नई दिल्ली: उत्तराखंड में साधु संतों के अखाड़े और आश्रमों में लोग बाग शांति की तलाश में आते हैं और सुखद अनुभूति के लिए इन आध्यात्मिक केंद्रों को एक अच्छा केंद्र मानते हैं परंतु आजकल ये अखाड़े और आश्रम विवादों में घिरते जा रहे हैं। जो साधु संत कभी हिमालय की कंदराओं में ज्ञान ध्यान के लिए तपस्या करने जाते थे, आज वे आश्रमों और अखाड़ों की भू संपदा के बंटवारे के लिए एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं।
इन्हीं भू संपत्तियों के चक्कर में कई साधुओं का अपहरण हो चुका है। कई की हत्या की जा चुकी है। 14 अप्रैल 2012 को हरिद्वार के महानिर्वाणी पंचायती अखाड़ा के महंत सुधीर गिरि हत्याकांड और 16 सितंबर 2017 को हरिद्वार मुंबई लोकमान्य तिलक ट्रेन में मुंबई जाते समय श्री पंचायती उदासीन बड़ा अखाड़ा के कोठारी महंत मोहन दास के अपहरण ने इस देवभूमि उत्तराखंड को हिला कर रख दिया था। श्री निर्मल पंचायती अखाड़े में कब्जे को लेकर पंजाब से आए साधु-संतों और स्थानीय संतों में जबरदस्त टकराव हुआ था।
श्री निर्मल पंचायती अखाड़े के श्री महंत ज्ञानदेव सिंह महाराज ने भाजपा के एक नेता तथा नगर निगम हरिद्वार के एक पार्षद के साथ अखाड़े की जमीन को खुर्द-बुर्द करने के आरोप में अखाड़े के सचिव महंत बलवंत सिंह को निष्कासित कर दिया था, उसके बाद अखाड़े में वर्षों साधु-संतों में तनातनी होती रही। अब हाल की घटना श्री उदासीन पंचायती बड़ा अखाड़ा ,राजघाट, कनखल के महंतों में अखाड़े की संपत्ति को लेकर चल रहे विवाद को लेकर है।
श्री पंचायती उदासीन बड़ा अखाड़ा के चार में से तीन सर्वोच्च महंतों ने अखाड़े की संपत्ति को खुर्द-बुर्द करने के आरोप में अखाड़े की पश्चिम पंगत के महंत रघु मुनि महाराज, कनखल शाखा के कोठारी महंत दामोदर दास महाराज, फेरूपुर-हरिद्वार के महंत दर्शन दास महाराज तथा प्रयागराज के महंत अग्र दास महाराज समेत चार महंतों को अखाड़े से निष्कासित कर दिया है।
वहीं अखाड़े के तीन महंतों के इस फैसले के खिलाफ पश्चिम पंगत के महंत रघु मुनि ने हरिद्वार की जिला अदालत से स्टे देने का दावा किया है, जबकि अखाड़े के अन्य तीनों महंत न्यायालय के इस स्टे को तदर्थ स्टे बता रहे हैं, जो केवल महंत रघु मुनि के लिए ही लागू होता है और किसी अन्य महंत के लिए नहीं।
महंत रघु मुनि और महंत दामोदर दास उन पर लगाए गए आरोपों का खंडन करते हैं और कहते हैं कि पश्चिम पंगत के महंतों का तीनों महंतों ने अपमान किया है और तीनों महंतों का फैसला असंवैधानिक है। उन्होंने कहा कि कुछ साधु संत अखाड़े का वातावरण खराब कर रहे हैं। महंत रघु मुनि ने कहा कि उन्होंने अखाड़े की एक भी संपत्ति को नहीं बेचा है, यदि उन पर यह आरोप साबित हो जाता है तो वह खुद ही अखाड़ा छोड़कर चले जाएंगे। 40 वर्षों तक उन्होंने अखाड़े की निस्वार्थ सेवा की है।
भ्रष्टाचार के आरोप में हटाए गए चारों महंत
जमीन के घोटाले और भ्रष्टाचार के आरोप के चलते श्री उदासीन पंचायती बड़ा अखाड़ा की पश्चिम पंगत के महंत रघु मुनि और अखाड़ा की कनखल शाखा के कोठारी महंत दामोदर दास सहित चार महंतों को हटाया गया है। इसका खुलासा अखाड़ा के जमात के महंत दुर्गादास ने किया। उन्होंने मीडिया के सामने इन दोनों महंतों रघु मुनि और महंत दामोदर दास द्वारा बेची गई भूमि के कागज दिखाए।
