Thursday, May 15, 2025
नेशनल फ्रंटियर, आवाज राष्ट्रहित की
  • होम
  • मुख्य खबर
  • समाचार
    • राष्ट्रीय
    • अंतरराष्ट्रीय
    • विंध्यप्रदेश
    • व्यापार
    • अपराध संसार
  • उत्तराखंड
    • गढ़वाल
    • कुमायूं
    • देहरादून
    • हरिद्वार
  • धर्म दर्शन
    • राशिफल
    • शुभ मुहूर्त
    • वास्तु शास्त्र
    • ग्रह नक्षत्र
  • कुंभ
  • सुनहरा संसार
  • खेल
  • साहित्य
    • कला संस्कृति
  • टेक वर्ल्ड
  • करियर
    • नई मंजिले
  • घर संसार
  • होम
  • मुख्य खबर
  • समाचार
    • राष्ट्रीय
    • अंतरराष्ट्रीय
    • विंध्यप्रदेश
    • व्यापार
    • अपराध संसार
  • उत्तराखंड
    • गढ़वाल
    • कुमायूं
    • देहरादून
    • हरिद्वार
  • धर्म दर्शन
    • राशिफल
    • शुभ मुहूर्त
    • वास्तु शास्त्र
    • ग्रह नक्षत्र
  • कुंभ
  • सुनहरा संसार
  • खेल
  • साहित्य
    • कला संस्कृति
  • टेक वर्ल्ड
  • करियर
    • नई मंजिले
  • घर संसार
No Result
View All Result
नेशनल फ्रंटियर
Home कला संस्कृति

जानें आखिर कैसे हुई थी रुद्राक्ष की उत्पत्ति, क्या है धारण करने का धार्मिक महत्व

Jitendra Kumar by Jitendra Kumar
27/07/22
in कला संस्कृति, धर्म दर्शन
जानें आखिर कैसे हुई थी रुद्राक्ष की उत्पत्ति, क्या है धारण करने का धार्मिक महत्व
Share on FacebookShare on WhatsappShare on Twitter

भगवान भोलेनाथ की पूजा में रुद्राक्ष का विशेष महत्व है. इसकी उत्पत्ति को लेकर कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं. रुद्राक्ष रुद्र और अक्ष दो शब्दों से मिलकर बना है. रुद्र का अर्थ शिव होता है और अक्ष का मतलब भगवान शिव की आंख से है. रुद्राक्ष की उत्पत्ति को लेकर कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं, आइए जानते हैं कि आखिर कैसे हुई थी रुद्राक्ष की उत्पत्ति.

एक बार भगवान शंकर गहरे ध्यान में चले गए थे. हजारों साल तक गहरे ध्यान के बाद जब उन्होंने अपनी आंखें खोलीं, तो उनके आंखों से आंसुओं की बूंदें जमीन पर गिरी थीं. इन्हीं आंसुओं से रुद्राक्ष के पेड़ पैदा हुए थे. भगवान भोले नाथ की आंखों के आंसुओं से उत्पन्न होने के कारण इस पेड़े के फलों को रुद्राक्ष नाम मिला.

रुद्राक्ष को लेकर एक और पौराणिक कथा प्रचलित है. इसके अनुसार, त्रिपुरासुर नाम के दैत्य को अपनी ताकत के कारण अहंकार हो गया था. ऐसे में उसने देवताओं को परेशान करना शुरू कर दिया. परेशान सभी देवता भगवान ब्रह्मा, विष्णु और भोलेनाथ की शरण में गए. उनकी पीड़ा सुनकर भगवान भोलेनाथ गहरे ध्यान में चले गए और आंख खोलने से आंसू जमीन पर गिरे, जिससे रुद्राक्ष की उत्पत्ति हुई.

मान्यता है कि रुद्राक्ष में साक्षात शिव बसते हैं. रुद्राक्ष धारण से रूद्र की कृपा बनी रहती है. इसे धारण करने से नकारात्मक शक्तियां पास नहीं फटकती है. रुद्राक्ष का पेड़ पहाड़ी इलाकों में पाया जता है. नेपाल, बर्मा, थाईलैंड या इंडोनेशिया में यह पेड़ बहुतायत में पाया जाता है. भारत में भी कई पहाड़ी इलाकों में विशेष ऊंचाई पर यह पेड़ पाया जाता है.अलग-अलग मुख वाले रुद्राक्ष अलग-अलग देवताओं को समर्पित हैं. हालांकि, पांच मुखी रुद्राक्ष को कोई भी धारण कर सकता है.

एक मुखी रुद्राक्ष को भगवान शंकर, दो मुखी रुद्राक्ष अर्द्धनारीश्वर, तीन मुखी रुद्राक्ष अग्नि, चार मुखी रुद्राक्ष ब्रह्म, पांच मुखी कालाग्नि, छह मुखी रुद्राक्ष कार्तिकेय, सात मुखी रुद्राक्ष कामदेव, आठ मुखी रुद्राक्ष गणेश और भगवान भैरव, नौ मुखी रुद्राक्ष मां भगवती और शक्ति, 10 मुखी रुद्राक्ष दशों-दिशाओं और यम, 11 मुखी रुद्राक्ष भगवान शिव, 12 मुखी रुद्राक्ष सूर्य, 13 मुखी रूद्राक्ष विजय और सफलता और चौदह मुखी रुद्राक्ष भगवान शंकर का स्वरूप माना जाता है.

हिंदू धर्म के अनुसार, सावन में पूर्णिमा या अमावस्या को तीन मुखी रुद्राक्ष धारण करने से ब्रह्मा, विष्णु, महेश का आशीर्वाद मिलता है. तीन मुखी रुद्राक्ष धारण करने से व्यक्ति के जीवन में तेज आता है. मेष, वृश्चिक और धनु राशि वाले लोगों के लिए तीन मुखी रुद्राक्ष धारण करना अति फलदायी माना जाता है.

 

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

About

नेशनल फ्रंटियर

नेशनल फ्रंटियर, राष्ट्रहित की आवाज उठाने वाली प्रमुख वेबसाइट है।

Follow us

  • About us
  • Contact Us
  • Privacy policy
  • Sitemap

© 2021 नेशनल फ्रंटियर - राष्ट्रहित की प्रमुख आवाज NationaFrontier.

  • होम
  • मुख्य खबर
  • समाचार
    • राष्ट्रीय
    • अंतरराष्ट्रीय
    • विंध्यप्रदेश
    • व्यापार
    • अपराध संसार
  • उत्तराखंड
    • गढ़वाल
    • कुमायूं
    • देहरादून
    • हरिद्वार
  • धर्म दर्शन
    • राशिफल
    • शुभ मुहूर्त
    • वास्तु शास्त्र
    • ग्रह नक्षत्र
  • कुंभ
  • सुनहरा संसार
  • खेल
  • साहित्य
    • कला संस्कृति
  • टेक वर्ल्ड
  • करियर
    • नई मंजिले
  • घर संसार

© 2021 नेशनल फ्रंटियर - राष्ट्रहित की प्रमुख आवाज NationaFrontier.