नई दिल्ली lआध्यात्मिक गुरू श्री श्री रविशंकर, सामाजिक कार्यकर्ता पद्मश्री निवेदिता भिड़े, विवेकानंद केंद्र, कन्याकुमारी व प्रसिद्ध उद्योगपति व अब सामाजिक कार्यों में सक्रिय अज़ीम प्रेमजी ने भारतीय समाज से आह्वान किया कि कोरोना संकट का एकजुट होकर मुकाबला करें तथा करूणा व सेवा पर अपना ध्यान केंद्रित करें. ‘हम जीतेंगे – Positivity Unlimited’ श्रृंखला के अंतर्गत आज दूसरे दिन संबोधित कर रहे थे. व्याख्यान श्रृंखला का आयोजन दिल्ली स्थित कोविड रिस्पॉन्स टीम द्वारा किया गया है.
द आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक व आध्यात्मिक गुरू श्री श्री रविशंकर ने कहा, ”मानसिक रूप से, सामाजिक रूप से हम सबके ऊपर एक जिम्मेदारी है. उस जिम्मेदारी को निभाने के लिए हमें सबसे पहले क्या करना है, हमारे भीतर की जो धैर्य है, शौर्य है, जोश है, अपने जोश को जगाएं. जोश को जगाने से उदासीपन अपने आप हट जाएगा.”
उन्होंने कहा, ”करूणा की कब आवश्यकता है? जब व्यक्ति उदास है, दुःखी है, दर्द से पीड़ित है. यहां करूणा अपने भीतर जगाएं. करूणा जगाने का मतलब ये है कि हम सेवा कार्य में लग जाएं. अपने से जो हो सकता है, वो सेवा हम दूसरों की करें…ऐसे ही ये मनुष्य जीवन की सबसे बड़ी परीक्षा है. कम से कम इस वक्त हम सबको ईश्वर भक्ति को हमारे भीतर जगाना है. ये जान कर हमको आगे बढ़ना है कि ईश्वर है और वो हमको बल देंगे, और दे रहे हैं.”
उन्होंने कहा कि कहा, ”नकारात्मक मानसिकता और नकारात्मक बातों से हमें बचना चाहिए. नकारात्मक बातों को जितना कम हो सके, उतना कम करना चाहिए. और जो वातावरण बोझिल लगता है, उसको हल्का करने के लिए हर व्यक्ति कोशिश करे. ये निश्चित है कि हम अवश्य इस संकट से बाहर आएंगे और विजेता बनकर आएंगे. जब भी किसी ताकत ने हमको दबाने की चेष्टा की, हम और बलवान होकर उससे निखरते आए हैं. इस बात को हम याद रखें. अभी अपने भीतर हिम्मत जुटाएं, करूणा की अभिव्यक्ति का यही समय है. अपने भीतर की करूणा को व्यक्त करें, ईश्वर विश्वास को जगाएं. योग-साधना और आयुर्वेद पर ध्यान दें, अपने स्वास्थ्य का भी ध्यान दें. औरों के भले के लिए जो भी कर सकते हैं, वो करने के लिए तत्पर हो जाएं. इतना करने से हमारी जो मानसिक नकारात्मक स्थिति बढ़ती जा रही है, इससे हम बच सकते हैं.”
पद्मश्री निवेदिता भिड़े जी ने कहा, ”शुरूआत में कोरोना की दूसरी लहर अप्रत्याशित रूप से इतने वेग से आई कि हम लड़खड़ा गए. पर अब हम संस्था, सरकार व समाज के स्तर पर संगठित हो रहे हैं और निश्चित ही इस चुनौती का हम सफलतापूर्वक सामना करेंगे.”
उन्होंने इस बात पर बल दिया कि इस चुनौतीपूर्ण समय में सकारात्मकता बनाए रखने के लिए अपने परिजनों तथा आस-पास वालों के साथ रचनात्मक गतिविधियों में सक्रियता से भागीदारी सुनिश्चित करें. इसके अलावा अपने-आस कोरोना से प्रभावित परिवारों की सेवा करें, अगर यह भी नहीं कर सकते तो कम से कम संकल्प के साथ प्रार्थना करें, इससे भी वातावरण में सकारात्मक तरंगों का निर्माण होता है और माहौल में सकारात्मकता आती है.”
उन्होंने कहा, ”हमें भूलना नहीं चाहिए कि हम कोई साधारण राष्ट्र नहीं हैं, पहले भी ऐसी विपत्तियां व संकट हम पर आए हैं और हमने उनका सामना सफलतापूर्वक किया है, हम वर्तमान चुनौती का सामना भी सफलतापूर्वक करेंगे.”
अज़ीम प्रेमजी ने अपने संबोधन में कहा, ”इस परिस्थिति में पूरे राष्ट्र को एक साथ खड़े होना चाहिए. हमें अपने मतभेद भुला देने चाहिएं और इस बात को समझना चाहिए कि इस समय मिलकर कुछ करने का समय है. एक साथ रहेंगे तो हम मजबूत रहेंगे, अगर विभाजित हो जाएंगे तो संघर्षरत रहेंगे.”
उन्होंने कहा, हमें सोचना चाहिए कि हमारे सारे प्रयास अब समाज के कमजोर तबके के लिए होंगे. मैं सभी से आग्रह करता हूं कि समय की आवश्यकता है कि हम सब एक साथ मिलकर यथासंभव प्रयास करें. मैं आप सभी की सुरक्षा और आपको बल मिले, इसकी कामना करता हूं.”
व्याख्यानमाला का प्रसारण 100 से अधिक मीडिया प्लेटफॉर्म पर 11 से 15 मई तक प्रतिदिन सायं 4:30 बजे किया जा रहा है. 13 मई को इस श्रृंखला के अंतर्गत पूज्यनीय शंकराचार्य विजयेंद्र सरस्वती जी व प्रख्यात कलाकार पद्मविभूषण सोनल मानसिंह जी अपना उद्बोधन देंगे.