भोपाल. मध्य प्रदेश कांग्रेस पार्टी के दल बदलू विधायकों पर कड़ी कार्रवाई करने की तैयारी कर रही है. कांग्रेस पूरे सबूतों के साथ विधानसभा स्पीकर को इसकी शिकायत करेगी. कांग्रेस मांग करेगी कि दोनों विधायकों की सदस्यता रद्द हो. जबकि, बीजेपी का इस मामले पर कहना है कि कांग्रेस उन्हें खुद निष्कासित कर दे. गौरतलब है कि काग्रेस बीजेपी में शामिल होने वाले कांग्रेस विधायक रामनिवास रावत और निर्मला सप्रे के खिलाफ सबूत इकट्ठे कर रही है. पार्टी इन सबूतों को विधानसभा स्पीकर के सामने रखकर दोनों की सदस्या रद्द करने की मांग करेगी.
कांग्रेस मीडिया विभाग अध्यक्ष मुकेश नायक का कहना है कि जब कोई विधायक दूसरी पार्टी में शामिल होता है तो नैतिकता, नियम और प्रक्रिया के तहत उन्हें सदस्यता से इस्तीफा देना चाहिए. उन्हें तुरंत विधानसभा अध्यक्ष को यह इस्तीफा सौंपना चाहिए. ठीक वैसे जैसे कमलेश शाह ने दिया. ये दोनों विधायक सार्वजनिक रूप से बीजेपी में शामिल हुए, लेकिन, अभी तक इस्तीफा नहीं दिया. अगर वे दल बदल कानून को मानते हुए इस्तीफा नहीं देते हैं तो कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष मध्य प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष को प्रमाणों के साथ शिकायत करेंगे. इस शिकायत में बताया जाएगा कि रामनिवास रावत और निर्मला सप्रे दूसरी पार्टी में शामिल हो गए हैं. इसलिए उनकी सदस्यता खत्म कर दी जाए.
कांग्रेस विधायकों को खुद निष्कासित क्यों नहीं करती- बीजेपी
दूसरी ओर, इस मामले को लेकर बीजेपी प्रवक्ता अजय यादव का कहना है कि कांग्रेस पार्टी दिवालियापन के दौर से गुजर रही है. इसलिए नेता, कार्यकर्ता कांग्रेस छोड़-छोड़ कर जा रहे हैं. अगर कांग्रेस के नेताओं में इतनी नैतिकता है तो अपने विधायकों को स्वयं निष्कासित कर दें. विधानसभा अध्यक्ष के पास जाने का उनका अधिकार है, लेकिन जनता के हृदय से कांग्रेस निकल चुकी है. वो कोई भी दरवाजा खटखटाए वापसी नहीं कर सकती. कांग्रेस पार्टी को प्रदेश की जनता और नेताओं ने छोड़ दिया है.
स्पीकर के पास जाना ही ठीक विकल्प- गुप्ता
वरिष्ठ पत्रकार दिनेश गुप्ता का कहना है कि कांग्रेस की शिकायत के लिए विधानसभा स्पीकर ही ठीक विकल्प है. क्योंकि, दोनों विधायकों ने दल बदल कानून का उल्लंघन किया है. विधायक दूसरी पार्टी के मंच पर जाते हैं, अपनी पार्टी के खिलाफ भाषण देते हैं. नैतिकता के आधार पर तो उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए. कांग्रेस पहले से बहुत देर कर चुकी है. उन्हें इस मामले में विधानसभा के सामने पिटीशन लगाना ही चाहिए. एमपी में दल बदल पर सियासत अभी थमती नजर नहीं आ रही. हालांकि, शिकायत के बावजूद दोनों विधायकों पर एक्शन होगा, इस पर सवालिया निशान है.