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दिल्ली विश्वविद्यालय में वैश्विक हिंदी : स्थिति और संभावनाओं पर आयोजित हुई अंतर्राष्ट्रीय वेबगोष्ठी

Jitendra Kumar by Jitendra Kumar
05/02/22
in मुख्य खबर, राष्ट्रीय
दिल्ली विश्वविद्यालय में वैश्विक हिंदी : स्थिति और संभावनाओं पर आयोजित हुई अंतर्राष्ट्रीय वेबगोष्ठी
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श्री वेंकटेश्वर महाविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग द्वारा कॉलेज की हीरक जयंती और बसंत पंचमी के शुभ अवसर पर “वैश्विक हिंदी: स्थिति और संभावनाएं” विषय पर एक अंतर्राष्ट्रीय वेबगोष्ठी का सफल आयोजन किया गया। इस दौरान कार्यक्रम में विश्व के विभिन्न देशों से हिंदी के कई बड़े विद्वानों ने शिरकत की और अपना वक्तव्य प्रस्तुत किया। जहां उन्होंने हिंदी भाषा के प्रति विश्व में बढ़ रहीं दिलचस्पी का ज़िक्र किया और साथ ही कैसे हिंदी एक वैश्विक भाषा के रूप में अंतर्राष्ट्रीय पटल पर अपनी एक नई पहचान बना रहीं हैं इस पर भी चर्चा की। इन विद्वानों में अमेरिका की न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी से प्रो. ग्रैबिएला निकेलिएवा, स्विट्जरलैंड की यूनिवर्सिटी ऑफ ज्यूरिख से डॉ. माइरेला ग्राफे , बुल्गारिया की सोफिया यूनिवर्सिटी से प्रो. मिलेना ब्रातोइवा, अमेरिका की न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी से सुश्री भव्या सिंह तथा जापान की टोक्यो यूनिवर्सिटी ऑफ फॉरेन स्टडीज से सुश्री. साकुरा इशिकावा शामिल हुई।

International Web Seminar on Global Hind

कार्यक्रम की शुरुआत आभासी दीप प्रज्जवलन, कॉलेज के विद्यार्थी, ऋषिकेश, बी.ए. प्रोग्राम, द्वितीय वर्ष के छात्र द्वारा सरस्वती वंदना, और उसके बाद हिन्दी विशेष के तृतीय वर्ष के छात्र महबूब के द्वारा चेक गणराज्य के जानें–माने कवि डॉ. ओदोनेल स्मेकल द्वारा रची गई ‘हिंदी ज्ञान’ नामक कविता से हुई। उसके बाद हिंदी विभाग की प्रभारी प्रो. ऋचा मिश्र ने कार्यक्रम में सभी का स्वागत किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि सेमिनार के आयोजन का लक्ष्य विद्यार्थियों को उन विद्वानों से प्रत्यक्ष संवाद कराना, जो अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हिंदी के पठन-पाठन, अध्ययन विश्लेषण और शोध कार्यों से जुड़े हुए हैं। यह सेमिनार विद्यार्थियों में न सिर्फ उनकी भाषायी अभिरुचि को सुदृढ करेगा, बल्कि इसके माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हिंदी की व्यापक उपस्थिति और उसके व्यावसायिक परिप्रेक्ष्य को भी वे बेहतर तरीके से समझ सकेंगे।

International Web Seminar on Global Hind

वेबगोष्ठी में प्रथम वक्तव्य बुल्गारिया की सोफिया यूनिवर्सिटी से प्रो. मिलेना ब्रातोइवा ने ‘बुल्गारिया में हिंदी शिक्षण’ विषय पर प्रस्तुत किया। उन्होने बताया कि 1974 में सोफिया यूनिवर्सिटी में हिंदी विभाग की स्थापना हुई तथा 1983 में हिंदी भाषा और साहित्य का शिक्षण आरंभ हुआ। यहां हिंदी का पाठ्यक्रम दो पुस्तकों के माध्यम से चलाया जाता हैं। सोफिया विश्वविद्यालय का मुख्य उद्देश्य आधुनिक हिंदी साहित्य के लेखकों के योगदान को प्रस्तुत करना तथा प्रमुख प्रवृत्तियों को बताना होता हैं। साथ ही हिंदी साहित्य की संक्षेप प्रस्तावना भी प्रस्तुत की जाती हैं। उदाहरणस्वरूप:– निराला की “दान” नामक कविता का विश्लेषण किया जाता हैं सोफिया विश्वविद्यालय में विद्यार्थियों से शोध कार्य भीं करवाया जाता हैं, जिससे उनकी भाषा योग्यता और विकसित होती हैं। इस कार्य के लिए 200 से अधिक हिंदी पुस्तकों का हिन्दी से बल्गेरियन भाषा में सीधा अनुवाद किया गया हैं।

