Siddhartha Shankar Gautam
मध्य प्रदेश की छिंदवाड़ा लोकसभा सीट के अंतर्गत सिमरिया दो प्रतीकों के लिए प्रसिद्ध था। पहला, यह क्षेत्र पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान में प्रदेश कांग्रेस के मुखिया कमलनाथ का गढ़ है, जहां से वे 9 बार सांसद रह चुके हैं। दूसरा, सिमरिया वही क्षेत्र है जहां कमलनाथ ने 2015 में प्रदेश की सबसे ऊंची 101 फीट की पूर्वमुखी हनुमानजी की प्रतिमा स्थापित करवाकर स्वयं को हनुमान भक्त की श्रेणी में खड़ा किया है।
इसी सिमरिया में 05 से 07 अगस्त तक कमलनाथ बाबा बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री की हनुमान कथा करवाने जा रहे हैं। धीरेंद्र शास्त्री की लोकप्रियता के वर्तमान समय में संभवतः यह पहला अवसर है जबकि कोई कांग्रेसी नेता उनके मुखारविंद से होने वाली हनुमत कथा का मुख्य यजमान बनेगा।
चूंकि धीरेंद्र शास्त्री व्यासपीठ से हर बार हिंदू राष्ट्र और सनातन के वैभव की हुंकार भरते हैं अतः यह आश्चर्यजनक है कि हिंदू राष्ट्र की अवधारणा को सिरे से नकारने वाली कांग्रेस पार्टी का एक प्रमुख वरिष्ठ नेता उनकी कथा करवाने जा रहा है। क्या यह कमलनाथ का अपनी पार्टी के हिंदू राष्ट्र के स्टैंड से पृथक आयोजन है अथवा कमलनाथ के बहाने कांग्रेस मध्य प्रदेश में हिंदुत्व की राजनीति करके भाजपा के हिंदुत्व को चुनौती देना चाहती है?
हाल के वर्षों में प्रदेश के मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करने की मांग हो अथवा पुजारियों को सरकारी मानदेय का प्रश्न या मंदिरों की दुर्दशा से लेकर हाल ही में लोकार्पित महाकाल लोक में भ्रष्टाचार का मामला; भाजपा सरकार को कमलनाथ ने घेरा है और इसमें उन्हें जनता का साथ भी मिला है। फिर सरकार भी कहीं न कहीं हिंदुत्व के मुद्दों से विमुख हुई है जिसका लाभ कमलनाथ ने उठाया है। ऐसे में कमलनाथ द्वारा धीरेंद्र शास्त्री की हनुमत कथा करवाना यह संदेश देता है कि हिंदुत्व के मुद्दे पर अब कांग्रेस भी भाजपा के साथ “तू डाल-डाल, मैं पात-पात” का खेल खेलेगी।
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हालांकि भाजपा के नेता कमलनाथ के हिंदुत्व को नकली हिंदुत्व बताते रहे हैं किंतु उनके कई ऐसे निर्णय हैं जिनसे यह साबित होता है कि कमलनाथ ने अपनी पार्टी के मत से हटकर हिंदुत्व के पक्ष में काम तो किया है। एक कांग्रेसी नेता के हवाले से यह पता चला है कि कमलनाथ प्रदेश की सभी 230 विधानसभा सीटों पर सुंदरकांड के पाठ का आयोजन करवाने वाले हैं। इसके अलावा कई विधानसभा क्षेत्रों में भागवत कथा और शिव महापुराण की कथा का आयोजन भी होगा। इस वर्ष 16 अप्रैल को हनुमान जयंती के अवसर पर कमलनाथ के निर्देश के बाद पूरे प्रदेश में कांग्रेसियों ने हनुमान चालीसा और सुंदरकांड पाठ के सार्वजनिक आयोजन आयोजित करवाए थे। वहीं पिछले वर्ष महात्मा गांधी की पुण्यतिथि 30 जनवरी को कमलनाथ ने भोपाल के मिंटो हॉल में हनुमान चालीसा के सवा करोड़ जाप करवाए थे।
