपूर्ण?
- भारत को यूरोप और मध्य पूर्व के बाजारों तक बेहतर पहुंच प्रदान करता है।
- ऊर्जा और अन्य संसाधनों की सुरक्षित आपूर्ति में मदद करता है।
- भारत को ग्लोबल वैल्यू चेन में एकीकृत करने में सहायक है।
चीन का BRI क्या है?
चीन के बीआरआई को ‘बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव’ (BRI) के नाम से भी जाना जाता है। यह एक बड़ा प्रोजेक्ट है। इसकी शुरुआत 2013 में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने की थी। इसका मकसद एशिया, अफ्रीका और यूरोप को जमीनी और समुद्री नेटवर्क से जोड़कर व्यापार और आर्थिक विकास को बढ़ावा देना है। भारत बीआरआई का हिस्सा नहीं है। कारण है कि यह चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) को शामिल करता है। यह पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) से होकर गुजरता है। भारत इसे अपनी संप्रभुता का उल्लंघन मानता है।