मनोज रौतेला की रिपोर्ट :
ऋषिकेश : कहते है रक्दान महादान होता है, कब किसकी जिंदगी बचा ले रक्त दान किया हुआ पता नहीं. तीर्थ नगरी में भी ऐसा ही हुआ. दरअसल, इस बार एक मासूम की जिंदगी बचाने के लिए आगे आये दो पुलिस कर्मी. एक का नाम है कमल जोशी है जो आरक्षी है और SOG देहात में तैनात है और दूसरे हैं कण्ट्रोलरूम में तैनात शशिकांत धीमान. दोनों को सूचना प्राप्त हुई व्हाट्सएप्प ग्रुप से कि बालिका को रक्त की जरुरत है जो एम्स में उपचाराधाधीन है. कमल जोशी जो है उन्होंने 37वीं बार स्वेच्छा से रक्तदान किया है. जो अपने आप में एक रिकॉर्ड भी है.
यह सूचना ऋषिकेश के रहने वाले और उत्तराखण्ड के सबसे बड़े रक्तवीर कहे जाने वाले स्थानीय पार्षद राजेंद्र प्रेम सिंह बिष्ट द्वारा स्थानीय व्हाट्सएप ग्रुप में सूचना दी गयी कि एम्स अस्पताल में 8 वर्षीय बालिका हेतु रक्त की आवश्यकता है। जिसकी जानकारी एसओजी प्रभारी देहात को ग्रुप के माध्यम से हुई। जिस के संबंध में स्वेच्छा से रक्तदान करने हेतु अपने अधीनस्थ कर्मचारियों को बताया गया। जिस पर एस.ओ.जी देहात में नियुक्त आरक्षी कमल जोशी व कंट्रोल रूम ऋषिकेश में नियुक्त आरक्षी शशिकांत धीमान के द्वारा एम्स अस्पताल के रक्त कोष में जाकर स्वेच्छा से 8 वर्षीय बालिका के इलाज हेतु अपना रक्तदान किया गया है।
स्वस्थ्य की दृष्टि से देखा जाये तो लोग एक दूसरे की मदद इसी तरह किसी न किसी रूप में करने लग जाएं तो काफी हद तक बीमारी का उपचार आम आदमी के लिए आसान हो जायेगा. देश की जितनी जनसँख्या है उसका सेवा और मदद के लिए उपयोग होने लग जाए तो काफी विकास कर सकता है देश. इसके लिए लोगों के बीच जागरूकता फैलाने की शख्त जरुरत है.
बहरहाल, दोनों पुलिसकर्मियों ने काबिल-ए-तारीफ काम किया है और उत्तराखण्ड पुलिस जो मित्र पुलिस भी कहलाती है उसका भी धर्म निभाया है साथ ही पुलिस बिभाग का नाम भी ऊंचा किया है. वहीँ बालिका के परिजनों ने दोनों पुलिसकर्मियों का धन्यवाद अदा किया और उत्तराखण्ड पुलिस की जमकर तारीफ की.