मनोज रौतेला की रिपोर्ट :
ऋषिकेश: साहसिक पर्यटन की बात करें तो जंपिन हाइट्स का नाम टॉप में आता है, इसमें कोई शक नहीं है. बुधवार को मोहन चट्टी स्थित जंपिन हाइट्स 1 लाख पर्यटकों को अब तक जब करा चुका है बंजी जम्प. इसी कड़ी में बुधवार को मसूरी के रहने वाले अंकुश राजपूत ने जैसे ही जंप किया उन्होंने जंपिन हाइट्स से उनका नाम 1 लाख वें साहसिक पर्यटक के तौर पर रिकॉर्ड में दर्ज हो गया. यह आंकड़ा साहसिक पर्यटन की दृष्टि से देखा जाए तो काफी महत्वपूर्ण है न केवल उत्तराखंड बल्कि भारत में.
बुधवार को जैसे ही अंकुश राजपूत ने बंजी जंप लगाई जंपिंग हाइट्स में स्टाफ का खुशी का ठिकाना नहीं था, थोड़ा बाइक ग्राउंड में जाएँ तो तकरीबन 10 साल पहले जंपिन हाइट्स को यहां पर स्थापित किया गया था 2 मई 2010 को. सबसे पहले जम्प करने वाली एक साहसिक लड़की थी. जंपिन हाइट्स के मालिक राहुल निगम की बेटी निहारिका निगम थी जिनकी उम्र उस वक्त 18 साल थी. पहले दिन 6 लोगों ने जंपिंग हाइट्स से जंप किया. जिसमें निहारिका निगम, गायत्री सेठी, कर्नल मनोज कुमार के सुपुत्र तनमय मनन जो स्क्वार्डन लीडर हैं इंडियन एयर फ़ोर्स में और राहुल मनन, सुरभि सेठी और ध्रुव थे. इन 10 सालों में जंपिंग हाइट्स ने 1 लाख पर्यटकों को यहां से छलांग लगवा चुका है और साहसिक पर्यटन के अध्याय में एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है.
कैसे शुरुवात की जंपिन हाइट्स की और कौन लोग जुड़े हैं ?
देहरादून निवासी जंपिन हाइट्स के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर कर्नल (सेवानिवृत) मनोज कुमार ने बताया कि जब फौज से रिटायर होने के बाद उन लोगों ने यहां पर यह साहसिक साहसिक खेल को शुरू करने का मन बनाया तो शुरुआत में उन्हें ज्यादा कुछ इसके बारे में नहीं पता था और सबसे बड़ी बात है कि उन्हें 6 साल लोगों को कन्विंस करने में लग गए थे की ऐसा भी होता है और इसमें कोई ख़तरा नहीं है. बंजी जम्प करने के लिए यह जगह सुरक्षित है. तब तक गिने चुने पर्यटक यहां आते थे लेकिन इन 10 सालों में अब युवाओं में काफी जोश और क्रेज है यहां आने के लिए. जंपिन हाइट्स में सबसे अहम बात जो उन्होंने बतायी वह है वहां का स्टाफ. वहां पर जितने भी 40 के लगभग लोगों का स्टाफ है और सभी स्टाफ आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों का ही रहने वाला है ताकि स्थानीय को रोजगार दिया जा सके.
जिसमें जंपिन मास्टर से लेकर टॉयलेट क्लीनर तक है. कर्नल मनोज कुमार ने बताया कि उनके लिए यह लोग सबसे अहम हैं क्योंकि यही लोग काम करते हैं और यही लोग हमारा आगे नाम करते हैं, इनका काम अच्छा होगा तो हम लोग अच्छा परफॉर्मेंस दे पाएंगे. अधिक से अधिक पर्यटक आएगा. जंपिन हाइट्स के मालिक राहुल निगम हैं जो पुणे में रहते हैं और कर्नल मनोज कुमार के साथी भी रहे हैं फौज में. दोनों ने मिलकर यहां पर साहसिक पर्यटन की यह अलग और शानदार साइट विकसित की जो आज भारत के सबसे सस्ती और सबसे अच्छी बंजी प्रोफेशनल साइट में मानी जाती है.
कौन हैं बुधवार के जंपर और जानिए एक लाखवें जंपर के बारे में ?
आज जो एक लाख बंजी जम्प के सीरीज में आए हैं वह हैं मसूरी के 35 वर्षीय अंकुश राजपूत हैं जो पेशे से एक प्रॉपर्टी डेवलपर है और जिम के शौकीन है सुबह शाम जिम करते हैं. वह अकेले आज यहां जम्प करने आए थे पहली बार उन्हें जिंदगी में जबकि उनका कहना था कि उन्होंने कभी सोचा नहीं था कि इस तरह से शानदार जंप वह लगाएंगे उनकी जंप करने की तकनीकी भी काफी अच्छी थी,उन्होंने बताया कि वह फिर से आना चाहेंगे यहां पर और अपनी पत्नी को भी अगली बार लाना चाहेंगे. एक लाख वें जंप करने वाले पर्यटक बनने पर उन्होंने ख़ुशी जाहिर की है.
