नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल की बीरभूम लोकसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने पूर्व आईपीएस देबाशीष धर को टिकट दिया था, जिनका नामांकन रद्द हो गया है. धर ने अभी हाल ही में चुनाव लड़ने के लिए इस्तीफा दिया था. बीरभूम लोकसभा सीट चौथे चरण में 13 मई को मतदान होना है. चुनाव आयोग ने शुक्रवार को पूर्व आईपीएस अधिकारी की उम्मीदवारी रद्द कर दी है. हालांकि, बीजेपी ने इस सीट पर नए उम्मीदवार के नाम का ऐलान कर दिया है.
आयोग के मुताबिक, नो ड्यूज सर्टिफिकेट नहीं देने की वजह से देबाशीष की उम्मीदवारी रद्द कर दी गई है. बीजेपी ने देबाशीष धर के नाम का ऐलान कर लोगों को चौंकाया था. उन्होंने तृणमूल की शताब्दी रॉय के खिलाफ नामांक दाखिल किया था. बाद में इस उम्मीदवारी को लेकर तृणमूल ने सवाल उठाए ते. टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी कई सार्वजनिक सभाओं में पूर्व आईपीएस को बार-बार याद दिलाया है कि विधानसभा चुनाव के दौरान जब शीतला कुची में गोलीबारी हो रही थी तब देबाशीष धर जिले के पुलिस अधीक्षक थे. वहीं, देबाशीष धर ने कानून व्यवस्था पर सवाल उठाए. इसी बीच अचानक उनकी उम्मीदवारी रद्द कर दी गई.
बीजेपी को लग गई थी पहले ही भनक
हालांकि राजनीतिक हलके के एक वर्ग का मानना है कि इस घटना की भनक बीजेपी को पहले ही लग गई थी. कल गुरुवार को बीजेपी के एक और उम्मीदवार देवतानु भट्टाचार्य ने अपना नामांकन दाखिल किया. बीजेपी के प्रदेश महासचिव जगन्नाथ चटर्जी ने कहा था कि कोई साजिश हो सकती है इसलिए यह फैसला लिया गया है. 24 घंटे के अंदर ही देबाशीष धर की उम्मीदवारी रद्द कर दी गई.
क्यों किया गया देबाशीष धर का नामांकन रद्द?
2016 में दिल्ली हाई कोर्ट के एक फैसले में कहा गया था कि यदि किसी उम्मीदवार के पास पिछले 10 वर्षों से तमाम सरकारी एजेंसियों द्वारा प्रदान की गई सेवाओं का कोई बकाया नहीं है, तो हर एजेंसी से नो-ड्यूज प्रमाण पत्र नामांकन पत्र में दिया जाना चाहिए. यदि वह ऐसा नहीं करता है तो उसका नामांकन गलत होगा. देबाशीष धर के मामले में भी यही हुआ है. चुनाव आयोग उनके नामांकन पत्र को गलत माना है. आयोग ने कहा, जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 36 के अनुसार, देबाशीष धर का नामांकन रद्द करने योग्य है.