Wednesday, May 14, 2025
नेशनल फ्रंटियर, आवाज राष्ट्रहित की
  • होम
  • मुख्य खबर
  • समाचार
    • राष्ट्रीय
    • अंतरराष्ट्रीय
    • विंध्यप्रदेश
    • व्यापार
    • अपराध संसार
  • उत्तराखंड
    • गढ़वाल
    • कुमायूं
    • देहरादून
    • हरिद्वार
  • धर्म दर्शन
    • राशिफल
    • शुभ मुहूर्त
    • वास्तु शास्त्र
    • ग्रह नक्षत्र
  • कुंभ
  • सुनहरा संसार
  • खेल
  • साहित्य
    • कला संस्कृति
  • टेक वर्ल्ड
  • करियर
    • नई मंजिले
  • घर संसार
  • होम
  • मुख्य खबर
  • समाचार
    • राष्ट्रीय
    • अंतरराष्ट्रीय
    • विंध्यप्रदेश
    • व्यापार
    • अपराध संसार
  • उत्तराखंड
    • गढ़वाल
    • कुमायूं
    • देहरादून
    • हरिद्वार
  • धर्म दर्शन
    • राशिफल
    • शुभ मुहूर्त
    • वास्तु शास्त्र
    • ग्रह नक्षत्र
  • कुंभ
  • सुनहरा संसार
  • खेल
  • साहित्य
    • कला संस्कृति
  • टेक वर्ल्ड
  • करियर
    • नई मंजिले
  • घर संसार
No Result
View All Result
नेशनल फ्रंटियर
Home मुख्य खबर

औद्योगिक जगत उत्पादन क्षमता बढ़ाने पर दे रहा है जोर

Jitendra Kumar by Jitendra Kumar
14/01/22
in मुख्य खबर, राष्ट्रीय, व्यापार
औद्योगिक जगत उत्पादन क्षमता बढ़ाने पर दे रहा है जोर

google image

Share on FacebookShare on WhatsappShare on Twitter

प्रहलाद सबनानीप्रहलाद सबनानी
सेवा निवृत्त उप महाप्रबंधक
भारतीय स्टेट बैंक


भारतीय स्टेट बैंक द्वारा हाल ही में सम्पन्न किए गए एक सर्वे में यह तथ्य स्पष्ट तौर पर उभरकर सामने आया है कि देश में लगभग समस्त उद्योग क्षेत्र अब अपनी उत्पादन क्षमता को बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं क्योंकि ये उद्योग अपनी उत्पादन क्षमता का 70 प्रतिशत से अधिक औसत उपयोग कर रहे हैं। जबकि टेक्स्टायल, पेट्रोकेमिकल एवं बिल्डिंग मटेरियल उद्योग अपनी लगभग पूरी उत्पादन क्षमता का उपयोग करने की स्थिति में पहुंच गया है। भारतीय स्टेट बैंक द्वारा हाल ही में सम्पन्न किए गए उक्त सर्वे में 70 प्रतिशत उद्योगपतियों (टेक्स्टायल, फूड प्रॉसेसिंग, केमिकल, पावर, आदि क्षेत्रों से) ने बताया है कि देश में आर्थिक गतिविधियों के वातावरण में तेजी से सुधार हो रहा है अतः वे आने वाले दो से तीन वर्षों के दौरान अपनी उत्पादन क्षमता का विस्तार करने के बारे में गम्भीरता से विचार कर रहे हैं एवं इस सम्बंध में उनके द्वारा योजनाएं बनाई जा रही हैं।

हाल ही के समय में समस्त अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों की ऋणराशि में हो रही तेज वृद्धि से भी उक्त सर्वे के परिणामों को बल मिल रहा है। पिछले लगभग दो वर्षों के दौरान कोरोना महामारी के काल में, मार्च 2020 के बाद से, भारतीय बैंकों द्वारा प्रदान की जा रही ऋणराशि में वृद्धि दर बहुत ही कम हो गई थी। परंतु, अब 17 दिसम्बर 2021 को समाप्त अवधि में, समस्त अनुसूचित वाणिज्यिक बैकों द्वारा प्रदान की गई ऋणराशि में 7.3 प्रतिशत की आकर्षक वृद्धि दर दर्ज की गई है। यह कोरोना महामारी के पूर्व के काल में दिसम्बर 2019 को समाप्त अवधि के 7.5 प्रतिशत की वृद्धि दर से कुछ ही कम है। इसके ठीक विपरीत बैंकों की जमाराशि में वृद्धि दर जो मार्च 2021 में 12.3 प्रतिशत थी वह दिसम्बर 2021 में घटकर 9.5 प्रतिशत हो गई है। ऋणराशि में हो रही तेज वृद्धि के चलते इन बैंकों का ऋण:जमा अनुपात भी 17 दिसम्बर 2021 को बढ़कर 71.3 प्रतिशत हो गया है जो 13 अगस्त 2021 को 69.9 प्रतिशत था।

