जयपुर : राजस्थान का सियासी ड्रामा जारी है. अशोक गहलोत और उनके समर्थक विधायकों के तेवर नरम पड़ते नजर आ रहे हैं तो वहीं कांग्रेस आलाकमान एक्शन में है. विधायक दल की बैठक के लिए बतौर पर्यवेक्षक जयपुर गए अजय माकन और मल्लिकार्जुन खड़गे ने पूरे घटनाक्रम को लेकर विस्तृत रिपोर्ट कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को सौंप दी है. रिपोर्ट में अशोक गहलोत को क्लीन चिट दी गई है तो वहीं अब गहलोत और उनके खेमे के अगले कदम को लेकर चर्चा भी शुरू हो गई है.
कांग्रेस हाईकमान ने अजय माकन और मल्लिकार्जुन खड़गे की रिपोर्ट के आधार पर तत्काल एक्शन लेते हुए अशोक गहलोत के तीन करीबियों को कारण बताओ नोटिस दे दिया है. जानकारी के मुताबिक शाम पांच बजे के करीब अजय माकन ने अपनी रिपोर्ट कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को सौंपी. सोनिया गांधी ने ये रिपोर्ट कार्रवाई के लिए अनुशासनात्मक समिति को भेज दी जिसके प्रमुख एके एंटनी हैं.
एके एंटनी की अगुवाई वाली अनुशासनात्मक समिति ने अशोक गहलोत के करीबी माने जाने वाले धर्मेंद्र राठौर, शांति धारीवाल और महेश जोशी को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए 10 दिन में जवाब देने के लिए कहा है. कांग्रेस की अनुशासनात्मक समिति की ओर से जारी की गई नोटिस में कहा गया है कि आपने जो किया वह घोर अनुशासनहीनता है. आप 10 दिन में ये जवाब दीजिए कि पार्टी के संविधान के तहत आपके खिलाफ कार्रवाई क्यों न की जाए.
गहलोत को 1998 में जिस फॉर्मूले से मिली थी सत्ता, आज वही काट रहा पत्ता
शांति धारीवाल को जारी नोटिस में ये कहा गया है कि आपने संसदीय कार्य मंत्री होते हुए पार्टी की आधिकारिक प्रक्रिया के तहत बुलाई गई मीटिंग में न जाकर अलग से मीटिंग बुलाई. आप डायस पर बैठे, बयान दिया और घोर अनुशासनहीनता की है. शांति धारीवाल को दी गई नोटिस में ये भी कहा गया है कि आपने विधायकों पर ये दबाव डाला कि वे औपचारिक बैठक में न जाएं. जिस पद पर आप हैं, आपने ऐसी बैठक बुलाई जिससे ये भ्रम उत्पन्न हुआ कि कौन सी बैठक औपचारिक है.
नोटिस में ये भी कहा गया है कि यह तब हुआ जब लगातार यह बोला गया कि अजय माकन और मलिकार्जुन खड़गे हर विधायक से वन-टू-वन बात करने आए हैं और विधायकों की राय से कांग्रेस अध्यक्ष को अवगत कराएंगे. इसके बाद ही कोई फैसला लिया जाता. वहीं, धर्मेंद्र राठौर को दी गई नोटिस में कहा गया है कि पार्टी की आधिकारिक विधायक दल की बैठक के समानांतर बैठक बुलाने का पूरा अरेंजमेंट आपने किया जो घोर अनुशासनहीनता है. इसी तरह महेश जोशी को नोटिस भेजकर कहा गया है कि आप चीफ व्हिप थे. आपने ही आधिकारिक बैठक के लिए सभी विधायकों को बुलाया था और आपने ही समानांतर बैठक में हिस्सा लिया.
महेश जोशी बोले- अभी नहीं मिला नोटिस
महेश जोशी ने कहा है कि उन्हें अभी नोटिस नहीं मिला है. उन्होंने कहा कि बहुत आश्चर्य की बात है कि मीडिया में आ गया लेकिन हमें अभी नोटिस नहीं मिला. महेश जोशी ने कहा कि नोटिस मिलेगा उसके बाद ही कुछ कह पाएंगे. उन्होंने धर्मेंद्र राठौर को नोटिस दिए जाने पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि उनको क्यों नोटिस दिया गया, ये समझ से परे है.
आचार्य प्रमोद कृष्णम ने कार्रवाई पर किया तंज
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम ने पार्टी की अनुशासनात्मक समिति की ओर से भेजी गई नोटिस पर ही सवाल उठा दिए हैं. प्रमोद कृष्णम ने ट्वीट कर तंज करते हुए कहा है कि बगावत के सूत्रधार तो कोतवाल हैं और कार्रवाई सिर्फ हवलदारों पर. आचार्य प्रमोद कृष्णम ने अनुशासनात्मक कार्रवाई पर सवाल उठा दिए हैं तो वहीं टीएस सिंहदेव ने अशोक गहलोत को निशाने पर लिया है.
कांग्रेस छोड़कर अब बीजेपी में शामिल हो चुके सुनील जाखड़ ने गहलोत समर्थकों को नोटिस पर ट्वीट कर प्रतिक्रिया व्यक्त की है. उन्होंने ट्वीट कर कहा है कि अशोक गहलोत को क्लीन चिट और उनके समर्थकों को नोटिस. ये गहलोत के लिए टेस्ट है. सुनील जाखड़ ने कहा कि वे कैसे इससे निपटते हैं, अपने समर्थकों के साथ खड़े होते हैं या उन्हें डंप कर देते हैं. यही दिखाएगा कि वे किस चीज के बने हैं.
