लोकेन्द्र सिंह
(लेखक माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में सहायक प्राध्यापक हैं।)
कोई एक शुभ संकल्प कैसे जनांदोलन बन जाता है, इसका सटीक उदाहरण है मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का प्रतिदिन एक पौधा लगाने का संकल्प। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने सदानीरा माँ नर्मदा की जयंती के पावन प्रसंग पर 19 फरवरी, 2021 को प्रतिदिन एक पौधा लगाने का संकल्प लिया था। किसी भी राजनेता के लिए इस प्रकार के संकल्प को प्रतिदिन निभाना कठिन होता है। मुख्यमंत्री के रूप में व्यस्तता और अधिक बढ़ जाती है। इस बात की प्रशंसा करनी होगी कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बिना चूके प्रतिदिन अपने संकल्प का पालन किया। अपने प्रवास के दौरान भी वे जहाँ रहे, वहाँ उन्होंने पौधा रोपा। अपने संकल्प के प्रति यह प्रतिबद्धता अनुकरणीय है।
प्रतिदिन पौधा रोपते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को दो वर्ष हो चुके हैं। अपने संकल्प को सिद्ध करने के बाद वे चाहते तो इसे छोड़ सकते थे परंतु उन्होंने पर्यावरण संवर्द्धन के रूप में मानवता की सेवा के इस व्रत को जारी रखा है। #OnePlantADay उपक्रम की एक और विशेषता यह है कि मुख्यमंत्री अकेले पौधरोपण नहीं करते हैं। पर्यावरण संरक्षण एवं संवर्द्धन समाज की आदत बने इसलिए समाज के खास और आम लोगों को साथ लेकर पौधे रोपते हैं। कई लोगों के लिए तो मुख्यमंत्री के साथ पौधरोपण अविस्मरणीय प्रसंग बन जाता है। मुझे 18 जनवरी, 2023 को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ पौध रोपण का अवसर प्राप्त हुआ। मध्यप्रदेश साहित्य अकादमी के निदेशक डॉ. विकास दवे के साथ उर्दू अकादमी की निदेशक डॉ. नुसरत मेहदी, संदर्भ प्रकाशन के प्रमुख राकेश सिंह और और युवा साहित्यकार पुरु शर्मा की हमारी टोली मुख्यमंत्री के साथ पौध रोपण करने के लिए स्मार्ट सिटी पार्क, भोपाल में उपस्थित थी।
हमारे साथ ही उस दिन एक पत्रकार मित्र का परिवार भी पौधरोपण के लिए आया हुआ था। उस दिन उनके बेटे का जन्मदिन था। ऐसे शुभ प्रसंग पर प्रदेश के मुख्यमंत्री के साथ पौधरोपण करना जीवनभर के लिए स्मरणीय हो जाता है। इसके साथ ही उस बालक को भी एक दिशा मिली होगी कि केक काटकर और मोमबत्ती बुझाकर पार्टी करने की अपेक्षा पौधा रोपकर भी सार्थक ढंग से जन्मदिन मनाया जा सकता है। यह ऐसा प्रसंग था कि एक ओर हम धरती में पौधा रोप रहे थे, वहीं दूसरी ओर एक बालक के मन में पर्यावरण संरक्षण का बीजारोपण हो रहा था। मुख्यमंत्री के संकल्प से प्रेरित होकर अनेक लोग जीवन के महत्वपूर्ण प्रसंगों पर पौध रोपण करने लगे हैं।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पर्यावरण संवर्द्धन की दिशा में इस पहल को जनांदोलन बना दिया। दो वर्ष में हजारों लोग उनके साथ पौधरोपण कर चुके। श्यामला हिल्स की बेजान पड़ी पहाड़ी अब जीवंत हो उठी है। कुछ वर्षों बाद यहाँ एक सघन वन लहलहाएगा। वहीं, मध्यप्रदेश में हरियाली बढ़ाने के उद्देश्य से उनकी पहल पर ‘अंकुर अभियान’ भी शुरू किया गया है। इस अभियान के भी शुभ प्रतिसाद मिल रहे हैं। पौधरोपण के अभियान में लोग इसलिए भी जुट रहे हैं क्योंकि मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कोरा आह्वान नहीं किया, अपितु पौधरोपण को अपनी आदत भी बनाया है। जनता से आह्वान करने से पहले उन्होंने लोगों को यह करके दिखाया। जब किसी की कथनी-करनी में साम्य होता है, तब उसकी बात का प्रभाव भी अधिक होता है।
हम सब जानते हैं कि कोरे भाषणों से समाज में बदलाव नहीं आता, फिर पर्यावरण संरक्षण तो ऐसा विषय है, जिसमें काम करना ही पड़ता है। इस संदर्भ में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कहते हैं- “भाषणों से धरती नहीं बचेगी। हम सबको मिलकर काम करना ही पड़ेगा, इसलिए भोपाल या बाहर भी कहीं जाऊंगा। हर जगह मेरी कोशिश रहेगी कि रोज एक पेड़ लगाऊं”। इसी के साथ उन्होंने प्रदेशवासियों से अपील करते हुए कहा कि “विवाह की वर्षगांठ, अपने और बच्चों के जन्मदिन पर या किसी भी अन्य मौके पर साल में एक पौधा जरूर लगाएं”। चूँकि वे स्वयं अपने संकल्प को जी रहे हैं, चाहे कहीं भी होते हैं, पौधा लगाना नहीं भूलते हैं। इसलिए यह सब देखकर अन्य लोगों का प्रेरित होना और संकल्पबद्ध होना स्वाभाविक ही है।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2017 में भी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अगुवाई में मध्यप्रदेश की जीवनरेखा सदानीरा नर्मदा नदी के संरक्षण के लिए वृहद स्तर पर अभूतपूर्व पौधरोपण अभियान चलाया गया था। नर्मदा सेवकों के सहयोग से 2 जुलाई 2017 को नर्मदा कछार में 6 करोड़ 63 लाख से अधिक पौधे रोपकर विश्व कीर्तिमान बनाया था। यह पौधे एक लाख 17 हजार 293 स्थानों पर रोपे गए थे। उस समय भी मुख्यमंत्री श्री चौहान के आह्वान पर सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों के साथ आम लोगों ने पौधरोपण महाभियान में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया था। इसलिए हम कह सकते हैं कि पर्यावरण संरक्षण मुख्यमंत्री के ध्यान में पूर्व से ही है। प्रतिदिन एक पौधा लगाकर नागरिक बंधुओं को पर्यावरण संरक्षण का संदेश देना, उनके उसी चिंतन का एक प्रयोगात्मक एवं प्रेरणास्पद उपक्रम है। प्रतिदिन पौध रोपने का उनका यह संकल्प आगे भी जारी रहे अपितु यह संकल्प केवल उन तक सीमित न रहकर, नागरिकों का संकल्प बने, यही आशा और अपेक्षा रखनी चाहिए।