रामपुर : मैनपुरी और खतौली में मिली हार के बीच रामपुर की जीत बीजेपी के लिए वैसे भी बड़ी है लेकिन इस सीट के समीकरणों के चलते इसका महत्व और भी बड़ा हो गया है। इस सीट पर जीत और सपा के कद्दावर नेता आजम खान के गढ़ में सेंध लगाने के लिए भाजपा ने इस बार हर तरह की जुगत लगाई। हिन्दुत्व का एजेंडा पीछे छोड़ मुस्लिमों को भी गले लगाया, हर वर्ग को साधने के लिए जाति-धर्म के हिसाब से मंत्रियों को जिम्मेदारी दी, पिछड़े मुस्लिमों को रिझाने के लिए पसमांदा सम्मेलन कराया और अंतत मतदान के दिन भी ऐसी रणनीति बनाई कि सपा की सारी तैयारी ध्वस्त हो गई। आकाश सक्सेना की जीत ने एक नया इतिहास गढ़ा है। उन्होंने जीत पर रामपुर की जनता का आभार जताया है।
रामपुर सीट का जातिगत आंकड़ा काफी अलग है। यहां 40 फीसदी हिन्दू मतदाता हैं जबकि 60 प्रतिशत मुस्लिम वोटर। वर्ष 1980 में आजम खां यहां से पहली बार विधायक चुने गए थे। वह सिर्फ 1996 में कांग्रेस के अफरोज अली खां से पराजित हुए थे। वर्ना तब से वह ही जीतते रहे। इस बार वह दसवीं दफा विधायक चुने गए थे। यह बात अलग है कि भड़काऊ भाषण के मामले में उन्हें सजा हुई और विधायकी चली गई थी। जिसके चलते यहां विस सीट पर उप चुनाव हुआ।
आजम की परंपरागत सीट थी रामपुर
रामपुर आजम खां की परंपरागत सीट मानी जाती थी। वर्ष 2019 में लोकसभा चुनाव जीतने के बाद आजम ने इस सीट से इस्तीफा दिया और उप चुनाव में अपनी पत्नी तजीन फात्मा को विधायक बनवाया। वर्ष 2022 में वह सीतापुर की जेल में रहकर विस चुनाव लड़े और जीत दर्ज करायी। उन्होंने भाजपा प्रत्याशी रहे आकाश सक्सेना को करीब 55 हजार मतों के अंतर से पराजित किया था। तब आकाश सक्सेना को 76084 वोट मिले थे।
पूर्व के परिणामों से सबक
दरअसल, आठ माह पूर्व हुए विस चुनाव में भाजपा को महज 34.62 प्रतिशत वोट मिले थे जबकि, सपा के खाते में सर्वाधिक 59.71 प्रतिशत वोट आए थे। आजम के संसदीय सीट से इस्तीफा देने के बाद यहां लोस उप चुनाव हुआ। चंद माह पूर्व हुए लोस उप चुनाव में भाजपा से घनश्याम सिंह लोधी और सपा से आसिम राजा प्रत्याशी थे। बेशक, इस उप चुनाव में भाजपा कमल खिलाने में कामयाब रही लेकिन, इस संसदीय क्षेत्र की शहर विस सीट से भाजपा को करारी हार मिली थी। इस उप चुनाव में शहर विस क्षेत्र से भाजपा को 56317 तो सपा को 63953 वोट मिले थे।
यहां हमेशा मुस्लिम विधायक बना
यहां मुस्लिम मतदाता बड़ी संख्या में हैं। इसी कारण रामपुर में आजादी के बाद से अब तक हुए सभी चुनाव में मुसलमान ही विधायक बनते रहे हैं। भाजपा का कमल यहां कभी नहीं खिल सका है, लेकिन इस बार भाजपा पूरे दमखम से चुनाव मैदान में उतरी और बाजी मार ली।