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मोसाद की तरह आतंकियों को चुन-चुनकर मारेंगे रॉ एजेंट!

Jitendra Kumar by Jitendra Kumar
25/04/25
in राष्ट्रीय, समाचार
मोसाद की तरह आतंकियों को चुन-चुनकर मारेंगे रॉ एजेंट!
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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बृहस्पतिवार को बिहार में एक जनसभा में कहा-पहलगाम हमला सिर्फ निहत्थे पर्यटकों पर नहीं हुआ है, देश के दुश्मनों ने भारत की आस्था पर हमला करने का दुस्साहस किया है। मैं बहुत स्पष्ट शब्दों में कहना चाहता हूं कि जिन्होंने ये हमला किया है, उन आतंकियों को और इस हमले की साजिश रचने वालों को उनकी कल्पना से भी बड़ी सजा मिलेगी। अब आतंकियों की बची-खुची जमीन को भी मिट्टी में मिलाने का समय आ गया है। डिफेंस एक्सपर्ट्स से बातचीत में यह जानने की कोशिश की है कि मोदी के कल्पना से परे सजा का मतलब क्या है? आखिर क्या कहना चाह रहे हैं पीएम, उनका इस मामले में इरादा क्या है?

क्या इजरायल की मोसाद जैसे ऑपरेशन करेगी रॉ

डिफेंस एक्सपर्ट मेजर जनरल (रि.) पीके सहगल के अनुसार, पहलगाम हमले के बाद भारत सरकार, भारतीय सेना क्या करेंगी इस बारे में ज्यादा खुलासा नही किया जा सकता है। क्योंकि इससे पाकिस्तान सतर्क हो सकता है और पाकिस्तानी आतंकी कुछ और तरीका भी अपना सकते हैं। सहगल ने कहा कि संभव है कि इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद की तर्ज पर भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ भी पाकिस्तानी आतंकियों को चुन-चुनकर मारे।

क्या था मोसाद का वो खौफनाक ऑपरेशन

डिफेंस एक्सपर्ट पीके सहगल के अनुसार, मोसाद ने इजरायल के दुश्मनों को मारने के लिए करीब दो दशक तक ‘रैथ ऑफ गॉड’ (Operation Wrath of God) यानी ईश्वर का कहर नाम का खौफनाक ऑपरेशन चलाया, जिसने म्यूनिख ओलंपिक में इजरायली खिलाड़ियों को मार डाला था।

क्या हुआ था म्यूनिख ओलंपिक में, कांप उठी थी दुनिया

लेखक साइमन रीव की किताब ‘वन डे इन सेप्टेम्बर’ के अनुसार, 5 सितंबर, 1972 की बात है, जब जर्मनी में म्यूनिख ओलंपिक गेम्स चल रहे थे। इजरायल के एथलीट म्युनिख ओलंपिक गांव में अपने फ्लैट्स में सो रहे थे, जब पूरा अपार्टमेंट मशीनगनों की तड़तड़ाती गोलियों से गूंज उठा। ये हमला उस वक्त फिलिस्तीन के खूंखार आतंकी संगठन ‘ब्लैक सितंबर’ के 8 लड़ाकों ने किया, जो खिलाड़ियों की ड्रेस पहने अंधाधुंध फायरिंग कर रहे थे। इस हमले में 11 इजरायली खिलाड़ी और 1 जर्मन पुलिसकर्मी को जान गंवानी पड़ी। बदले में तब इजरायल ने दो दिन बाद ही सीरिया और लेबनान में फिलिस्तीन लिबरेशन ऑर्गेनाइजेशन यानी पीएलओ के 10 ठिकानों पर बमबारी करके तबाह कर दिया।

खिलाड़ियों की जान के बदले में एक-एक को चुनकर मारा

किताब ‘वन डे इन सेप्टेम्बर’ के मुताबिक, इजरायल ने म्यूनिख में मारे गए अपने खिलाड़ियों की मौत का बदला लेने के लिए अपनी खूंखार सीक्रेट एजेंसी मोसाद को इस काम में लगाया, जिसने उन्हें 20 साल में खोज-खोजकर मार डाला। बदले की पहली शुरुआत मोसाद ने 16 अक्टूबर, 1972 को तब कर दी, जब इजरायली एजेंटों ने पीएलओ इटली के प्रतिनिधि अब्दल-वैल जावैतार को रोम में उसके घर में घुस कर गोलियां मारीं। 9 अप्रैल, 1973 को मोसाद ने बेरूत में एक संयुक्त अभियान शुरू किया, जिसमें इजरायली कमांडो मिसाइल बोट और गश्ती नौकाओं से लेबनान के एक खाली समुद्री तट पर रात को पहुंचे। अगले दिन दोपहर तक ब्लैक सेप्टेम्बर चलाने वाली फतह के सीक्रेट चीफ मोहम्मद यूसुफ या अबू यूसुफ, कमल अदवान और पीएलओ प्रवक्ता कमल नासिर की उनके घरों में हत्या हो चुकी थी। इसके बाद मोसाद ने कई और दुश्मनों को खोजकर मारा।