सिंहदेव ने गहलोत की नेतृत्व क्षमता पर उठाए सवाल
छत्तीसगढ़ सरकार के मंत्री टीएस सिंहदेव ने कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए अशोक गहलोत की उम्मीदवारी पर सवाल उठाते हुए कहा कि जो आदमी अपने विधायकों को नहीं संभाल पा रहा है. वो कांग्रेस पार्टी को कैसे संभालेगा? उन्होंने ये भी कहा कि अगर ये बैठक अशोक गहलोत की जानकारी में तब नहीं थी तो अब तो आ गई है. सिंहदेव ने कहा कि अगर उनके राज्य के विधायक ही उनकी बात नहीं मानेंगे तो कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में देश के कार्यकर्ता और नेता उनकी बात भला कैसे मानेंगे?
उन्होंने आगे कहा कि राजस्थान का जो घटनाक्रम हुआ है उससे कांग्रेस अध्यक्ष का पद संभालने की अशोक गहलोत की क्षमता पर बड़ा प्रश्नचिह्न लग गया है. उन्होंने कहा कि सोनिया गांधी के करीबी अशोक गहलोत का नाम अध्यक्ष पद की रेस में सबसे आगे था लेकिन राजस्थान में स्थिति नियंत्रित करने में वे पूरी तरह विफल रहे. यह मेरे लिए आश्चर्य की बात है.
छिटकने लगे अशोक गहलोत के वफादार
दूसरी तरफ, कांग्रेस पर्यवेक्षक जब विधायक दल की बैठक के लिए दिल्ली से जयपुर पहुंचे तब गहलोत के समर्थन में गहलोत के समर्थन में लामबंद हुए वफादार भी एक-एक कर छिटकने लगे हैं. शांति धारीवाल के घर हुई बैठक में शामिल कांग्रेस के एक और विधायक ने वीडियो जारी कर अब ये कह दिया है कि कांग्रेस आलाकमान का जो भी फैसला होगा, उन्हें वह मंजूर होगा. वीडियो जारी कर विधायक ने शांति धारीवाल के घर हुई बैठक को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है. इससे पहले भी कई विधायक आलाकमान का फैसला मानने की बात कह इस्तीफे से पलट चुके हैं.
अजय माकन ने सोनिया गांधी को सौंपी है रिपोर्ट
कांग्रेस के राजस्थान प्रभारी अजय माकन ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को जयपुर के घटनाक्रम पर विस्तृत रिपोर्ट सौंपी. अजय माकन ने सोनिया गांधी के निर्देश के अनुरूप लिखित रिपोर्ट 10 जनपथ भेजी. रिपोर्ट भेजने से पहले ये रिपोर्ट मल्लिकार्जुन खड़गे को भी दिखाई गई. ये रिपोर्ट दो भाग में है. एक भाग में पूरा घटनाक्रम है तो दूसरे भाग में अनुशासनात्मक कार्रवाई की बात है. रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि अशोक गहलोत की सहमति से ही उनके आवास पर बैठक बुलाई गई थी. रिपोर्ट में कहा गया है कि विधायक दल की बैठक के पहले समानांतर बैठक करने वाले नेता अशोक गहलोत के करीबी हैं.
गहलोत के अध्यक्ष चुनाव लड़ने का है ये इशारा?
अजय माकन की ओर से सोनिया गांधी को सौंपी गई रिपोर्ट में इस बात का जिक्र तो है कि विधायक दल की बैठक के समानांतर बैठक करने वाले नेता अशोक गहलोत के करीबी हैं. लेकिन सीधे-सीधे अशोक गहलोत को जिम्मेदार नहीं ठहराया गया है. एक दिन पहले तक ऐसा माना जा रहा था कि अशोक गहलोत कांग्रेस अध्यक्ष पद की रेस से बाहर हो सकते हैं लेकिन अब पर्यवेक्षकों की रिपोर्ट में एक तरह से उन्हें क्लीन चिट मिल गई है.
माना जा रहा है कि इस रिपोर्ट के बाद अशोक गहलोत के कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव लड़ने का रास्ता साफ हो गया है. क्या अशोक गहलोत कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए नॉमिनेशन करेंगे? कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव को लेकर नॉमिनेशन के लिए अब बस तीन दिन का ही समय शेष बचा है.
अशोक गहलोत के कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए नॉमिनेशन को लेकर कहा जा रहा है कि वे अब वेट एंड वाच की नीति पर चल रहे हैं. सोनिया गांधी की ओर से हरी झंडी मिली तो वे कांग्रेस अध्यक्ष के लिए नॉमिनेशन करेंगे. अब ये लगभग साफ हो गया है कि अशोक गहलोत कांग्रेस अध्यक्ष पद की रेस से बाहर नहीं हुए हैं.
क्या होगा अशोक गहलोत का अगला कदम
अजय माकन ने भी एक दिन पहले ये कहा था कि कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव लड़ने से पहले गहलोत को मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़नी पड़ेगी. अगर गहलोत सीएम की कुर्सी छोड़े बिना अध्यक्ष का चुनाव लड़ते हैं और वे निर्वाचित हो जाते हैं तो इसके बाद वे खुद फैसला लेने की स्थिति में आ जाएंगे. ये हितों का टकराव नहीं तो और क्या है.
दूसरी तरफ, राजस्थान के सियासी हालात, गहलोत के समर्थन में विधायकों की लामबंदी और कांग्रेस आलाकमान का रुख देखकर ये लग नहीं रहा कि राजस्थान सरकार में अभी नेतृत्व परिवर्तन संभव है. जयपुर से नई दिल्ली तक सियासी हलचल के बीच अशोक गहलोत और कांग्रेस आलाकमान, दोनों का ही अगला कदम क्या रहता है, ये तो आने वाले तीन दिन में ही साफ हो सकेगा.