नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव में सपा के साथ गठबंधन में छह संसदीय सीटें जीतने से उत्तर प्रदेश में लगभग तीन दशक से निढाल पड़ी कांग्रेस को संजीवनी मिल गई। यही कारण है कि ऊर्जीकृत प्रदेश इकाई ने माहौल बनाए रखने के लिए 10 सीटों पर होने जा रहे उपचुनाव में सपा के बराबर पांच सीटों पर चुनाव लड़ने का प्रस्ताव हाईकमान को भेज दिया, लेकिन कांग्रेस की तरह ही सपा की नजर भी 2027 के विधानसभा चुनाव पर है और वह कांग्रेस को अपनी जमीन देने के मूड में नहीं है। सपा से संकेत सिर्फ दो सीटों का मिला है और सपा की बैसाखी पर टिकी कांग्रेस भी समझौते की मजबूरी में ठिठकती नजर आ रही है।
पिछले उपचुनाव में क्या थे नतीजे?
सभी दलों ने अपनी तैयारी शुरू कर दी है। पिछले विधानसभा चुनाव में इन दस में से पांच सीटें सपा जीती थी, जबकि तीन पर भाजपा और एक पर उसकी सहयोगी निषाद पार्टी जीती। एक सीट रालोद ने सपा के साथ गठबंधन में रहते हुए जीती थी, लेकिन अब वह भाजपा के साथ है। ऐसे में सपा बेहद उत्साहित है, क्योंकि पिछले परिणाम को देखते हुए उसका पलड़ा भारी है। ऐसे में कांग्रेस ने भी सपा के सहारे अपने विस्तार की आस जोड़ ली। वर्तमान में कांग्रेस के पास विधानसभा की मात्र दो सीटें हैं और लोकसभा चुनाव में सपा के साथ गठबंधन का लाभ मिलने से उसकी सीटें एक से बढ़कर छह पर पहुंच गईं। ऐसे में कांग्रेस की प्रदेश इकाई की ओर से पार्टी हाईकमान को प्रस्ताव दे दिया कि पांच सीटों पर सपा लड़े और जिन सीटों पर भाजपा या उसकी सहयोगी दल जीते थे, वह कांग्रेस को लड़ने के लिए दी जाएं।