मोसाद ने इस तरह उड़ा दिया मास्टरमाइंड को

म्यूनिख के मास्टरमाइंड रेड प्रिंस के नाम से मशहूर अली हसन सलामे का पता मोसाद ने खोज ही निकाला। वह बेरूत में ही रह रहा था। एरिका मैरी चैम्बर्स नाम की मोसाद एजेंट ब्रिटिश पासपोर्ट पर लेबनान पहुंची। एरिका ने उसी गली में किराये पर कमरा लिया जिससे होकर सलामे आता-जाता था। कुछ वक्‍त में मोसाद के दो और एजेंट्स बेरूत पहुंच गए। गली में एक कार खड़ी कर दी गई। कार में विस्फोटक सामग्री भरी थी। कार को ऐसी जगह पर खड़ा किया गया था कि कमरे से दिख सके। 22 जनवरी, 1979 को जब सलामे और उसके बॉडीगार्ड्स कार में गली के भीतर दाखिल हुए तो विस्‍फोटकों वाली गाड़ी को मोसाद ने रेडियो डिवाइस से उड़ा दिया। आख‍िकार मोसाद ने म्‍यूनिख के मास्‍टरमाइंड को ठिकाने लगा ही दिया।

हाफिज या कोई और आतंकी अब छोड़ेंगे नहीं

डिफेंस एक्सपर्ट मेजर जनरल (रि.) पीके सहगल बताते हैं कि सरकार आतंकियों के खिलाफ ऐसी कार्रवाई करेगी कि वो याद रखेंगे। वो दुनिया में कहीं भी छिप जाएं, उन्हें हमारी सरकार नहीं छोड़ेगी। आतंकियों और उनके आका हाफिज सईद या कोई और, वो जहां भी बैठे हैं, उनका पता लगाया जाएगा और उनका खात्मा किया जाएगा। यह ठीक उसी तर्ज पर होगा, जैसा म्यूनिख ओलंपिक में मारे गए अपने खिलाड़ियों का बदला इजरायल ने लिया था। प्रधानमंत्री का आतंकियों के खिलाफ संदेश तो यही है।

भारत सीधे युद्ध में कतई नहीं जाएगा

सहगल के अनुसार, भारत कतई सीधे युद्ध में नहीं जाएगा और न ही जाना चाहेगा। वह कई और विकल्पों पर विचार कर सकता है। जैसे वह भारत के मित्र देशों संयुक्त अरब अमीरात या किसी और की मदद ले सकता है। रॉ के ऑपरेशंस तो हैं ही। पीएम मोदी ने जो यह कहा कि आतंकियों को ऐसी सजा मिलेगी, जो उन्होंने कल्पना भी नहीं की होगी। इसके मायने यही हैं कि अब आतंकियों को किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और उन्हें अंतिम अंजाम तक पहुंचाया जाएगा।

भारत के पास पीओके में एयरस्ट्राइक का विकल्प

एक और डिफेंस एक्सपर्ट लेफ्टिनेंट कर्नल (रि.) जेएस सोढ़ी के अनुसार, भारत के पास एयरस्ट्राइक का भी विकल्प है। वह पाक के कब्जे वाले कश्मीर यानी पीओके में आतंकियों के कैंपों को तबाह कर सकता है। साथ ही वह आतंकियों को शह देने वालों को भी निशाना बना सकता है। इस मामले में भारत ने कई विकल्प खोलकर रखे हुए हैं।

ताशकंद समझौता भी तोड़ सकता है पाकिस्तान

जेएस सोढ़ी बताते हैं कि 10 जनवरी, 1966 को ताशकंद समझौता हुआ। इस समझौते का एक प्रावधान यह था कि भारत और पाकिस्तान की सेनाओं को 5 अगस्त, 1965 से पहले की स्थिति में लौटना होगा। इस यथास्थिति में बहादुरी से जीते गए हाजी पीर दर्रे को वापस करना भी शामिल था। उस वक्त भारत ने पाकिस्तानी क्षेत्र के 1,920 वर्ग किलोमीटर पर कब्जा कर लिया था, जिसमें मुख्य रूप से सियालकोट, लाहौर और कश्मीर क्षेत्रों की उपजाऊ भूमि शामिल थी। इसी में रणनीतिक हाजी पीर दर्रा भी शामिल था। बाद में 2002 में एक इंटरव्यू में खुद ले. जनरल दयाल ने कहा था कि यह दर्रा भारत को एक रणनीतिक फायदा देता…इसे वापस सौंपना एक गलती थी। सोढ़ी ने बताया कि भारत की यह गलती एक बड़ी चूक थी। अब मौजूदा हालात में शिमला समझौता तोड़ने के बाद पाकिस्तान ताशकंद समझौता भी तोड़ सकता है।

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