आनंद अकेला की रिपोर्ट
भोपाल। शिवराज मंत्रिमंडल के विस्तार की तैयारियां अंतिम दौर में चल रही हैं। ज्योतिरादित्य समर्थकों के मंत्रिपद तय होने के बाद अब बीजेपी से बड़ी संख्या में दावेदार दमखम ठोक रहे हैं। प्रदेश के पांचों अंचल में स्थिति विवादास्पद बनी हुई है। इससे बचने के लिए पार्टी एक नए फार्मूले पर काम कर रही हैं, जिसको लेकर विधायकों में आम सहमति बनती दिख रही हैं। पार्टी के फार्मूले के तहत अब सभी अंचल से चार से पांच मंत्री बनाए जाएंगे। जिसमें सबसे ज्यादा बार चयनित और वरिष्ठ विधायकों को पहले तरजीह दी जाएगी। ये फार्मूला लागू होने के बाद विंध्य से सीधी के केदारनाथ शुक्ला का मंत्री बनना तय माना जा रहा है।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान संगठन के नेताओं से चर्चा कर मंत्रिमंडल विस्तार को आखिरी रूप देने में जुटे हुए हैं। हालांकि मंत्रिमंडल में शामिल होने को लेकर खींचतान जिस स्तर तक पहुंच गई थी, उसे केंद्रीय नेतृत्व के हस्तक्षेप के बिना सुलझाने के आसार कम ही दिख रहे थे। ऐसे में संगठन और पार्टी हाईकमान अपने पुराने और सर्वमान्य फार्मूले को प्रदेश में लागू करने का सुझाव दिया है। इस फार्मूले का आधार प्रदर्शन और वरिष्ठता तय किया है। शिवराज मंत्रिमंडल में इस बार 24 से 25 मंत्रियों को जगह मिलने की संभावना है। जिसमें सात से आठ नाम ज्योतिरादित्य के कोटे से तय हैं। शेष में पार्टी के विधायकों को स्थान दिया जाएगा। प्रदेश के पांचों अंचल से दो-दो नाम के चयन का आधार वरिष्ठता और प्रदर्शन बनाया गया है जबकि शेष छह से आठ नाम पूर्ववर्ती भाजपा सरकार में बेहतर प्रदर्शन करने वाले मंत्रियों में से होंगे। इस फार्मूले के लागू होने से पार्टी के अंदर चल रहे अंतर्विरोध को लगाम लगाई जा सकी साथ ही सबकी आम सहमति भी बनी रहेगी।
विंध्य से केदारनाथ शुक्ला का नाम तय
विंध्य से भाजपा को लंबे समय से बड़ी सफलता मिलती आ रही है। यहां पार्टी का व्यापक जनाधार काफी बढ़ा है ऐसे में मंत्रिमंडल में यहां से कम से कम चार नामों को स्थान मिलना लगभग तय माना जा रहा है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने उमरिया जिले से मीना सिंह को पहले ही मंत्री बना दिया है जो कि अनुसूचित जनजाति कोटे का प्रतिनिधित्व कर रही हैं। सिंधिया समर्थक बिसाहूलाल साहू का भी मंत्री बनना तय है जो कि अनुसूचित जनजाति वर्ग का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। इसके अलावा शेष दो स्थानों के लिए राजेंद्र शुक्ला, केदारनाथ शुक्ला, गिरीश गौतम, दिव्यराज सिंह, रामलल्लू, शरतेन्दु तिवारी, अमर सिंह, कुंवर सिंह टेकाम, नागेन्द्र सिंह गुढ़ एवं नागेन्द्र सिंह नागौद सहित कई दावेदार और हैं। ऐसे में ये फार्मूला लागू करके न केवल विन्ध्य से अंतर्विरोध समाप्त कर देना है बल्कि अपने व्यापक जनाधार में सेंध लगाने से भी बचाना हैं। फार्मूले के अनुसार सीधी सीट के विधायक केदारनाथ शुक्ला चार बार चुनाव जीत चुके हैं, साथ ही वरिष्ठ होने के साथ व्यापक जनाधार वाले नेता भी है। सीधी संसदीय सीट में आठ विधानसभा सीटें है जिसमें से सात बीजेपी के खाते में है ऐसे में यह फार्मूला लागू होने पर केदारनाथ शुक्ला के चयन पर लगभग मुहर लग चुकी हैं। जबकि एक अन्य नाम रीवा जिले से चुना जाएगा। जिसमें पूर्व मंत्री वाला फार्मूला लागू करके राजेन्द्र शुक्ला को मंत्रिपद देने की संभावना अधिक है।
भोपाल, रायसेन और होशंगाबाद में यह है स्थिति
मंत्रिमंडल में शामिल होने के लिए भोपाल से दो प्रमुख दोवदार विश्वास सारंग एवं रामेश्वर शर्मा है, जबकि इस बार एक ही मंत्री बनाने की स्थिति है। रायसेन में प्रभुराम चौधरी मंत्री बनेंगे, जबकि राज्यपाल सिंह एवं सुरेंद्र पटवा भी दावेदार हैं। हरदा से कमल पटेल मंत्री बन चुके हैं, जबकि होशंगाबाद के सीतासरन शर्मा भी मंत्री बनना चाहते हैं। किसे लें छोड़ें, यह समस्या है। ऐसे में यहां से फार्मूला लागू होने के बाद नामों के चयन की समस्या खत्म हो जाएगी।
बुंदेलखंड में स्थिति पसोपेश में
बुंदेलखंड के सागर में गोविंद राजपूत मंत्री बन चुके हैं। इसके अलावा गोपाल भार्गव, भूपेंद्र सिंह एवं प्रदीप लारिया को लेकर माथापच्ची हो रही है। सवाल यह है कि अंचल में पन्ना, टीकमगढ़ एवं छतरपुर में कोई मंत्री बनेगा या नहीं। टीकमगढ़ एवं पन्ना के पूर्व मंत्री हरिशंकर खटीक एवं बृजेंद्र प्रताप सिंह प्रबल दावेदार हैं। छतरपुर से सपा के राजेश शुक्ला मंत्री बनना चाहते हैं। इसके लिए राजेश शुक्ला दो बार सीएम से मुलाकात कर चुके हैं। ऐसे में यहां फार्मूला लागू करके समस्या का समाधान आसानी से किया जा सकेगा।
मालवा-महाकौशल से भी चयन में समस्या
शिवराज सरकार के पिछले कार्यकाल में मालवा के प्रमुख शहर इंदौर से किसी को मंत्री नहीं बनाया गया था। इस बार बागी तुलसी सिलावट मंत्री बन चुके हैं। मंदसौर में हरदीप सिंह डंग का मंत्री बनना तय है। खंडवा से विजय शाह बड़े दावेदार है। इंदौर से कम से कम दो और मंत्री बनाने का दबाव है। रमेश मेंदोला, ऊषा ठाकुर एवं मालिनी गौड़ प्रमुख दावेदार हैं।