‘जीवन में प्रेम’
यदि आप बरसात की बूंदों को,
स्पर्श करते…
मैं तुम्हारे पास बौछार भेजती।
यदि समंदर में जल-विहार करते,
मैं महासागर बनकर आती…
आप का प्रेम व्यक्तिमय होता
वो व्यक्ति मैं होती।
‘एमिली ब्रोंटे ‘
‘प्यार का दर्शन ‘
छोटे फव्वारे नदियों में मिल जाते हैं l
और नदियां समुद्र में,
हवाएं हमेशा स्वर्ग में मिल जाती है l
एक मीठी मधुर भावनाओ के साथ,
संसार में कुछ भी अकेला नहीं है l
एक दूसरे के साथ मिले होते हैं,
मैं तुम्हारे साथ क्यों नही हूं?
जरा देखो!
ये पहाड़ ऊँचाई वाले जन्नत को l
कैसे चूम रहे हैं,
और धरा पर लहरे l
एक दूसरे से टकराती हैं,
सूरज के किरणें धरा पर पसरती है l
और चंद्रमा समुद्र को चुम्बन करती है,
ये सब चुम्बन किस काम के,
जब तक तुम मुझे नही छूते हो ll
“पर्सी बायरो शेली “
अजय प्रताप तिवारी (अनुवादित कविता )