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Home कला संस्कृति

पितरों को मोक्ष दिलाने इस दिन रखें ये व्रत, जानें तिथि, महत्व और कथा

Jitendra Kumar by Jitendra Kumar
28/09/21
in कला संस्कृति, धर्म दर्शन, शुभ मुहूर्त
पितरों को मोक्ष दिलाने इस दिन रखें ये व्रत, जानें तिथि, महत्व और कथा

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नई दिल्ली l श्राद्ध पक्ष के दौरान पितरों की तृप्ति के लिए कई उपाय किए जाते हैं. 16 दिन तक चलने वाले पितृ पक्ष में तर्पण व श्राद्ध कर्म से प्रसन्न होकर पितृ प्रसन्न होते हैं और आशीर्वाद देते हैं. पितृ पक्ष के दौरान इंदिरा एकादशी का व्रत भी बहुत महत्वपूर्ण माना गया है. इस एकादशी का व्रत करने वाले मनुष्य की सात पीढ़ियों तक के पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है.

दो अक्टूबर को रखा जाएगा व्रत
आश्विन मास के कृष्ण पक्ष कि एकादशी को इंदिरा एकादशी कहा जाता है. इस साल ये एकादशी 2 अक्टूबर को है. इस एकादशी पर विष्णु जी के अवतार भगवान शालिग्राम की पूजा की जाती है. मान्यता है कि इस दिन व्रत करने से सात पीढ़ियों तक के पितरों को तो मोक्ष की प्राप्ति होती ही है, साथ ही व्रती के लिए ये व्रत बेहद लाभदायक होता है. ज्योतिषाचार्य डॉ. अरविंद मिश्र ने बताया कि एकादशी तिथि 1 अक्टूबर दिन शुक्रवार को रात 11 बजकर 03 मिनट से शुरू होगी. तथा इसका समापन 02 अक्टूबर दिन शनिवार को रात 11 बजकर 10 मिनट पर होगा. उदयाति​थि की वजह से इंदिरा एकादशी व्रत 02 अक्टूबर को रखा जाएगा.

इंदिरा एकादशी व्रत पूजा विधि
श्राद्ध पक्ष की एकादशी बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है. इस व्रत के लिए धार्मिक क्रियाएं दशमी से शुरू करें. इसी दिन से घर में पूजा-पाठ करें और दोपहर में नदी में तर्पण की विधि करें. यदि नदी में संभव न हो, तो घर के पास के किसी जलाशय, या घर की छत पर भी तर्पण कर सकते हैं. इसके पश्चात ब्राह्मण भोज कराएं और फिर स्वयं भी भोजन कर लें. याद रखें कि दशमी के दिन सूर्यास्त के बाद कुछ नहीं खाना है. एकादशी के दिन सुबह उठकर व्रत का संकल्प लें और स्नान करने के बाद श्राद्ध विधि करें एवं ब्राह्मणों को भोजन कराएं. इसके बाद गाय, कौवे और कुत्ते को भी भोजन कराएं. व्रत के अगले दिन द्वादशी को भी पूजन के बाद ब्राह्मण को भोजन कराएं और दान-दक्षिणा दें. इसके बाद परिवार के साथ मिलकर भोजन करें.

इंदिरा एकादशी की व्रत कथा
पौराणिक कथा के अनुसार सतयुग में महिष्मती नाम के नगर में इंद्रसेन नाम के एक राजा थे. उनके माता-पिता का स्वर्गवास हो चुका था. एक रात उन्हें सपना आया, जिसमें उन्होंने देखा कि उनके ​माता-पिता नर्क में रहकर अपार कष्ट भोग रहे हैं. इस स्वप्न से राजा बहुत चिंतित हो उठे. इस स्वप्न को लेकर उन्होंने विद्वान ब्राह्मणों और मंत्रियों को बुलाकर बात की. जिसके बाद ब्राह्मणों ने उन्हें बताया कि ‘हे राजन यदि आप सपत्नीक इंदिरा एकादशी का व्रत करें, तो आपके पितरों की मुक्ति मिल जाएगी. इस दिन आप भगवान शालिग्राम की पूजा करें और ब्राह्मणों को भोजन कराकर दक्षिणा दें. इससे आपके माता-पिता स्वर्ग चले जाएंगे.’ राजा ने ब्राह्मणों की बात मानकर विधिपूर्वक इंदिरा एकादशी का व्रत किया. रात्रि में जब वे सो रहे थे, तभी भगवान ने उन्हें दर्शन देकर कहा कि ‘राजन तुम्हारे व्रत के प्रभाव से तुम्हारे पितरों को मोक्ष की प्राप्ति हुई है.’


खबर इनपुट एजेंसी से

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