सबसे महत्वपूर्ण तथ्य यह उभरकर आया है कि 24 सितम्बर 2021 से 17 दिसम्बर 2021 के बीच की अवधि में वार्धिक ऋण:जमा अनुपात बढ़कर 133 के स्तर पर पहुंच गया है जो कि वित्तीय वर्ष 2021-22 की प्रथम अर्धवार्षिक अवधि के दौरान केवल 2 के स्तर पर ही रहा था। इस अवधि के दौरान बैकों द्वारा प्रदत्त की गई ऋणराशि में 3.5 लाख करोड़ रुपए की वृद्धि दृष्टिगोचर हुई है। यह भी हर्ष का विषय है कि अर्थव्यवस्था के लगभग सभी क्षेत्रों में ऋणराशि की मांग बढ़ी है। इसका आश्य यह है कि इन समस्त क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियां तेजी से बढ़ रही हैं। विशेष रूप से टेलिकॉम, पेट्रोलीयम, केमिकल, इलेक्ट्रॉनिक्स, जेम्स एवं ज्वेलरी एवं पावर एवं रोड सहित इनफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्रों में बड़ी राशि के ऋणों का वितरण किया गया है।

केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में लागू की गई कई नई योजनाओं यथा, उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना, राष्ट्रीय मौद्रीकरण योजना एवं निर्यात हेतु प्रोत्साहन योजना आदि एवं हाल ही के समय में लिए गए कई अन्य आर्थिक निर्णयों के कारण ऋणराशि में उक्त वर्णित आकर्षक वृद्धि दर अर्जित की जा सकी है।

विशेष रूप से कोरोना महामारी काल के दौरान, आर्थिक गतिविधियों को गति देने के उद्देश्य से, अभी तक केंद्र सरकार द्वारा ही पूंजीगत निवेश किया जा रहा था एवं निजी क्षेत्र से पूंजी निवेश लगभग नहीं के बराबर ही रहा है। परंतु, अब परिस्थितियां बहुत तेजी से बदल रही हैं एवं अब निजी क्षेत्र द्वारा भी पूंजीगत निवेश को बढ़ाया जा रहा है। पिछले दो वर्षों के दौरान जहां भारत में 10 लाख करोड़ रुपए के निवेश किए जाने की घोषणा की जाती रही है वहीं  वित्तीय वर्ष 2021-22 के प्रथम 9 माह (अप्रेल-दिसम्बर 2021) के दौरान 12.79 लाख करोड़ रुपए के नए निवेश किए जाने की घोषणा की जा चुकी है।

ऐसी सम्भावना व्यक्त की जा रही है कि पूरे वित्तीय वर्ष 2021-22 के दौरान नए निवेश सम्बंधी 15 लाख करोड़ रुपए की घोषणाएं हो जाएंगी एवं यह राशि पिछले दो वर्षों के दौरान की गई निवेश सम्बंधी घोषणाओं से 50 प्रतिशत अधिक है। पिछले 9 माह के दौरान जिन क्षेत्रों में नए निवेश किए जाने सम्बंधी घोषणाएं की गईं हैं उनमें शामिल हैं – रोड निर्माण क्षेत्र (1.79 लाख करोड़ रुपए), सामुदायिक सेवाएं क्षेत्र (1.16 लाख करोड़ रुपए), मकान निर्माण क्षेत्र (1.19 लाख करोड़ रुपए), स्टील उद्योग क्षेत्र (1.08 लाख करोड़ रुपए), मशीन निर्माण उद्योग क्षेत्र (0.86 लाख करोड़ रुपए), पावर उद्योग क्षेत्र (0.80 लाख करोड़ रुपए) शामिल हैं। निजी क्षेत्र का योगदान भी अब बढ़कर 70 प्रतिशत हो गया है जो कि एक वर्ष पूर्व तक 50 प्रतिशत तक सीमित था। इससे स्पष्ट तौर पर यह झलकता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में अब पूंजीगत खर्च में निजी निवेश भी बढ़ रहा है। वित्तीय वर्ष 2021-22 के दौरान घोषित किए गए कुल नए निवेश में देश के 5 राज्यों गुजरात, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, कर्नाटक एवं उत्तर प्रदेश का हिस्सा 55 प्रतिशत रहा है। भारतीय अर्थव्यवस्था में केंद्र सरकार के साथ साथ निजी क्षेत्र द्वारा भी निवेश बढ़ाए जाने से न केवल अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी बल्कि रोजगार के नए अवसर भी निर्मित होंगे।

