विशेष रिपोर्टः हेमंतराव बी खानविलकर
नई दिल्ली। राज्यसभा सांसद और ग्वालियर के महाराजा ज्योतिरादित्य सिंधिया केंद्र को केंद्र में चौथा सबसे पावरफुल मंत्रालय सौंपा जा सकता है। केंद्र और संघ से हरी झंडी भी मिल चुकी है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने दूसरे कार्यकाल के मंत्रीमंडल का विस्तार जल्द ही करने वाले हैं। दिल्ली से भाजपा के बड़े नेता का माने तो मोदी कैबिनेट का विस्तार पितर पक्ष के बाद कभी भी किया जा सकता है। मोदी कैबिनेट विस्तार में इस बार युवा चेहरों को खास तरजीह दी जाएगी। जानकारों का कहना है कि अच्छा आउटपुट न दे पाने के कारण के कारण जहां कुछ मंत्रियों को हटाया जा रहा है तो वहीं कई नए चेहरों को मंत्रीमंडल में शामिल किया जा रहा है। इसमें जो चेहरा सबसे आगे है वो ग्वालियर राजघराने के महाराजा ज्योतिरादित्य सिंधिया का है। मोदी कैबिनेट विस्तार में ज्योतिरादित्य सिंधिया को न केवल कैबिनेट मंत्री बनाया रहा है बल्कि वो मोदी के टाप फोर पावरपुल मंत्रियों की श्रेणी में शामिल होंगे। इसको लेकर भाजपा हाईकमान और संघ मुख्यालय से हरी झंडी भी मिल चुकी है।
राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के पिछले दिनों नागपुर जाकर संघ प्रमुख मोहन भागवत और संघ के अन्य बड़े पदाधिकारियों के साथ मुलाकात के कई बड़े सियासी मायने निकाले जा रहे हैं। पर राजघराने से जुड़े कई वरिष्ठ लोगों की माने तो यह मुलाकात पिछले काफी समय से लंबित थी पर कोरोना के कारण यह संभव नहीं हो पा रहा था। नागपुर में संघ प्रमुख से साथ महाराजा सिंधिया के काफी देर तक अकेले में कई गंभीर मुद्दों पर विमर्श हुआ है। संघ प्रमुख और राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच हुई वार्ता का राजनीतिक जानकार कई मायने निकाल रहे हैं।
संघ से जुड़े एक बड़े पदाधिकारी की माने तो ज्योतिरादित्य सिंधिया के पूर्वज अपनी कट्टर हिंदुत्ववादी छवि के नेताओं के रूप में पहचानी जाती रही है। गौरतलब है कि जीवाजी राव कारण ही ग्वालियर अंचल में हिंदू महासभा बेहद मजबूत हुई थी। उस समय जीवाजी राव ने हिंदुत्व के उत्थान के लिए बड़े व्यापक पैमाने पर अभियान छेड़ा था। 1950 के दशक में हिंदू महासभा को चुनाव में मजबूत दावेदारी प्रस्तुत करवाने में भी जीवाजी राव का बेहद योगदान रहा है। चुनावों में हिंदू महासभा के प्रत्याशी के मैदान में उतारने से लेकर जितवाने तक में जीवाजी राव ही मुख्य कड़ी होते थे। अंचल में हिंदू महासभा को उन्होंने इतना अधिक मजबूत कर दिया था कि उस समय की सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस को 1957 के चुनाव में करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा था। जीवाजी राव के बाद राजमाता सिंधिया के योगदान को तो आरएसएस और जनसंघ कभी भूल ही नहीं सकता। कांग्रेस के कारण जब पूरे देश में जनसंघ के लिए रास्ते बंद करवा दिए गए थे उस वक्त राजमाता सिंधिया ने अपना पूरा खजाना जनसंघ के लिए खोल दिया था। उस वक्त कट्टर हिंदू वाली छवि की भाजपा के लालकृष्ण आडवाणी और अटल बिहारी वाजपेयी के साथ राजमाता सिंधिया हर मोर्चे में साथ नजर आई। इसके साथ ही राममंदिर आंदोलन में भी वो पूरी तरह से सक्रिय रही। और पार्टी को इस मुकाम तक पहुंचाने में उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता है।
हालांकि ज्योतिरादित्य सिंधिया की अपनी राजनीतिक पारी बेहद कम अवस्था में विपरीत परिस्थितियों के कारण कांग्रेस के साथ शुरू हुई। पर पिछले कुछ महीनों में बदले घटनाक्रम के बाद से श्रीमंत अब अपनी पूर्वजों वाली छवि में नजर आते दिख रहे हैं। तो वहीं संघ की महाराजा ज्योतिरादित्य सिंधिया के सपोर्ट में पूरी तरह से मैदान में है। ग्वालियर और चंबल अंचल की 16 सीटों पर श्रीमंत के समर्थकों को जिताने के लिए संघ पूरी तरह से कमर कस चुका है। इसके लिए पिछले दिनों ही क्षेत्र में विशेष प्रचारक और विस्तारक तैनात किए गए हैं। जिनकी पूरी तरह से मानिटरिंग संघ मुख्यालय नागपुर से की जा रही है। अंचल में श्रीमंत के लिए संकट पैदा करने वाले भाजपा नेताओं को भी विशेष संकेत दे दिए गए है कि पार्टी विरोधी काम उनके लिए काफी भारी पड़ सकता है।
संघ के अलावा देश की मराठा लाबी अब राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ एकजुट हो रही है। जो भविष्य के लिए बड़े संकेत की ओर इशार कर रहा है। प्रदेश की मराठा लाबी की अगर बात करें तो वो पूरी तरह से श्रीमंत के साथ खड़ी दिखती नजर आ रही है। इसका ज्वलंत उदाहरण पिछले दिनों उनके इंदौर दौरे के दौरान देखने को मिला। पूर्व सांसद और मराठा नेता कृष्णमुरारी मोघे ने जहां उन्हें पूरी समर्थन देने का वादा किया तो वहीं पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन के साथ उनकी मुलाकात काफी खास रही है। संघ की बेहद करीबी मानी जाने वाली सुमित्रा महाजन और राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ घंटेभर ज्यादा देर तक बातचीत हुई है। संघ की करीबी होने के साथ ही सुमित्रा महाजन एक मजबूत मराठा नेता के रूप में भी जानी जाती है। राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया जिस तरह से भाजपा में तेजी से कदम बढ़ा रहे हैं वो उनके पार्टी में शक्तिशाली होने का सबूत भी दे रहे हैं।