नई दिल्ली। शनिवार को 3 बजे 2024 के आम चुनाव की तारीखों का ऐलान हो जाएगा. चुनाव की तारीखों से पहले ही कई राज्यों में सत्ता के समीकरण नए सिरे से बने बिगड़े हैं. कहीं गठबंधन का नया स्वरूप सामने आय़ा है तो कहीं पहले से चले आ रहे गठबंधन टूटे हैं. हरियाणा से लेकर तमिलनाडु, बिहार, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश तक किस तरह गठबंधनों का स्वरूप बदला है, आइये जानते हैं.
हरियाणा: JJP और BJP में अलगाव
हाल ही में हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी और जेजेपी (जननायक जनता पार्टी) के रास्ते अलग हो गए. दोनों दल साथ में 4 साल साल से भी अधिक समय से प्रदेश सरकार चला रहे थे मगर लोकसभा चुनाव से पहले दोनों ने एक दूसरे को नमस्ते कर दिया. जानकार इस कदम को दोनों पार्टियों के लिए जीत की स्थिति बता रहे हैं.
फिलहाल पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता भूपेंदर सिंह हुड्डा को जाट वोटों का सबसे बड़ा दावेदार माना जा रहा है. ऐसे में बीजेपी और जेजेपी के अलग होने से जाट वोट बंटेंगे क्योंकि जेजेपी का भी वोट बेस जाट ही है. वहीं, बीजेपी ने ओबीसी नेता को मुख्यमंत्री बनाकर इस वर्ग की बड़ी आबादी तक पहुंचने का रास्ता अख्तियार कर लिया है.
बिहार: साथ आना तो कभी अलग हो जाना
जनता दल यूनाइटेड औऱ भारतीय जनता पार्टी के एक साथ आ जाने से बिहार में ये गठबंधन काफी मजबूत हो गया है. कभी एख दूसरे को जी भर बुरा-भला कहने वाले भारतीय जनता पार्टी और जनता दल यूनाइटेड के सदस्य अब लोकसभा चुनाव में एक दूसरे की तारीफ कर रहे हैं.
बिहार में लोकसभा की 40 सीटें हैं और वह सत्ता की चाह रखने वाली किसी भी पार्टी के लिए काफी अहम हैं. 2014 के आम चुनाव में एनडीए राज्य में 31 लोकसभा सीटें जीतीं जबकि 2019 में ये संख्या बढ़कर 39 सीटों तक पहुंच गई. अब भाजपा की कोशिश होगी की वह 2019 के चुनाव परिणाम को दोहराए.
कर्नाटक में नया सियासी समीकरण
2019 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी के साथ जाने के बाद अब जनता दल सेक्युलर (जेडीएस) कर्नाटक में 2024 के लोकसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी के साथ हाथ मिला चुकी है. भारतीय जनता पार्टी की विधानसभा चुनाव में हुई हार के बाद जनता दल सेक्युलर और बीजेपी का गठबंधन हुआ. दोनों दलों के बीच सीट बंटवारे के समझौते के अनुसार चार सीटें जेडीएस के लिए छोड़ी जाएंगी जबकि 24 सीटों पर बीजेपी के उम्मीदवार चुनाव लड़ेंगे.
आंध्र प्रदेशः बीजेपी-टीडीपी का साथ
बीजेपी ने 6 फरवरी, 2024 को आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू के नेतृत्व वाली तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) के साथ चुनावी गठबंधन कर ली. बीजेपी और टीडीपी का रिश्ता बहुत पुराना है. टीडीपी 1996 में एनडीए में शामिल हुई थी और अटल बिहारी वाजपेयी से लेकर नरेंद्र मोदी की सरकार में साथ मिलकर काम किया था. अब दोनों पार्टियां साथ में लोकसभा औऱ विदानसभा चुनाव लड़ रही हैं.
ओडिशा: बीजेडी-बीजेपी आएंगे करीब?
नवीन पटनायक की बीजेडी 15 साल बाद लोकसभा और राज्य चुनावों के लिए बीजेपी से हाथ मिलाने जा रही है. हालाँकि बीजेडी ने 2009 में बीजेपी से नाता तोड़ लिया था, लेकिन बीजेडी ने आम तौर पर संसद में मोदी सरकार के एजेंडे का समर्थन ही किया है. ऐसे में लोकसभा से पहले इनका साथ आना सियासी समीकरण बना-बिगाड़ सकता है.
उत्तर प्रदेशः सुभासपा और आरएलडी
पांच साल बाद उत्तर प्रदेश में भाजपा और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी सहयोगी के तौर पर साथ आ गए हैं. जाहिर तौर पर इसका असर लोकसभा चुनाव में भी दिखेगा. उधर राष्ट्रीय लोक दल भी बीजेपी के साथ लौट आई है. इस तरह इनके सामने कांग्रेस और समाजवादी पार्टी का ही गठबंधन रह गया. चुनाव से पहले राजनीतिक दलों का आना जाना जाहिर तौर पर असर डालेगा.
2019 लोकसभा चुनाव के लिए सपा और बसपा ने 26 साल बाद फिर से हाथ मिलाया था लेकिन उनको वो नतीजा नहीं मिला जो वे चाहते थे. 2017 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस और सपा एक साथ लड़े लेकिन असफल रहे. इस बार समाजवादी पार्टी और कांग्रेस का गठबंधन भाजपा और बसपा के सामने क्या गुल खिलाता है, इस पर नजर रहेगी.
महाराष्ट्र: शिवसेना और एनसीपी
25 साल के गठबंधन के बाद 2019 में शिवसेना और बीजेपी की राहें अलग हो गईं. महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए शिवसेना ने एनसीपी और कांग्रेस के साथ गठबंधन किया. सबसे बड़ी पार्टी बीजेपी को विपक्ष में बैठना पड़ा. जून 2022 में, बीजेपी ने बड़ा दांव चला और शिवसेना दो गुटों में बंट गई. वहीं, जून 2023 में अजित पवार ने एक तरह से कहें तो एनसीपी को हाईजैक कर लिया और अब शरद पवार की अगुवाई वाली एनसीपी का एक गुट कांग्रेस के साथ है जबकि अजित पवार का गुट भारतीय जनता पार्टी के साथ.
पंजाब: शिरोमणि अकाली दल और बीजेपी
शिअद और भाजपा 1996 में गठबंधन के सहयोगी बने थे लेकिन कृषि बिल को लेकर 2020 में अलग हो गए.
दिल्ली: कांग्रेस और भाजपा का साथ
2013 के बाद AAP और कांग्रेस ने फिर से हाथ मिलाया है. आप दिल्ली में 4 और कांग्रेस 3 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. वहीं, पंजाब में वे अलग से चुनाव लड़ेंगे.
तमिलनाडु में गठबंधन
2016 में जयललिता के निधन के बाद अन्नाद्रमुक ने भाजपा के साथ अपने संबंधों को सुधारना शुरू किया. इसके बाद 2019 के लोकसभा चुनाव और 2021 के राज्य विधानसभा चुनाव के दौरान दोनों ने एक साथ चुनाव लड़ा. लेकिन पिछले साल दोनों पार्टियों का गठबंधन टूट गया. ऐसे में, इस चुनाव में एआईएडीएमके और बीजेपी आमने सामने होंगे. इनका मुकाबला कांग्रेस और डीएमके के गठबंधन से होगा.