वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार किसी व्यक्ति के कार्यों में बाधाएं तब आती हैं जब ग्रह उस संबंधित व्यक्ति की कुंडली में नकारात्मक असर डालने लगते हैं. किसी सुयोग्य लड़का या लड़की के विवाह में अड़चन या देर का कारण कुंडली में दोष एक कारण हो सकता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुंडली में कुछ ऐसे ग्रह दोष होते हैं जिससे लाख कोशिश करने पर भी विवाह में देरी होती है. आइए जानते हैं विवाह में देरी के लिए कौन-कौन से ग्रह किसी तरह से बाधा डालते हैं और इस दोष को दूर करने के कुछ ज्योतिषीय उपाय.
कुंडली में इन दोष के कारण विवाह में होती है देरी
1-कुंडली का सातवां भाव जीवनसाथी का माना जाता है. अगर इस भाव में बुध और शुक्र दोनों ग्रह एक साथ विराजमान हों तो विवाह में देरी होती है.
2-अगर किसी व्यक्ति की कुंडली के चौथे या लग्न भाव में मंगल ग्रह बैठे हों या फिर सातवें भाव में शनि हो तो व्यक्ति की रुचि विवाह में नहीं होती है.
3- इसके अलावा कुंडली के सातवें भाव में शनि और गुरु दोनों हो तो विवाह में देरी होती है.
4- चंद्रमा से सातवें भाव में गुरु होने पर विवाह में देरी होती है.
5-अगर किसी की कुंडली में चंद्रमा की राशि कर्क से गुरु सप्तम भाव में हो विवाह देरी से होता है.
6- जब सूर्य, मंगल लग्न भाव के स्वामी पर दृष्टि रखते हैं और गुरु 12वें भाव में बैठा हो व्यक्ति की रुचि विवाह में नहीं होती है.
7- जब किसी जातक की कुंडली में पहला , सप्तम और 12वें भाव में गुरु या कोई अन्य शुभ ग्रह योग कारक न हो तो विवाह में देरी और तरह-तरह की बाधाएं आती हैं. इसके अलावा चंद्रमा के कमजोर होने पर विवाह में बाधाएं आती हैं.
8- वहीं जब राहु की दशा में शादी हो और राहु सातवें भाव को नुकसान पहुंचा रहा हो तो व्यक्ति की शादी ज्यादा दिनों तक नहीं चलती है.
जल्दी विवाह के उपाय
– ज्योतिष शास्त्र की गणना के अनुसार गुरु, शनि और मंगल ग्रह के कमजोर होने पर व्यक्ति का विवाह देरी से होता है इसलिए इन ग्रहों को शांत करने के उपाय करें.
– जिन कन्याओं का विवाह में देर लग रहा उन्हें भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष पूजा आराधना करनी चाहिए. पूजा में लड़कियों को सोमवार और सावन के महीने के सभी सोमवार पर व्रत, पूजा और कथा सुननी चाहिए. पूजा में सुहाह की चीजों को जरूर चढ़ाएं इस ज्योतिषीय उपाय से विवाह में आने वाली सभी तरह की बाधाएं फौरन ही दूर हो जाती हैं.
– विवाह संबंधी मनोकामनाओं को पूरा करने के लिए गुरुवार के दिन व्रत रखते हुए भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की उपासना करें.