रामनगर l सिंचाई विभाग की भूमि पर पर्यटन विभाग द्वारा बनवाये जा रहे हाईटेक शौचालय की भूमि के लिए सिंचाई विभाग द्वारा गांधी धाम के ध्वस्तीकरण के दौरान एक मूर्ति ध्वस्त किये जाने के मामले ने तूल पकड़ लिया है। मौहल्लेवासियों ने मूर्ति को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की मूर्ति बताते हुए निर्माणाधीन शौचलय के विरोध में हंगामा शुरू कर दिया है। दूसरी ओर सिचाईं विभाग सहित प्रशासन ने इस मामले में रहस्मय चुप्पी साध ली है।
प्रशासन को यह भी नहीं पता कि ध्वस्तीकरण प्रक्रिया में किसकी मूर्ति ध्वस्त की गई। अलबत्ता मामले के तूल लेने पर सिंचाई विभाग ने निर्माण करा रही संस्था को नोटिस देने की खानापूर्ति करते हुए अपने को कवर देने का प्रयास किया लेकिन नोटिस सीधे पर्यटन विभाग को संबोधित होने के कारण मौके पर काम करा रहे सुलभ प्रतिनिधि ने नोटिस तामील नहीं कर सिंचाई विभाग के प्रयास को विफल कर दिया। घटनाक्रम के अनुसार मौहल्ला बम्बाघेर के पास सिंचाई विभाग की भूमि है।
एक जमाने में इस भूमि पर अन्य सिंचाई नहरों की निकासी के लिए ट्राईफर्केशन बना था, जो कि फीडर चैनल पर बने नए ट्राईफर्केशन के कारण अपनी उपयोगिता खो चुका था। सिंचाई विभाग के पुराने ट्राईफर्केशन पर एक मूर्ति स्थापित कर दी गयी थी। इस मूर्ति को महात्मा गांधी की मूर्ति बताते हुए मौहल्लेवासी राष्ट्रीय पर्वों के दौरान झंडारोहण करते रहते थे। इसी कारण इस ट्राईफर्केशन को बोलचाल में “गांधी घाट” कहा जाने लगा। कोसी नदी पर नए पुल के निर्माण व हल्द्वानी-रामनगर मोटर मार्ग का यातायात इस पुल पर स्थानांतरित होने के बाद प्रशासन द्वारा पर्यटन विभाग के सहयोग से गांधी घाट पर हाईटेक शौचालय बनाने का निर्णय लिया गया।
जिसके बाद प्रशासन के निर्देश पर सिंचाई विभाग द्वारा गांधी घाट को ध्वस्त कर भूमि समतल कर भूमि को शौचालय निर्माण के लिए पर्यटन विभाग द्वारा चयनित निर्माणदायी संस्था “सुलभ इंटरनेशनल” को सौंप दी। जिसके बाद सुलभ संस्था ने इस भूमि पर निर्माण आरम्भ कर दिया। गांधी घाट व मूर्ति को ध्वस्त कर यहां शौचालय बनाये जाने का विरोध करते हुए मौहल्ले वासियों ने इसे महात्मा गांधी का अपमान बताना शुरू कर दिया। सिंचाई विभाग द्वारा गांधी धाम में के किये गए ध्वस्तीकरण के बाद प्रकरण के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी से जुड़ जाने पर सभी विभागों के अधिकारियों के होश उड़ गए।
मामले में लीपापोती करने का प्रयास करते हुए एसडीएम विजयनाथ शुक्ल द्वारा मूर्ति को रामनगर शहर की स्थापना करने वाले ब्रिटिशकालीन अधिकारी ‘सर रैमजे’ की मूर्ति बताया जाने लगा। दूसरी ओर मूर्ति प्रकरण की जानकारी मिलने पर पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने भी विभागीय अधिकारियों से प्रकरण की स्पष्ट जानकारी तलब कर ली है। इधर उत्तराखण्ड परिवर्तन पार्टी के उपाध्यक्ष प्रभात ध्यानी ने मामले को गंभीर बताते हुए मूर्ति को ध्वस्त करने के प्रकरण से जुड़े सभी अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की मांग की है।
ध्यानी ने कहा कि प्रशासन ने मूर्ति तोड़ने का आपराधिक काम किया है। मूर्ति महात्मा गांधी की थी तो यह राष्ट्रीय अपमान का मामला बनता है और यदि मूर्ति रामनगर की स्थापना करने वाले सर रैमजे की थी तो यह रामनगर की पहचान से जुड़े प्रतीकों को नष्ट करने का गम्भीर मामला है।ब जिसका पार्टी द्वारा पुरजोर विरोध किया जाएगा।
खबर इनपुट एजेंसी से