कमलनाथ संभवतः इकलौते कांग्रेसी नेता हैं जिन्होंने सर्वोच्च न्यायालय द्वारा राम मंदिर निर्माण के पक्ष में दिए गए फैसले के बाद प्रसन्नता व्यक्त की। जिस दिन फ़ैसला आया उस दिन प्रदेश कांग्रेस कार्यालय दीयों से रोशन था और कमलनाथ के निवास पर हनुमान चालीसा का पाठ हुआ था। इतना ही नहीं, राम मंदिर निर्माण के लिए उन्होंने अपनी ओर से 11 चाँदी की ईंटें दान दी थीं। इससे पूर्व अपने मुख्यमंत्रित्व काल में कमलनाथ ने उज्जैन स्थित महाकाल मंदिर और ओंकारेश्वर में मंदिरों का विकास, राम वनगमन पथ बनाने का मंत्रिमंडल का प्रस्ताव और ॐ सर्किट की स्थापना आदि कार्य करके हिंदुओं के एक बड़े वर्ग में अपनी छवि बनाई थी।
इस वर्ष के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव के चलते कमलनाथ ने कई प्रकोष्ठों की स्थापना की है जिसमें पुजारी प्रकोष्ठ, मठ-मंदिर प्रकोष्ठ तथा धार्मिक उत्सव प्रकोष्ठ के गठन ने भाजपा की चिंता बढ़ा दी है। 02 अप्रैल, 2023 को प्रदेश के इतिहास में पहली बार भोपाल स्थित प्रदेश कांग्रेस कमेटी का कार्यालय “इंदिरा भवन” भगवामय हो गया था, जहां प्रदेश भर से निमंत्रित पुजारियों ने पुजारी प्रकोष्ठ के बैनर तले अपनी समस्याओं पर चर्चा की थी। कमलनाथ का यह “भगवा प्रेम” प्रदेश में उन्हें हिंदूवादी नेता के पोस्टर बॉय के रूप में स्थापित कर रहा है। वैसे भी कमलनाथ की राजनीतिक शैली अपने मित्र स्व. संजय गांधी से मिलती-जुलती है अतः कमलनाथ जो कर रहे हैं वह भले ही पार्टी लाइन से हटकर हो किंतु अंततोगत्वा लाभ पार्टी और संगठन का ही होगा, ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है।
मध्य प्रदेश में कथा-सत्संग के माध्यम से चुनाव जीतने का दांव पुराना है जिसका सर्वाधिक लाभ भाजपा के नेताओं ने उठाया है। पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती स्वयं कथावाचक रह चुकी हैं और उनके राजनीति में प्रवेश से पूर्व नेता अपने क्षेत्र में उनकी कथा करवाकर चुनाव जीतने का उपक्रम करते रहे हैं। कोरोना कालखंड में प्रदेश में कई कथावाचकों का उभार हुआ जिन्हें राजनीतिक सफेदपोशों ने स्थापित कर दिया। ये कथावाचक अब क्षेत्रवार राजनीतिक दलों के नेताओं के प्रतिनिधि हो चुके हैं जो प्रदेश की 150 से अधिक विधानसभा सीटों पर सीधा प्रभाव रखते हैं। बुंदेलखंड में धीरेंद्र शास्त्री, मध्य क्षेत्र और मालवा में सीहोर वाले पंडित प्रदीप मिश्रा, ग्वालियर-चंबल संभाग में पंडोखर सरकार गुरुशरण शर्मा का बोलबाला है।
जया किशोरी की भी प्रदेश में बड़ी मांग है। बीते 9 माह में विभिन्न कथावाचकों द्वारा 500 से अधिक कथाएं प्रदेश भर में हो चुकी हैं जिनमें से अधिकांश के यजमान राजनीतिक दलों के नेता थे। पिछले वर्ष संपन्न हुए गुजरात विधानसभा चुनाव में भी “कथा पॉलिटिक्स” का फार्मूला सफल रहा था और यही कारण है कि मध्य प्रदेश में इस बार जमकर कथाओं के बहाने राजनीतिक रोटियां सेंकी जा रही हैं। हालांकि गुजरात में भाजपा की “कथा पॉलिटिक्स” की कांग्रेस ने “सरोगेट अभियान” बताकर आलोचना की थी किंतु वहां के चुनाव परिणाम ने प्रदेश के कांग्रेस नेताओं को भी “कथा पॉलिटिक्स” का चस्का लगा दिया है।
कमलनाथ द्वारा आयोजित हनुमत कथा ने अन्य कांग्रेसी नेताओं को भी कथाओं की महत्ता से परिचित करवा दिया है। ऐसा अनुमान है कि आगामी 3 से 4 माह में 1000 से अधिक छोटी-बड़ी कथाओं का आयोजन होना है जहां कथा के बहाने चुनाव जीतने की जुगत भी भिड़ाई जाएगी। फिलहाल तो इस “कथा पॉलिटिक्स” में स्वयं को हनुमान भक्त के रूप में स्थापित कर चुके कमलनाथ भारी पड़ते नजर आते हैं।