उन्होंने बताया बहुत खुशी हुई है उन्हें यहाँ पर आकर. बुधवार को सुबह से जंपर बंजी जंप करने में उनका नवां नंबर था. इससे पहले पहला बंजी जंप दिल्ली के रहने वाले विनीत शौकीन किया. जिनका जन्म दिन भी था और वह अपने माता पिता के साथ आये हुए थे ऋषिकेश. उनकी बहन भी आयी हुई थी लेकिन वह होटल में थी वह नहीं आयी थी साइट पर. विनीत जो सिविल सर्विसेज की तैयारी कर रहे हैं वहीं उनकी बहन सिविल सर्वेंट है.
दिल्ली की रहने वाली उमैमा भी पहली बार जब करने आई थी जिनकी उम्र 26 वर्ष है और वह पैसे से करीकलम डिजाइनर है वह भी पहली बार यहां पर जंप करने आई है उन्होंने कहा कि बहुत ही शानदार उनका अनुभव रहा और वह फिर से यहां आना चाहेंगी अपने दोस्तों परिवार के संग और अपने दोस्तों को वहां जाकर बताएंगी भी कैसा अनुभव किया उन्होंने यहाँ आ कर. उमैमा का कहना था साहसिक पर्यटन की दृष्टि से देखा जाए तो यह बेस्ट साइट अभी तक उन्होंने देखी है.
वहीँ एक लाख जम्प करने के बाद अगला जम्प 1 लाख 1 जंप जिन्होंने किया वह रहे जयपुर से आये हुए देवेश शर्मा. जो डिफेंस पर्सनल हैं. जिनकी उम्र 27 वर्ष है और जयपुर से आए थे अपनी पत्नी के साथ और आसाम राइफल के जवान हैं. देवेश का कहना था वह ख़ास तौर पर इस साइट पर आये हैं जम्प करने के लिए. इसके बाद जम्मू-कश्मीर पहली बार ड्यूटी पर जाएंगे. नहीं तो असम रायफल नार्थ ईस्ट में रहती थी. पहली बात जम्मू कश्मीर में भेजा जा रहा है. अभी वह छुट्टी पर आए हुए हैं उनका कहना था कि जयपुर से वह खास तौर पर बंजी जंपिंग के लिए आए हैं और उनका काफी समय से शौक था कभी बंजी जंपिंग करें करके. आज बंजी जंपिंग करने के बाद अनुभव बहुत ही शानदार रहा और भविष्य में अपने दोस्तों और फिर से आना चाहेंगे यहाँ पर.
कितने पैसे लेते हैं एक जम्प के ? कौन लोग हैं जम्प प्रोफेशनल ?
जंपिन हाइटस में अभी एक बंजी जम्प के 3500 रुपए लिए जाते हैं. आपको ऋषिकेश से 25 किलोमीटर की दूरी पर यह साईट हेवल नदी के किनारे मिलेगी.
कर्नल मनोज कुमार ने बताया कि हम यहां पर जो भी जंप करने आता है उसका पूरा डाटा लेते हैं और मेडिकल का पूरा ख्याल रखते हैं ताकि किसी को कोई दिक्कत ना हो. वही कर्नल मनोज कुमार का कहना था कि वह यहां आने वाले हर पर्यटक को एक परिवार की तरह मानते हैं और हर जंप उनका पहला जंप होता है. क्योंकि इसमें जो काम करने वाले लोग हैं वह पूरी तरह से निपुण है और सभी लोग आसपास ग्रामीण क्षेत्र से हैं और सब ट्रेंड हो चुके हैं. जंपिन हाइट्स के जीएम ऑपरेशन देव गोसाईं का कहना था जंपिन हाइट्स ने अब ऋषिकेश के बाद गोवा में भी अपना एक नया साइट खोला है. गोवा पर्यटक पर्यटन निगम ने उनको आमंत्रित किया था 27 अगस्त 2019 को. मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने उद्घाटन किया गया था. इसके अलावा उत्तराखंड या अन्य जगहों पर भी आगे योजना है नई साइट स्थापित करने की साहसिक पर्यटन की. देव का कहना था वह होटल मैनेजमेंट करने के बाद कई जगह उन्होंने नौकरियां की लेकिन बाद में उनके पिता ने एक दिन यहां पर बताया कि यहां पर ऐसा साहसिक पर्यटन के लिए साइट स्थापित हो रही हैं, साहसिक पर्यटन की दृष्टि से इंटरव्यू दिया तो यहां सेलेक्ट हो गया. देव ने बताया सबसे खुशी इस बात की है कि जंपिन हाइट्स इंडिया का सबसे टॉप साहसिक साइट्स में माना जाता है और वह उनके गांव से शुरू हो रहा है और वह उस साइट से जुड़े हुए हैं और अपने गांव से काम कर रहे हैं. जंपिन हाइट्स में जो बंजी जंपर हैं वह हैं जंप मास्टर सुदेश शर्मा, अजय रावत सीनियर जम्प मास्टर, सुधीर बिष्ट जूनियर जम्प मास्टर और सीनियर जम्प मास्टर विकास भंडारी जो पूरी तरह से निपुण हैं इस काम में।
जंपिन हाइट्स के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर कर्नल मनोज कुमार का कहना था कि कोरोना की वजह से हमने इसको बड़ा इवेंट ना बनाकर छोटा सा औपचारिक तौर पर आज मनाया गया है. लेकिन हमारे लिए यह यादगार दिन है.