देहरादून: उत्तराखंड सरकार ने साल 2025-26 के लिए प्रदेश की नई आबकारी नीति को मंजूरी दे दी, जिसके अंतर्गत राज्य में धार्मिक स्थलों के पास शराब की सभी दुकानों को बंद करने का प्रावधान किया गया है। अधिकारियों ने बताया कि नई आबकारी नीति में शराब की दुकानों को पहले दिए गए लाइसेंस की समीक्षा की जाएगी। नई नीति में अगले वित्तीय वर्ष के लिए 5,060 करोड़ रूपए का राजस्व लक्ष्य निर्धारित करते हुए उप-दुकानों और मेट्रो शराब बिक्री व्यवस्था को समाप्त कर दिया गया है। साथ ही शराब की अधिक कीमत वसूलने पर लाइसेंस निरस्त करने का प्रावधान भी किया गया है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में सोमवार को हुई बैठक में राज्य मंत्रिमंडल ने नई आबकारी नीति को मंजूरी दी। इस बारे में जानकारी देते हुए सचिव (गृह) शैलेश बगौली ने कहा कि जनता की संवेदनशीलता को सर्वोच्च महत्व देते हुए धार्मिक स्थलों के पास की दुकानों के शराब लाइसेंस रद्द करने और शराब की बिक्री पर ज्यादा नियंत्रण रखने का फैसला लिया गया है। उन्होंने कहा कि नई नीति शराब की दुकानों के आवंटन की प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और स्थानीय लोगों के लिए लाभकारी बनाती है, क्योंकि इससे उन्हें इस क्षेत्र में स्वरोजगार के अवसर मिलेंगे।
साथ ही उन्होंने बताया कि नई नीति के तहत थोक शराब के लाइसेंस केवल उत्तराखंड के स्थानीय निवासियों को ही जारी किए जाएंगे, जिससे राज्य में स्थानीय लोगों के लिए आर्थिक अवसर बढ़ेंगे। डिस्टिलरियों को स्थानीय कृषि उत्पादों को इस्तेमाल करने के लिए प्रोत्साहित किया गया है, जिससे किसानों की आय में वृद्धि होगी और उन्हें नए बाजार उपलब्ध होंगे। उन्होंने कहा कि डिपार्टमेंटल स्टोर्स में भी MRP (अधिकतम खुदरा मूल्य) लागू होगी, जिससे उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा होगी।
पिछले दो वर्षों में प्रदेश में आबकारी राजस्व में हुई वृद्धि को देखते हुए वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए 5,060 करोड़ रुपए का राजस्व लक्ष्य निर्धारित किया गया है। वित्तीय वर्ष 2023-24 में 4,000 करोड़ रुपए के लक्ष्य के मुकाबले 4038.69 करोड़ रुपए का राजस्व अर्जित किया गया था, जबकि वित्तीय वर्ष 2024-25 में 4,439 करोड़ रुपए के लक्ष्य के सामने अब तक लगभग 4,000 करोड़ रुपए की प्राप्ति हो चुकी है।
इसके अलावा, पर्वतीय क्षेत्रों में राज्य में उत्पादित फलों से शराब बनाने वाली वाइनरी इकाइयों को अगले 15 वर्षों तक आबकारी शुल्क में छूट दी जाएगी। इससे किसानों और बागवानी क्षेत्र में काम करने वालों को आर्थिक लाभ मिलेगा। शराब उद्योग में निवेश को बढ़ावा देने के लिए निर्यात शुल्क घटाया गया है। पर्वतीय क्षेत्रों में स्थित माल्ट और स्प्रिट उद्योगों को भी विशेष सुविधाएं दी जाएंगी।
नई नीति में उप-दुकानों (दुकानों के लाइसेंस धारकों द्वारा दूसरे व्यक्ति को अपनी दुकान चलाने के लिए देने) तथा मेट्रों मदिरा बिक्री की व्यवस्था को समाप्त कर दिया गया है। नई आबकारी नीति में एमआरपी (अधिकतम खुदरा मूल्य) से ज्यादा कीमत वसूलने पर शराब की दुकान का लाइसेंस निरस्त करने का प्रावधान किया गया है। शराब बेचने वाले डिपार्टमेंटल स्टोरों पर भी अधिकतम खुदरा मूल्य ही लागू होगा।