चमोली/देहरादून: दो दिन के बिन बुलाये बारिश ने उत्तराखण्ड के पहाड़ों को हिला के रख दिया है. कुमाऊं क्षेत्र में 30 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है. गढ़वाल में भी लोग खौफ में जी रहे हैं. चमोली जिले में ग्राम सोरखा (कुण्ड डूंगरा) ग्रामसभा कुनेथ पट्टी कपीरी तहसील कर्णप्रयाग में 12 परिवार खतरे की जद में हैं. पिछले दो दिन दिन से लगातार पहाड़ों में हो रही बारिश के चलते पहाड़ वासी दिन रात खौफ में जी रहे हैं. रातों की नींद लोगों की गायब है क्योँकि पता नहीं कब कहाँ से स्लाइड आ जाये और अनहोनी हो जाए.
ऐसे ही इस क्षेत्र में लगभग 12 परिवार खतरे की जद में हैं भूस्खलन के कारण. ग्रामवासियों ने प्रशासन को सूचना दी लेकिन ग्रामीणों का कहना है कोई भी प्रशासनिक अधिकारी आने को तैयार नहीं है. लगातार बारिश के कारण ग्राम स्वरका (कुण्ड डूंगरा) ग्रामसभा कुनेथ पट्टी कपीरी तहसील कर्णप्रयाग में भारी भूस्खलन से कई जगह स्लाइड आ गए हैं. ग्रामीण अब खौफ मेहैं कहीं हमारे मकानों को नुक्सान न पहुंचाए ये अब. कई जगह आने -जाने वाले रास्ते टूट गए हैं और कई मकान टूटने की कगार पर हैं। खबर मिलते ही यूकेडी नेता उमेश खण्डूड़ी इस संकट की घड़ी में गांव वालों की सहायता के लिए तत्काल गांव पहुंचे। प्रशासन को अवगत कराया लेकिन बहुत दुखद क्षेत्रीय प्रशासन को अवगत कराने के बाद भी आपदा से भयभीत ग्राम वासियों को कोई सहयोग नहीं. ऐसे मौके पर जब मुख्यमंत्री खुद दिन रात आपदा ग्रस्त इलाकों में जा रहे हैं ऐसे में अधिकारी ढीला रैवया अपनाने में लगे हुए हैं जो ठीक नहीं है. ऐसे में कोई घटना हो जाएगी तब अधिकारी पहुँचने या जाने के इन्तजार कर रहे हैं क्या ?
बड़ा सवाल है पहाड़ में ऐसी प्राकर्तिक आपदा किसी भी समय कहीं भी आ सकती है लेकिन प्रशसनिक अमला सतर्क रहना चाहिए और मौके पर पहुंचना चाहिए. भौगोलिक दृष्टि राज्य में लोग दुर्गम स्थानों में भी रहते हैं. ऐसे में उनके लिए एक ही आसरा प्रशासन या सरकार का होता है. वह भी इस तरह से ढीला रैवया रखेगा तो आम जन तो परेशान होगा ही.जो राज्य की सेहत की दृष्टि से वाजिब नहीं है.