International Web Seminar on Global Hind

इसके पश्चात दूसरी वक्ता अमेरिका की न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी से प्रो. ग्रैबिएला निकेलिएवा ने अपने विषय ‘हिंदी शिक्षण की सफलताएं और चुनौतियां :– विशेष संदर्भ अमेरिका’, के बारे में चर्चा करते हुए निम्न तीन मुख्य बिंदुओं को चिन्हित किया l उन्होने बताया कि अमेरिका में हिंदी शिक्षण के कारण हिंदी भाषी लोगों को नई पहचान मिली है तथा उनके लिए अमेरिका में राजनीति में हिस्सेदारी का एक नया दौर आता दिखाई दे रहा हैं। आज 21 वीं सदी में हिंदी भाषियों को अमेरिका में पहले के मुकाबले अधिक सम्मान मिलता है। अमेरिका में हिंदी का प्रयोग प्राय: व्यापारिक गतिविधियों में बढ़ रहा हैं। बड़ी–बड़ी कम्पनियां जैसे:– वॉलमार्ट, पेप्सी, गूगल, आदि, बैंक ऑफ अमेरिका तथा कई अस्पतालों में भी हिंदी बोलने वाले डॉक्टरों और नर्सों की भर्ती हो रही हैं।संचार माध्यमों में प्रभावशाली विस्तार के कारण 21 वीं सदी में हिंदी शिक्षण में कुछ चुनौतियां सामने आईं हैं। अमेरिका में इन चुनौतियों का सामना करने के लिए रचनात्मक एवं नवीन सोच, आलोचनात्मक सोच, काम के दौरान सीखना तथा तकनीकी जानकारी प्राप्त करने पर अधिक बल दिया गया गया हैं।

International Web Seminar on Global Hind

प्रो. ग्रैबिएला निकेलिएवा के वक्तव्य के पश्चात स्विट्जरलैंड की यूनिवर्सिटी ऑफ ज्यूरिख से डॉ. माइरेला ग्राफे ने ‘ज्यूरिख विश्वविद्यालय में हिंदी की कक्षाएँ’ के विषय में चर्चा करते हुए निम्न तीन महत्वपूर्ण बिंदुओं का ज़िक्र किया उन्होने विवेचना करते हुए बताया कि स्विट्जरलैंड में हिंदी तथा संस्कृत भाषा मुख्य रूप से पढ़ाई जाती हैं, जो भारतीय संस्कृति और इतिहास पर आधारित हैं। इनके अलावा अन्य भाषाएं जैसे:– पाली, प्राकृत तथा उर्दू का भी ज्ञान प्रदान किया जाता हैं। यूनिवर्सिटी में चार सेमेस्टर में हिंदी पढ़ाई जाती हैं। जिनमें पहले दो सेमेस्टर में हिंदी व्याकरण की शिक्षा दी जाती हैं तथा बाकी दो सेमेस्टर में हिंदी साहित्य पढ़ाया जाता हैं। हिंदी साहित्य में प्रेमचंद, फणीश्वरनाथ रेणु, भीष्म साहनी, आदि हिंदी के महान साहित्यकारों की रचनाओं को पढ़ाया जाता है हिन्दी साहित्य में भी विशेष रूप से धर्म, कविता, दर्शन, दलित साहित्य, विभाजन की कहानियां तथा व्यंग पर अधिक बल दिया जाता हैं।International Web Seminar on Global Hind

