नई दिल्ली: इजरायल और लेबनान के संगठन हिजबुल्लाह के बीच 14 महीने से चल रहे संघर्ष पर आखिरकार विराम लगने की उम्मीद बढ़ गई है। ऐसा बताया जा रहा है कि इजरायल की सुरक्षा कैबिनेट ने अमेरिका द्वारा प्रस्तावित युद्धविराम योजना पर चर्चा की, जिसमें ईरान के प्रॉक्सी संगठन हिज्बुल्लाह के साथ संघर्ष को समाप्त करने की रूपरेखा तय की गई। इस बैठक की अध्यक्षता प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की और इसे मंजूरी मिलने की संभावना जताई जा रही है। बताया जा रहा है कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के नेतृत्व में इस युद्धविराम के लिए कूटनीतिक प्रयास तेज किए गए हैं।
रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, योजना के तहत इजरायली सैनिकों को दक्षिणी लेबनान से हटना होगा और वहां लेबनान की सेना को तैनात किया जाएगा। इसके साथ ही हिज्बुल्लाह को लितानी नदी के दक्षिण में अपनी सशस्त्र उपस्थिति समाप्त करनी होगी। इस पर इजरायल ने कड़ी शर्तें रखते हुए कहा है कि युद्धविराम लागू होने के बाद भी वह किसी भी उल्लंघन पर जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाएगा। वहीं लेबनान के उप संसद अध्यक्ष एलियास बू साब ने कहा कि योजना के क्रियान्वयन में कोई गंभीर बाधा तब तक नहीं आएगी जब तक कि नेतन्याहू अंतिम समय में अपना रुख न बदल दें।
हालांकि, इस कूटनीतिक प्रगति के बीच भी दोनों पक्षों ने सैन्य गतिविधियां जारी रखीं। इजरायली हवाई हमलों ने बेरूत के हिज्बुल्लाह-नियंत्रित इलाकों को निशाना बनाया, जबकि हिज्बुल्लाह ने भी इजरायल पर भारी रॉकेट हमले किए। इस युद्ध ने लेबनान में 3,750 से अधिक लोगों की जान ली है और 10 लाख से अधिक लोगों को बेघर कर दिया है। वहीं, इजरायल में 45 नागरिक और 73 सैनिकों की मौत हुई है।
वहीं अमेरिका के मध्य-पूर्व दूत ब्रेट मैकगर्क मंगलवार को सऊदी अरब में इस युद्धविराम का उपयोग गाजा संघर्ष को समाप्त करने की योजना पर चर्चा करेंगे। अगले साल जनवरी में अमेरिका की सत्ता छोड़ने वाले राष्ट्रपति जो बाइडेन इस संघर्ष को समाप्त करने के लिए कूटनीति को अपना अंतिम बड़ा प्रयास मान रहे हैं।