उन्होंने कहा कि कुछ भूमाफिया और सफेदपोश नेता भी इस षड्यंत्र में शामिल हैं जो अखाड़े की प्रतिष्ठा को धूमिल करना चाहते हैं। अखाड़े की पश्चिम पंगत से उनका कोई विवाद नहीं है। पश्चिम पंगत हमारा अभिन्न भाग है, उसके दो महंतों ने घपलेबाजी की और भ्रष्टाचार किया और अखाड़े की गरिमा को गिराया इसलिए उनको हटाया गया।
महंत मोहन दास अपहरण कांड की सीबीआइ जांच हो
महंत दुर्गादास ने आरोप लगाया कि अखाड़ा के पूर्व कोठारी महंत मोहन दास का कुछ भू माफिया, राजनेताओं और साधुओं द्वारा अपहरण किया गया। उन्होंने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से महंत मोहनदास के अपहरण की सीबीआइ जांच कराने की मांग की। उन्होंने कहा कि जब मोहन दास का अपहरण हुआ था तभी हमने तब के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के सामने इस मामले की सीबीआइ जांच की मांग की थी। तब त्रिवेंद्र सिंह रावत ने एसआइटी से जांच करा कर इस मामले की सच्चाई तक पहुंचने की बात कही थी, पर एसआइटी इस मामले में कुछ नहीं कर सकी।
आचार्य श्रीचंद्र ने की थी उदासीन संप्रदाय की स्थापना
सिखों के प्रथम गुरु गुरु नानक देव जी के बेटे भगवान आचार्य श्रीचंद्र जी ने श्री उदासीन संप्रदाय की स्थापना की थी। उसके बाद भारत में उदासीन संप्रदाय के साधु संत भ्रमण कर सनातन धर्म और वेदों का प्रचार करते थे। बाबा बनखंडी ने हरिद्वार कुंभ के अवसर पर विक्रम संवत 1825 में माघ शुक्ल पंचमी के दिन हरिद्वार कनखल के राजघाट में गंगा तट पर श्री उदासीन पंचायती अखाड़ा की स्थापना की थी। तब से यह अखाड़ा पंच देव पूजा, सनातन धर्म और वेदों का प्रचार करता है। इस अखाड़े की शाखाएं तथा कई आश्रम भारत के विभिन्न स्थानों पर स्थापित हैं।
भाजपा विधायक व पूर्व पार्षद के विवाद में जुड़ने से नया मोड़ आया
श्री पंचायती उदासीन बड़ा अखाड़ा के विवाद में भाजपा विधायक मदन कौशिक व पूर्व पार्षद भूपेन्द्र कुमार का नाम जुड़ने से नया विवाद सामने आया है। महंतों ने अखाड़े की व्यवस्था में उत्तराखंड सरकार के पूर्व कैबिनेट मंत्री, भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष एवं हरिद्वार के नगर विधायक मदन कौशिक और पूर्व पार्षद भूपेंद्र कुमार पर अखाड़े के मामले में अनैतिक हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया है।
अखाड़े के श्रीमहंत दुर्गादास महाराज ने कहा कि हमारे अखाड़ों की अपनी व्यवस्था होती है। उसका संचालन निर्बाध रूप से अखाड़ों के महंत, पंच आदि करते आ रहे हैं। पर अखाड़े की गतिविधियों में पूर्व प्रदेश भाजपा अध्यक्ष एवं नगर विधायक मदन कौशिक व पूर्व पार्षद भूपेंद्र कुमार हस्तक्षेप करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने इन्हें अखाड़े की गतिविधियों व अन्य व्यवस्थाओं के संचालन से दूर रहने की हिदायत दी।
इतना ही नहीं उन्होंने अपनी जान को खतरा बताया और राज्य सरकार से अपनी सुरक्षा की मांग की। वहीं नगर विधायक मदन कौशिक का कहना है कि उन पर लगाए गए आरोप निराधार हैं। वे सभी अखाड़ों और साधु संतों का सम्मान करते हैं। वे जल्द ही श्री महंत महेश्वर दास महाराज, महंत दुर्गादास महाराज तथा अन्य संतों से मुलाकात कर आशीर्वाद लेंगे।