देहरादून: मोदी सरकार वक्फ कानून में बदलाव कर चुकी है, जिसका सीधा असर पूरे देश के साथ ही देवभूमि उत्तराखंड में भी पड़ना तय है. उत्तराखंड में वक्फ की पांच हजार से ज्यादा संपत्तियां हैं, जिन्हें सालों से लोग बिना किराया दिए ही कब्जाए हुए हैं. साथ ही कुछ जमीनें भू माफिया की निगाह में भी हैं. ऐसे में बड़ा सवाल ये है क्या नया कानून इन माफियाओं से वक्फ को निजात दिलाएगा.
खूबसूरत धरती पर भू माफिया की नजर
देवभूमि उत्तराखंड की इस खूबसूरत धरती पर भू माफिया की नजर है. इसी भू माफिया का एक रूप है वक्फ माफिया…जो देवभूमि में मौजूद वक्फ की जमीनों पर कब्जाकर मौज काटता आया है. कमजोर वक्फ बोर्ड की वजह से इसकी संपत्तियां खुर्दबुर्द होती चली गई. इसके दो नमूने पिछले दिनों नैनीताल के रामगढ़ और रुड़की के पिरान कलियर में देखने को मिले.
क्या बोले ये लोग?
इस मामले में उत्तराखंड के अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष मजहर नईम नवाब ने कहा कि जाहिर है देश में अकबर अहमद डम्पी एक वक्फ माफिया है. ऐसे कई और माफिया हैं जो वक्फ की इन बेशकीमती जमीनों के वारे न्यारे कर रहे हैं. इसलिए बीजेपी नेता इस कानून को नई उम्मीदों वाला कानून बता रहे हैं.
वहीं, भाजपा नेता अनिल कपूर ने कहा कि मुस्लिम धर्म गुरु और वक्फ से जुड़े लोग अभी भी ये मानने को तैयार नहीं कि वक्फ कानून में संशोधन के पीछे सरकार की मंशा अच्छी है. वो खुलकर सरकार की मंशा पर सवाल उठा रहे हैं.
‘मुस्लिम धर्म गुरुओं का अपना डर’
वक्फ़ से जुड़े पदाधिकारी मौलाना हशमत अली ने कहा कि जाहिर है मुस्लिम धर्म गुरुओं का अपना डर है. दरअसल, वक्फ का मतलब दान है और ये दान जानों की शक्ल में मस्जिद, मजारों, मदरसों, कब्रिस्तान या किसी अन्य धार्मिक कार्यों या गरीबों की मदद के लिए दिया जाता है. इसका वक्फ में दर्ज होना बाकी है, लेकिन यहीं पर अभी तक खेल हुआ है. कई जगह सरकारी और निजी जमीनों को भी वक्फ में दर्ज कर लिया गया, जिस पर बाद में भू माफियाओं ने कब्जा कर लिया. इससे ना जमीन बची और ना ही मुस्लिम समाज का भला है. ऐसे में नया कानून इस मनमानी पर शिकंजा कसने वाला है.