नई दिल्ली: आज 6 अगस्त है और आज ही के दिन 78 साल पहले यानी साल 1945 में अमेरिका ने जापान के शहर हिरोशिमा पर परमाणु बिम गिराया था. ये पहला मौका था जब दुनिया के किसी देश युद्ध में किसी दूसरे देश के खिलाफ परमाणु बम का इस्तेमाल किया था. अमेरिका के इस हमले से जापान बुरी तरह से प्रभावित हुआ. दुनिया के तमाम देश भी इस हमले से सहम गए. यही नहीं इसके तीन दिन बाद यानी 9 अगस्त 1945 को अमेरिका ने एक बार फिर से जापान पर परमाणु बम गिराया. इस बार अमेरिका ने जापान के नागासाकी शहर को निशाना बनाया. दोनों हमलों में लाखों लोग मारे गए. उसके बाद फैले रिडिएशन ने भी हजारों लोगों की जान ले ली.
हमले के बाद जापान ने किया था सरेंडर
बता दें कि 6 अगस्त 1945 की सुबह करीब सवा आठ बजे अचानक हिरोशिमा पर अमेरिका के बी29 बॉम्बर एनोला गे ने लिटिल बॉय नाम का परमाणु बम गिरा दिया. इस बम में 20 हजार टन के टीएनटी से भी ज्यादा ताकत थी. अमेरिकी सर्वे में बताया गया कि इस बम को शहर के मध्य यानी केंद्र में गिराया गया. जिससे 80 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो गई. इस हमले के बाद जापान ने मित्र देशों के गठबंधन के सामने सरेंडर कर दिया.
इसके बाद ही एशिया में द्वितीय युद्ध का औपचारिक समाप्ति हो गई. लेकिन इससे पहले अमेरिका ने 9 अगस्त को नागासाकी शहर पर सुबह करीब 11 बजे द फैट मैन नाम का एक और परमाणु बम गिराया. जिसमे 40 हजार से ज्यादा लोग मारे गए. एक सर्वे में कहा गया कि नागासाकी में कम नुकसान कम हुआ था क्योंकि परमाणु बम एक घाटी में गिरा. जिसकी वजह से इसका असर ज्यादा नहीं फैला. इस बम का असर 1.8 वर्ग मील तक हुआ.
इन्हीं दो शहरों पर क्यों गिराए गए परमाणु बम
जापान के हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बम गिराने के पीछे अमेरिका के कई कारण थे. दरअसल, तत्तकालीन अमेरिकी राष्ट्रपति हैरी ट्रूमन चाहते थे कि शहर ऐसे हों जिन पर बम गिराने का पर्याप्त असर हो. जहां सैन्य उत्पादन अधिक हो. जिससे जापान की युद्ध क्षमता को सबसे ज्यादा नुकसान हो. हिरोशिमा इन सब चीजों के लिए उपयुक्त स्थान था. जो जापान का सातवां बड़ा शहर था साथ ही ये शहर अपने देश की दूसरी सेना और चुगोकु सेना का हेडक्वार्टर था. इसमें देश के सबसे बड़े सैन्य आपूर्ति भंडार गृह मौजूद थे.