अयोध्या: अयोध्या में ‘राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा’ होने में अब कुछ ही घंटों का वक्त बचा है और सोमवार को विधि-विधान के साथ इस अनुष्ठान को पूरा कर लिया जाएगा। हालांकि, प्राण प्रतिष्ठा से पहले राम मंदिर को लेकर कुछ ऐसी खबरें भी सोशल मीडिया पर वायरल हैं, जिनकी हकीकत कुछ और है। ऐसी ही एक खबर रामलला की खुली आंखों वाली मूर्ति को लेकर है, जो प्राण प्रतिष्ठा से पहले सामने आई है।
मूर्ति को लेकर क्या है सोशल मीडिया का दावा?
सबसे पहले जानते हैं कि रामलला की इस मूर्ति को लेकर सोशल मीडिया पर क्या दावा किया जा रहा है। दरअसल, 19 जनवरी को सोशल मीडिया पर भगवान राम की एक श्यामवर्णी मूर्ति की फोटो वायरल हुई, जिसकी आंखें खुली हुईं थी। तस्वीर के साथ दावा किया गया ये वही मूर्ति है, जो गर्भगृह में स्थापित की गई है। चूंकि तस्वीर में मूर्ति की आंखें खुली हुईं थी, इसलिए लोगों ने इसे भगवान राम की संपूर्ण मूर्ति मानकर इसे शेयर करना शुरू कर दिया।
तो क्या है इस दावे की सच्चाई? क्या वाकई ये भगवान राम की वही मूर्ति है, जो गर्भगृह में स्थापित की गई है? प्राण प्रतिष्ठा से पहले क्या इस मूर्ति की तस्वीर को विश्व हिंदू परिषद या श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की तरफ से जारी किया गया है? जब प्राण प्रतिष्ठा अभी नहीं हुई तो उससे पहले बिना आंखें ढकी ये मूर्ति की तस्वीर किसने वायरल की? अब श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने इस मामले का पूरा सच बताय है? आइए जानते हैं कि क्या है इस मूर्ति की सच्चाई?
मूर्ति के दावे में कितनी सच्चाई
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास से जब रामलला की इस मूर्ति को लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा, ‘प्राण प्रतिष्ठा के नियमों के मुताबिक, गर्भगृह में रामलला के शरीर को कपड़ों से ढक दिया गया है और अभी मूर्ति को खोला नहीं गया है। जब किसी मूर्ति का निर्णय हो जाता है, कि यही मूर्ति गर्भगृह में स्थापित होगी, तो उसके नेत्र ढक दिए जाते हैं। जो नेत्र खुली मूर्ति दिखाई जा रही है, वो गर्भगृह की मूर्ति है ही नहीं।’
‘अगर वही मूर्ति है तो जांच होगी’
सत्येंद्र दास ने आगे कहा, ‘मूर्ति का ऐसा स्वरूप मिल ही नहीं सकता और अगर मिल गया है तो उसकी जांच होगी। अगर ऐसा हुआ है तो जांच होगी कि किसने मूर्ति के नेत्र खोले और कैसे ये तस्वीर वायरल हुई? प्राण प्रतिष्ठा से पहले सभी काम हो सकते हैं, सारी प्रक्रियाएं हो सकती हैं, लेकिन नेत्र नहीं खुलते हैं।’