जोशीमठ : उत्तराखंड के जोशीमठ पर मंडरा रहे संकट से पूरा देश चिंता में है. यहां जमीन धंसने और सैकड़ों घरों में दरारें आने से लोग दहशत में हैं. सैंकड़ो परिवार इस संकट से प्रभावित बताए जा रहे हैं. इन परिवारों को तुरंत सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने के निर्देश दिए गए हैं. उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जमीनी स्थिति का आकलन करने के लिए शनिवार को जोशीमठ का दौरा किया था.
ऐसे में अब केंद्र सरकार भी इस संकट को लेकर एक्शन मो़ड में आ गई है. इस कड़ी में रविवार को प्रधानमंत्री कार्यालय ने एक हाई लेवल बैठक की जिसमें कई बड़े अधिकारी शामिल हुए. इस बैठक के दौरान पीएमओ को जोशीमठ के हालातों की जानकारी दी गई. जानिए इससे जुड़े 10 बड़े अपडेट
- प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव पी के मिश्रा ने कैबिनेट सचिव, केंद्र सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के सदस्यों के साथ समीक्षा बैठक की.
- पीएमओ को जानकारी दी गई कि केंद्र सरकार की एजेंसियां और एक्सपर्ट शॉर्ट, मीडियम और लॉन्ग टर्म प्लान तैयार करने में राज्य सरकार की मदद कर रहे हैं.
- विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि जोशीमठ में और उसके आसपास हाईड्रोपावर प्रोजेक्ट सहित बड़े पैमाने पर निर्माण कार्य से भूमि धंस सकती है.
- एनडीआरएफ की एक और एसडीआरएफ की 4 टीम लोगों की मदद के लिए जोशीमठ पहुंच गई है. प्रभावित परिवारों को लगातार सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है.
- पीएमओ ने कहा है कि एक साफ समयबद्ध पुनर्निर्माण योजना तैयार की जानी चाहिए. निरंतर भूकंपीय निगरानी की जानी चाहिए. इस अवसर का उपयोग करते हुए जोशीमठ के लिए एक जोखिम संवेदनशील शहरी विकास योजना भी विकसित की जानी चाहिए.
- इस बीच सेक्रेटरी बॉर्डर मैनेजमेंट और एनडीएमए सोमवार को जोशीमठ का दौरा करेंगे. पीएमओ की समीक्षा बैठक के बाद ये जानकारी दी गई.
- प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करने वाले मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आज अधिकारियों के साथ बैठक की और राहत कार्यों में तेजी लाने के लिए नियमों में ढील देने को कहा है.
- राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान, भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण, आईआईटी रुड़की, वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाइड्रोलॉजी और सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट के विशेषज्ञों की टीम इस मामले पर स्टडी करेगी और अपनी रिकमेंडेशन देगी.
- स्थानीय लोगों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन और निरंतर बुनियादी ढांचों का विकास इन संकट का कारण है. वहीं एक्सपर्ट्स का कहना है कि प्राकृतिक और मानव गतिविधि, दोनों भू-धंसाव के लिए जिम्मेदार हैं.
- उत्तराखंड सरकार ने भी हैदराबाद स्थित राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केंद्र (एनआरएससी) और देहरादून स्थित भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान (आईआईआरएस) से सेटेलाइट तस्वीरों के जरिए जोशीमठ क्षेत्र का अध्ययन करने और फोटो के साथ विस्तृत रिपोर्ट सौंपने का अनुरोध किया है.