हिंडेनबर्ग रिपोर्ट (Hindenburg Report) और अदाणी के शेयरों में गिरावट से पहले 1 मार्च 2020 से 31 दिसंबर 2022 के बीच अदाणी एनर्जी लिमिटेड (Adani Energy Ltd) के शेयरों के चार पैच में विश्लेषण से पता चला है कि इससे सबसे ज्यादा नुकसान सरकार की कंपनी, एलआईसी को हुआ है. LIC ने 50 लाख AEL शेयर बेचे थे. तब इसकी कीमत 300 रुपए के आसपास थी. वहीं कंपनी ने 4.8 करोड़ एईएल शेयर तब खरीदे थे जब शेयर की कीमत 1,031 रुपए से 3,859 रुपए तक थी. सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व एससी जज एएम सप्रे (A M Sapre) की अध्यक्षता में विशेषज्ञ समिति नियुक्त की थी, जिसने यह विश्लेशण किया है.
AEL शेयरों के ट्रेडिंग का चार अवधियों में विश्लेषण किया गया-
पैच I: 1 मार्च 2020 से 31 अगस्त 2020
पैच II: 1 सितंबर 2020 से 30 सितंबर 2020
पैच III: 1 अक्टूबर 2020 से 31 मार्च 2021
पैच IV: 1 अप्रैल 2021 से 31 दिसंबर 2022
पैच II में सबसे ज्यादा एलआईसी ने बेचे शेयर
पैच II के दौरान, जब एईएल शेयर की कीमत 300 रुपए के आसपास थी, तब एलआईसी सबसे बड़ा नेट सेलर था. कंपनी ने 50 लाख शेयर बेचे थे. इस पैच में बड़े एफपीआई (FPI) और म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) शुद्ध खरीदार थे.
अक्टूबर 2020 से मार्च 2021 में बढ़ी शेयर की कीमत
पैच III यानी 1 अक्टूबर 2020 से 31 मार्च 2021 के दौरान एईएल के शेयर की कीमत 300 रुपए से बढ़कर 1,031 रुपए हो गई थी. इस वक्त टॉप नेट खरीदार बड़े और जाने-माने एफपीआई और म्यूचुअल फंड थे, जिन्होंने लगभग एक करोड़ शेयर खरीदे. जिन एफपीआई का अदाणी से लिंक होने का संदेह था, उन्होंने भी इस पैच में शेयर खरीदे.
पैच IV में बढ़ा शेयर प्राइस
फिर 1 अप्रैल 2021 से 31 दिसंबर 2022 तक का विवादास्पद पैच IV आया, जब एईएल शेयर की कीमत 1,031 रुपए से तेजी से बढ़कर 3,859 रुपए तक पहुंच गई. सबसे बड़ा शुद्ध खरीदार एलआईसी था, जिसने लगभग 4.8 करोड़ शेयर खरीदे. इस दौरान अदाणी से कथित तौर पर लिंक्ड एफपीआई टॉप नेट विक्रेताओं में से थे, जिन्होंने इस पैच के दौरान लगभग 8.6 करोड़ शेयर बेचे थे.