देहरादून। वर्चुअल रजिस्ट्री करने के लिए प्रदेश सरकार ने बेशक अपने नियमों में प्रावधान कर दिया है, लेकिन घर बैठे मिलने वाली इस नई व्यवस्था के लिए अभी और थोड़ा इंतजार करना होगा। भूमि व संपत्ति की ऑनलाइन रजिस्ट्री का डिजिटल प्लेटफार्म तैयार करने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी विभाग को एक हार्डवेयर की खरीद के साथ एक साॅफ्टवेयर भी तैयार करना है।
इस प्रक्रिया के पूरे होने के बाद ही स्टांप एवं निबंधक विभाग वर्चुअल रजिस्ट्री की प्रक्रिया को संचालित करेगा। पिछले करीब एक साल से विभागीय स्तर पर ऑनलाइन रजिस्ट्री के लिए प्रयास चल रहे हैं। पिछले साल दिसंबर महीने में प्रदेश मंत्रिमंडल ने भी इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी थी। इसके बाद वित्त विभाग के स्तर पर नियमों में वर्चुअल रजिस्ट्री का प्रावधान कर दिया गया था। ऑनलाइन रजिस्ट्री आधार सत्यापन के माध्यम से होनी है। इसके लिए राज्य सरकार पहले ही केंद्र सरकार से अनुमति ले चुकी है।
इस प्रक्रिया के तहत क्रेता व विक्रेता की सहमति के बाद फिंगर प्रिंट स्कैन या आईरिस के साथ 12 अंकों की आधार संख्या रजिस्ट्रेशन साफ्टवेयर के माध्यम से भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण के जरिये सत्यापित कराएगा। नियमों में प्रावधान के बाद वर्चुअल रजिस्ट्री की सुविधा के जल्द शुरू होने की संभावना जताई जा रही थी, लेकिन विभागीय सूत्रों के मुताबिक, अभी इसमें और समय लगेगा।
कुछ और नई सुविधाएं जोड़ने की कोशिश
वर्चुअल रजिस्ट्री के साथ ही अब सरकार कुछ और नई सुविधाएं जोड़ने की कोशिश में है। पिछले दिनों स्टांप एवं निबंधक विभाग के मुखिया अपर सचिव (वित्त) डॉ. अहमद इकबाल के नेतृत्व में अधिकारियों की टीम मध्य प्रदेश से अध्ययन करके लौटी है। वहां टीम ने संपदा पोर्टल का अध्ययन किया। पोर्टल में वर्चुअल रजिस्ट्री के अलावा दाखिल खारिज व अन्य की ऑनलाइन सुविधा है। वहां साइबर तहसीलें बनाई गई हैं, जिनके माध्यम से वर्चुअल रजिस्ट्री होती हैं।
बुजुर्गों और बीमारों को होगा फायदा, समय बचेगा
वर्चुअल रजिस्ट्री की सुविधा का सबसे ज्यादा फायदा बुजुर्गों और बीमार लोगों को होगा। उन्हें रजिस्ट्री के लिए चक्कर नहीं काटने होंगे। साथ ही रजिस्ट्री में फर्जीवाड़ा भी रोक लग सकेगी।