प्रदीप तिवारी की विशेष रिपोर्ट
रीवा। “अगर अजय सिंह ‘राहुल भैया’ कमलनाथ मंत्रीमंडल में होते तो प्रदेश में कांग्रेस सरकार नहीं गिरती।” यह चर्चा रीवा में आयोजित कार्यकर्ताओं की बैठक में कांग्रेस के कई स्थानीय नेता दिनभर करते रहे।
शनिवार को अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव एवं मध्यप्रदेश के प्रभारी मुकूल वासनिक तीन दिवसीय दौरे के दौरान रीवा संभाग में कार्यकर्ताओं की बैठक ली। बैठक के दौरान वे संभाग के सभी जिलों के कार्यकर्ताओं से संगठन की मजबूती को लेकर चर्चा की। प्रदेश में कांग्रेस सरकार गिरने के बाद यह पहला मौका था जब इतने बड़े स्तर पर क्षेत्र के कांग्रेसी कार्यकर्ता एकसाथ एक जगह पर इकट्ठा हुए थे।
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प्रदेश प्रभारी एक ओर जहां कार्यकर्ताओं की बैठक ले रहे थे तो वहीं दूसरी ओर कई कार्यकर्ताओं में खुसर फुसर जारी रही। इस दौरान कई कार्यकर्ता दबी जुबान में कहा कि आज प्रदेश में कांग्रेस की जो हालात है उसके लिए पार्टी के दिग्गज नेता ही जवाबदेह है। पंद्रह महीने सत्ता में रहने के बाद भी प्रदेश के बड़े नेता कोई बड़ा निर्णय नहीं ले पा रहे थे। पार्टी के बड़े नेताओं की तरफ कार्यकर्ताओं को न तो कोई जिम्मेदारी सौंपी गई और न ही कोई पद दिया गया। पंद्रह वर्षों के वनवास के बाद प्रदेश में कांग्रेस की सरकार आई थी, कार्यकर्ताओं को उम्मीद थी कि संगठन उनकी ओर ध्यान देगा। पर पंद्रह महीनों का लंबा वक्त गुजर गया लेकिन बड़े नेताओं ने कार्यकर्ताओं की ओर कोई सुध नहीं ली।
राहुल भैया होते तो ये दिन न आते
लंबी अवधि के बाद एकजुट हुए कांग्रेसी कार्यकर्तायों ने नेशनल फ्रंटियर के साथ बातचीत में कहा कि अगर अजय सिंह ‘राहुल भैय्या’ कमलनाथ सरकार में होते तो किसी सिंधिया में इतनी ताकत नहीं थी कि वो प्रदेश की कमलनाथ सरकार को यूं आसानी से गिरा देता। कार्यकर्ताओं ने कहा कि बीजेपी संगठन को यह बात पहले से पता थी इसलिए उन्होंने विधानसभा चुनाव के दौरान विंध्य में सिर्फ और सिर्फ राहुल भैय्या को टारगेट किया। कार्यकर्ताओं का कहना था कि राहुल भैय्या राजनीति के मझे हुए खिलाड़ी है।
कार्यकर्ताओं ने कहा कि वर्ष 2018 में प्रदेश में कांग्रेस सरकार आई तो इसमें अजय सिंह राहुल का बहुत बड़ा योगदान था। इससे पहले जब शिवराज सरकार थी तब राहुल भैय्या नेता प्रतिपक्ष रहते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के नाक में दम कर रखा था। उनके प्रश्नों के आगे पूरी बीजेपी की ढेर रहती थी। अभी भी राहुल भैय्या के सवालों से प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह भागते नजर आते हैं। कई कार्यकर्ताओं ने नेशनल फ्रंटियर से बातचीत में बताया कि राहुल भैय्या को अगर प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी भी सौंप दी जाती तो भी वो कमलनाथ सरकार को नहीं गिरने देते। पर उस वक्त पार्टी के बड़े नेता राहुल भैय्या को बड़ी जिम्मेदारी देने से बचते नजर आ रहे थे। आज उसी का परिणाम है कि 2018 के विधानसभा चुनाव में सबसे ज्यादा सीट जीतने के बाद भी पार्टी को विपक्ष में बैठना पड़ रहा है।