नई दिल्ली: करीब 72 हज़ार करोड़ रुपये के इस प्रोजेक्ट पर ग्रेट निकोबार आइलैंड में काम शुरु हो रहा है. ये अंडमान-निकोबार द्वीप श्रृंखला का आखिरी आइलैंड है..यहीं पर भारत का सबसे दक्षिणी हिस्सा इंदिरा प्वाइंट भी मौजूद है. चेन्नई से ये आइलैंड करीब 1600 Km की दूरी पर है..जबकि इंडोनेशिया की सीमा से ग्रेट निकोबार सिर्फ 170Km की दूरी पर मौजूद है.
क्या है ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट?
ग्रेट निकोबार में बंदरगाह, इंटरनेशनल एयरपोर्ट, स्मार्ट सिटी और बिजली के प्रोजेक्ट लगाये जाएंगे. यहां से बंगाल की खाड़ी और हिंद महासागर की निगरानी करना आसान होगा. कुल मिलाकर यहां पर कंटेनर शिपमेंट टर्मिनल के साथ टूरिज्म के लिये सुविधाएं बढ़ाई जाएंगी..रणनीतिक रूप से भी ये इलाका महत्वपूर्ण है और इस द्वीप से भारत सीधे चीन को चुनौती दे रहा है.
जिनपिंग को भारत देगा ‘हॉन्ग-कॉन्ग’ चैलेंज!
अंडमान आइलैंड दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण समुद्री रास्ते पर मौजूद है..जहां से सैंकड़ों-हज़ारों समुद्री जहाज सामान लेकर दुनिया के अलग-अलग इलाकों तक जाते हैं. ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट की मदद से इसी लोकेशन पर बंदरगाह बनाकर फायदा उठाने की कोशिश होगी. सबसे पहले यहां पर बंदरगाह बनाने की वजह समझिए.
होता है दुनिया का 35 फीसदी व्यापार
ग्रेट निकोबार आइलैंड जिस इंटरनेशनल शिपिंग रूट पर मौजूद है वहां से दुनिया का 35 फीसदी व्यापार होता है. यहां पर पानी लगभग 20 मीटर गहरा है यानी ये एक नेचुरल पोर्ट होगा. बड़े जहाज भी यहां पर आसानी से आ पाएंगे. ग्रेट निकोबार आइलैंड कोलंबो, मलेशिया और सिंगापुर से समान दूरी पर मौजूद है.यानी यहां बिजनेस की कमी नहीं होगी.
यहां Container Transhipment Port बनेगा..ये ऐसे पोर्ट हैं जहां कस्टम चेकिंग या ड्यूटी की जरूरत नहीं होती है. जिन्हें तेज रफ्तार शिपमेंट में बाधा माना जाता है. इसकी तुलना हॉन्ग कॉन्ग से इसलिये की जा रही है क्योंकि अभी जो प्लान ग्रेट निकोबार के लिये बना है. ऐसे ही प्लान के तहत दशकों पहले हॉन्गकॉन्ग का विकास हुआ था.
भारत को मिलेगी रणनीतिक बढ़त
ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट के जरिए भारत को इस इलाके में रणनीतिक बढ़त मिलेगी. इस पोर्ट की मदद से भारतीय नौसेना के युद्धपोत, फाइटर जेट्स और मिसाइलों की तैनाती होगी..साथ ही इस इलाके से ही भारत पूरे हिंद महासागर पर नजर रख पाएगा. इस पोर्ट के शुरु होने से जो कार्गो शिप पहले दूसरे देशों में जाते थे वो भारत में आएंगे यानी भारत सरकार की विदेश मुद्रा बचेगी. आगे चलकर देश के दूसरे बंदरगाहों पर ट्रैफिक बढ़ेगा और विदेशी निवेश आएगा.
2028 तक इस प्रोजेक्ट का पहला फेज शुरु होगा और इसकी तुलना हॉन्ग कॉन्ग से इसलिये की जा रही है क्योंकि अभी जो प्लान ग्रेट निकोबार के लिये बना है..ऐसे ही प्लान के तहत दशकों पहले हॉन्गकॉन्ग का विकास हुआ था. देश के लिए महत्वपूर्ण इस रणनीतिक प्रोजेक्ट का कांग्रेस विरोध कर रही है. हाल में ही जनजातीय मामलों के मंत्री जोएल ओरांव ने इस प्रोजेक्ट की समीक्षा की बात की. इसके बाद कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट को रद्द करने की मांग की है.
जयराम रमेश ने ट्वीट करके कहा कि ग्रेटर निकोबार द्वीप समूह पर 72 हजार करोड़ रुपये का प्रोजेक्ट पारिस्थितिक और मानवीय आपदा के लिए एक आदर्श प्रयोग है. इससे पहले सरकार ने 2023 में बताया था कि इस प्रोजेक्ट के लिये 9 लाख से अधिक पेड़ों को काटा जाएगा और इसके बदले में 10 लाख पेड़ हरियाणा में लगाये जाएंगे.
चीन पर फुल स्टॉप लगाए भारत!
प्रोजेक्ट की वजह से अंडमान-निकोबार क्षेत्र में रहने वाले आदिवासियों के हितों और विस्थापन को लेकर भी सवाल उठाये गये थे. हालांकि बंगाल की खाड़ी ऐसा इलाका है जहां चीन अपना वर्चस्व बढ़ाने की कोशिश में है और ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट की मदद से भारत के लिये चीन पर फुल स्टॉप लगाना आसान होगा.