तेहरान। इजरायल और ईरान के बीच हालात सामान्य होने का नाम नहीं ले रहे हैं। ईरान के 13-14 अप्रैल को मिसाइल और ड्रोन हमले के जवाब में इजरायल ने ईरान के न्यूक्लियर प्लांट के पास मिसाइल हमला किया, यह तो कंफर्म हो चुका है। लेकिन, रिपोर्ट से पता चला है कि इजरायल की शुरुआती प्लानिंग यह नहीं थी। इजरायल रातों-रात तेहरान समेत ईरान के बड़े सैन्य ठिकानों को तबाह करना चाहता था, इतने बड़े हमले की योजना थी कि ईरान को व्यापक पैमाने पर नुकसान हो। इजरायली अधिकारियों ने इस बात का खुलासा किया है कि इजरायली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू ईरान को तगड़ी चोट देना चाहते थे लेकिन, एक फोन ने उनका इरादा बदल दिया।
न्यूयॉर्क टाइम्स ने तीन इजरायली अधिकारियों का हवाला देते हुए बताया कि ईरान के खिलाफ इजरायल की मूल जवाबी हमले की योजना में तेहरान सहित सैन्य ठिकानों पर व्यापक जवाबी हमला शामिल था। अख़बार ने कहा, इजरायली पीएम नेतन्याहू और बाइडेन ने फोन पर बातचीत में समझा कि इतने व्यापक और नुकसानदेह हमले को नजरअंदाज़ करना ईरान के लिए तब बहुत कठिन होता, जिससे ईरान के जबरदस्त जवाबी हमले की संभावना बढ़ जाती। इसलिए ऐन वक्त पर हमले की प्लानिंग और जगह को बदला गया।”
अमेरिकी दबाव में इजरायल ने छोटा हमला किया
रिपोर्ट के अनुसार, गहन राजनयिक दबाव और दुनिया को एक और महायुद्ध से रोकने के लिए इजरायल ने अंततः यह फैसला किया कि वह कम शक्तिशाली हमले का विकल्प चुनेगा। इजरायल का ईरान पर हमला गुरुवार-शुक्रवार के बीच रात के दरम्यान अंजाम दिया गया। इजरायली और पश्चिमी अधिकारियों का हवाला देते हुए, अखबार का यह भी कहना है कि इजरायल ने ईरान के पश्चिम में कई सौ मील की दूरी पर तैनात विमानों से “छोटी संख्या में मिसाइलें” दागीं, और “ईरानी वायु सुरक्षा को भ्रमित करने के लिए” छोटे हमले वाले ड्रोन भी लॉन्च किए।
रिपोर्ट में कहा गया है कि इजरायल की एक मिसाइल ने ईरान के एस -300 एयर डिफेंस सिस्टम पर हमला कर उसे क्षतिग्रस्त किया था। इस इलाके के पास ईरान का परमाणु प्लांट है। इस हमले की इजरायल ने न ही आधिकारिक तौर पर जिम्मेदारी ली है और न ही ईरान ने खुद पर हमला होने की बात कबूली है। ईरान का कहना है कि अगर उस पर हमला हुआ होता तो उसकी वायु रक्षा प्रणाली ऐक्टिव हो जाती, जो कि ऐसा नहीं हुआ। हालांकि बीबीसी ने सैटेलाइट तस्वीरों से इस बात की पुष्टि की है कि ईरान पर हमला हुआ है।