बैंकों द्वारा प्रदान किए गए नए ऋणों पर औसत ब्याज दर में कमी भी देखने में आई है। अप्रेल 2020 के दौरान देश में प्रदान की गई नई ऋणराशि पर औसत ब्याज दर 8.46 प्रतिशत थी जो नवम्बर 2021 में घटकर 7.98 प्रतिशत हो गई है। इससे उद्योग जगत एवं अन्य हितग्राहियों को ऋण लागत कम होने का सीधा सीधा लाभ मिला है। सरकारी क्षेत्र के बैंकों द्वारा प्रदान किए गए नए ऋणों पर औसत ब्याज दर अप्रेल 2020 के 8.34 प्रतिशत से घटकर नवम्बर 2021 में 7.32 प्रतिशत हो गई, परंतु निजी क्षेत्र के बैंकों द्वारा प्रदान किए गए नए ऋणों पर औसत ब्याज दर अप्रेल 2020 के 8.91 प्रतिशत से बढ़कर नवम्बर 2021 में 8.92 प्रतिशत हो गई। इस प्रकार सरकारी क्षेत्र के बैकों से ऋण प्राप्त करना तुलनात्मक रूप से कुछ सस्ता रहा है।

भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा हाल ही में जारी किए गए प्रतिवेदन के अनुसार समस्त अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों का पूंजी पर्याप्तता अनुपात, सितम्बर 2021 को समाप्त तिमाही में, अभी तक के उच्चतम स्तर 16.6 प्रतिशत पर पहुंच गया है और प्रोविजन कवरेज अनुपात भी बढ़कर 68.1 प्रतिशत हो गया है। इसी प्रकार, सितम्बर 2021 को समाप्त तिमाही में इन बैकों की  सकल गैर निष्पादनकारी आस्तियां 6.9 प्रतिशत एवं शुद्ध गैर निष्पादनकारी आस्तियां 2.3 प्रतिशत के स्तर पर आ गई हैं। गैर निष्पादनकारी आस्तियों में कमी होना देश की अर्थव्यवस्था के लिए एक शुभ संकेत माना जा सकता है एवं इसके चलते समस्त अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक देश में लगातार बढ़ रही ऋणराशि की मांग को आसानी से पूरा कर सकने की स्थिति में रहेंगे।


ये लेखक के अपने निजी विचार है l

 

 

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

About

नेशनल फ्रंटियर

नेशनल फ्रंटियर, राष्ट्रहित की आवाज उठाने वाली प्रमुख वेबसाइट है।

Follow us

  • About us
  • Contact Us
  • Privacy policy
  • Sitemap

© 2021 नेशनल फ्रंटियर - राष्ट्रहित की प्रमुख आवाज NationaFrontier.

  • होम
  • मुख्य खबर
  • समाचार
    • राष्ट्रीय
    • अंतरराष्ट्रीय
    • विंध्यप्रदेश
    • व्यापार
    • अपराध संसार
  • उत्तराखंड
    • गढ़वाल
    • कुमायूं
    • देहरादून
    • हरिद्वार
  • धर्म दर्शन
    • राशिफल
    • शुभ मुहूर्त
    • वास्तु शास्त्र
    • ग्रह नक्षत्र
  • कुंभ
  • सुनहरा संसार
  • खेल
  • साहित्य
    • कला संस्कृति
  • टेक वर्ल्ड
  • करियर
    • नई मंजिले
  • घर संसार

© 2021 नेशनल फ्रंटियर - राष्ट्रहित की प्रमुख आवाज NationaFrontier.