मुंबई: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से ठीक पहले ‘भगवा आतंकवाद’ का जिन्न अचानक बाहर आ गया है. एक इंटरव्यू में कांग्रेस की यूपीए सरकार के समय देश के गृह मंत्री रहे सुशील कुमार शिंदे ने कहा कि मैंने पार्टी के प्लेटफॉर्म पर बोल दिया था. पार्टी के लोगों को ब्रीफ करना गलत बात नहीं है, उनको बताना कि ऐसा-ऐसा हो रहा है. जब उनसे पूछा गया कि आज आप रिटायर्ड हैं और अब पीछे मुड़कर देखते हैं तो क्या लगता है कि वो टर्म (भगवा आतंकवाद) सही था? शिंदे ने कहा कि पार्टी में बताया था, पब्लिक में नहीं. ये प्रश्न संसद में भी पूछा गया था.
साफ-साफ नहीं बोल पाए शिंदे
जब इंटरव्यू में सवाल उठाया गया कि भगवा तो शिवाजी महाराज से भी जुड़ा है, तो भगवा को आतंकवाद से क्यों जोड़ा गया? पूर्व गृह मंत्री ने कहा कि आतंकवाद शब्द लगाया… लेकिन सही बोलूं तो क्यों आतंकवाद शब्द लगाया मुझे पता नहीं है. लगाना नहीं चाहिए. भगवा टेररिस्ट – ऐसा नहीं होना चाहिए. पार्टी की विचारधारा होती है वो चाहे भगवा हो या रेड. ऐसा कुछ आतंकवाद नहीं होता है.
भाजपा ने शिंदे के इस बयान पर हमला बोला है. पार्टी के एक्स हैंडल से इंटरव्यू का एक हिस्सा शेयर करते हुए लिखा गया, ‘भगवा आतंकवाद पार्टी की विचारधारा थी… देखिए, UPA काल में गृहमंत्री रहे सुशील शिंदे ने खोली कांग्रेस के तुष्टिकरण की पोल!’ इस बार भगवा आतंकवाद की चर्चा ऐसे समय में हो रही है जब महाराष्ट्र का सियासी समीकरण बिल्कुल अलग है. पहले ठाकरे की शिवसेना भाजपा के साथ हुआ करती थी लेकिन भगवा की बात करने वाली शिवसेना अब दो हिस्सों में बंट चुकी है. ठाकरे सेना कांग्रेस के साथ है जबकि एकनाथ शिंदे वाली शिवसेना भाजपा के साथ है.
ऐसे में चुनावी मौसम में अगर यह मुद्दा गरमाता है या चुनाव प्रचार में इसे फिर से उछाला जाता है तो न सिर्फ कांग्रेस बल्कि ठाकरे सेना के लिए असहज स्थिति पैदा हो सकती है. कांग्रेस के कई नेताओं ने सवाल उठाया है कि इस समय यह मुद्दा क्यों उछाला जा रहा है?