इनके पश्चात चतुर्थ वक्ता, अमेरिका की न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी से सुश्री भव्या सिंह, ने अपने विषय ‘मन मानचित्र भाषा प्रवीणता की ओर एक कदम’ के बारे में बताते हुए कुछ बिंदुओं का वर्णन किया । उन्होंने बताया कि मन मानचित्रण एक ऐसा जरिया हैं, जो सूचना का दृश्य प्रतिनिधित्व प्रदान करता हैं, साथ ही स्मृति का समर्थन और सुधार करता हैं तथा संज्ञानात्मक कार्यों का निर्माण करता हैं।इसके साथ ही उन्होंने बताया कि मन मानचित्रण का वर्तमान कोरोना काल में महत्व और बढ़ गया हैं, क्योंकि यह शिक्षक और छात्रों के बीच की दूरियां कम करता हैं, विद्यार्थियों की रचनात्मकता का विकास करता हैं, तथा पारस्परिक प्रतिक्रियाओं को विकसित करता हैं, आदि। वेबिनार की अंतिम वक्ता थी, जापान की टोक्यो यूनिवर्सिटी ऑफ फॉरेन स्टडीज से सुश्री. साकुरा इशिकावा, जिनका विषय ‘ जापान में हिंदी’ था। साकुरा जी के अनुसार जापान में हिंदी बहुत लोकप्रिय हैं। जापान में दो मुख्य विश्वविद्यालय हैं, जो हिंदी शिक्षण प्रदान करते हैं, “टोक्यो यूनिवर्सिटी ऑफ फॉरेन स्टडीज” तथा ओसाका यूनिवर्सिटी। साथ ही इन दो प्रमुख विश्वविद्यालयों के अलावा जापानी नागरिकों के लिए हिंदी शिक्षण में ओपन अकादमी भी मौजूद हैं। जापान में 1911 से ही हिंदी और उर्दू पढ़ाई जाती हैं, जिसमे हर साल लगभग 20 छात्र संकलित किए जातें हैं।

International Web Seminar on Global Hind

अंत में उन्होंने हमें बताया कि जापान में हिंदी सिनेमा काफी लोकप्रिय हैं। प्रतिवर्ष जापान में हिंदी सिनेमा की स्क्रीनिंग बढ़ती ही जा रही हैं, जिसमे शाहरुख खान की फिल्में अधिक लोकप्रिय हैं। साथ ही उन्होंने हमें बताया कि भारतीय फिल्मों के पॉपुलर कल्चर से प्रभावित होकर जापान में भी “मसाला प्रदर्शन” नामक एक नया कल्चर विकसित हुआ हैं। “मसाला प्रदर्शन” भारत में फिल्म देखने के तरीके के बारे में जापानी लोगो की एक धारणा हैं।

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इस प्रकार हिंदी के इन प्रमुख विद्वानों ने “वैश्विक हिंदी: स्थिति और संभावनाएं” के विषय में अपने–अपने विचार प्रस्तुत किए। विभाग की एक अन्य सदस्य डॉ.अर्चना -जो इस ऑनलाइन कार्यक्रम का तकनीक संचालन कर रही थीं-ने विद्यार्थियों की तरफ से प्रश्न आमंत्रित किये जिनमें मुख्य रूप से द्वितीय वर्ष, हिंदी विशेष के छात्र राम किशोर, प्रथम वर्ष, बी. ए. प्रोग्राम के शुभम सूद तथा तृतीय वर्ष, हिंदी विशेष की छात्रा नीतू शाक्य, आदि ने अपने प्रश्न विद्वानों से पूछे।कार्यक्रम में कॉलेज के विभिन्न विभागों, दिल्ली विश्वविद्यालय के विभिन्न कॉलेजों एवम देश -विदेश के विभिन्न विश्वविद्यालयों के शिक्षक , विद्यार्थी एवम शोधार्थी शामिल हुए। श्री वेंकटेश्वर कॉलेज का हिंदी संकाय बहुत ही सक्रिय है निरन्तर हिंदी भाषा एवम साहित्य सम्बन्धी कार्यक्रम आयोजित करता रहता हैं।

 

 

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