इस साल आखिरी चंद्र ग्रहण कल 8 नवंबर 2022 को शाम 4:21 से प्रारंभ होकर 6:27 तक रहेगा भारत के पूर्वी राज्यों में पूर्ण चंद्रग्रहण और उत्तर के कुछ राज्यों में यह आंशिक चंद्रग्रहण देखा जाएगा। एक ही पखवाड़े पर दो ग्रहण लगे हैं पहला 25 अक्टूबर को दीपावली के ठीक अगले दिन सूर्य ग्रहण था और दूसरा चंद्रग्रहण 8 नवंबर को देव दीपावली के दिन लगेगा। चंद्र ग्रहण से 9 घंटे पूर्व सूतक काल माना जाता है। 3 प्रहर के सूतक काल में किसी भी प्रकार की शास्त्रोक्त पूजा-पाठ तो वर्जित माना जाता है।
ग्रहण काल के समय में कई बातों का खास ध्यान रखना पड़ता है क्योंकि इस बार एक पक्ष में दो ग्रहण लग रहे हैं तो ऐसे में अधिक सावधानियां बरतनी चाहिए। सूर्य जो की आत्मा का कारक माना जाता है, वहीं चंद्रमा को मन का कारक कहते हैं। कुण्डली में यही दो ग्रह रोशनी देने वाले ग्रह माने जाते हैं। इन पर ग्रहण लगने पर सभी प्राणियों पर इसका प्रभाव पड़ता है, जिन कुंडलियों में पहले से ही ग्रहण योग हो। क्या ग्रहण के समय में जिनका जन्म हुआ हो उनकी कुंडलियों में ग्रहण काल के समय अधिक नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इस नकारात्मक प्रभाव से बचने के लिए ग्रहण के समय से पूर्व ही कुछ उपाय कर लेने से दुष्प्रभाव से बचा जा सकता है। आइए जानते हैं, ग्रहण के समय कुछ खास नियमों को जिनका पालन हम सब को करना चाहिए।
ग्रहण के समय अपने इष्ट या किसी भी देवी-देवता की मूर्ति को हाथ लगाने से बचना चाहिए। इस समय में सूतक काल के शुरू होते ही मंदिरों के पट बंद कर दिए जाते हैं। घरों में भी किसी भी प्रकार की मूर्ति पूजा नहीं की जानी चाहिए।
ग्रहण समय के पहले सूतक काल जब चल रहा हो तो दान की जाने वाली वस्तुएं जैसे कि जो, दूध, तिल, काले-सफेद रंग का कंबल, साबुत बादाम, सूखे नारियल इत्यादि यह सब वस्तुएं ग्रहों के संबंध के अनुसार ग्रहण के बाद दान की जाती हैं। चंद्रमा पर जिस भी क्रूर ग्रह की दृष्टि हो उस ग्रह से संबंधित वस्तुओं का दान करने पर ग्रहण का प्रभाव कम हो जाता है।
ग्रहण के समय में महामृत्युंजय मंत्र, गायत्री मंत्र, हनुमान चालीसा या कोई भी गुरु मंत्र के जाप से विशेष लाभ मिलता है इसीलिए ग्रहण अवधि में किया गया पूजा-पाठ भी कई गुना फलदायक होता है।
ग्रहण के प्रभाव से घर में रखी खाद्य सामग्री को बचाने के लिए उनमें तुलसी व कुशा डाल देने से ग्रहण के प्रभाव से बचा जा सकता है। खासतौर पर सफेद रंग की वस्तुओं जैसे कि दूध और दही इनका प्रयोग सूतक काल से लेकर ग्रहण के समाप्त होने तक नहीं करना चाहिए।