हितानंद शर्मा
संवाद कौशल में निपुणता अर्थात कब क्या कैसे किस बात को सीधे व्यक्ति के मन से जोडकर रखा जाये, ऐसी असाधारण प्रतिभा के धनी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी जब भी कोई विषय रखते हैं तो वह सीधे जन मानस के साथ संवाद- संबंध जुड जाता है। अद्भुत वक्तव्य कला के धनी होने के साथ- साथ व्यवहारिक पक्ष के आग्रही मोदी जी जब किसी विषय का प्रतिपादन राष्ट्रीय अथवा अंतरराष्ट्रीय मंचों पर करते हैं तो सामान्य जन भी उसको स्वंय का विषय मानकर आत्मीयता के साथ स्वीकार कर लेता है।
जितनी आत्मीयता व अपनत्व के साथ वह बोलते हैं, जिस कार्यपद्धति व निष्ठा के लिये वह जाने जाते हैं और गत आठ वर्षों से नागरिकों के साथ जो विश्वास आधारित संवाद के जो सीधे संबंध बनाए हैं, वे सभी गुण जन संचारक के रूप में उन्हें स्थापित करते हैं। मोदी जी के समावेशी व दूरदर्शी दृष्टिकोण को सम्पूर्ण भारतवर्ष में अभूतपूर्व स्वीकार्यता मिली है। यह प्रधानमंत्री जी का सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास रूपी माडल ही है जिससे वह दुनिया के जनप्रिय नेता बन गये हैं।
मन की बात के रूप में सतत संवाद कर एक नवाचार के जरिए मोदी जी ने रेडियो के माध्यम से लोगों के घरों में ही नही, मनों में जगह बना ली है। मोबाइल, सोशल मीडिया, इंस्ट्राग्राम, ट्विटर की दुनिया में दखल रखते हुये भी उससे पृथक जाकर रेडियों जैसे मृतप्राय हो रहे संचार माध्यम को न केवल जीवंत किया अपितु उसमें भी अभिनव प्रयोगो का समावेश कर नव कीर्तिमान रचे हैं।
अक्टूबर 2014 में आरंभ किये गये मन की बात कार्यक्रम को जब प्रत्येक माह के अंतिम रविवार के प्रात: 11 बजे का समय तय किया गया तो विरोधियों ने अनेक प्रकार से नकारात्मक बातें कहते हुये हास्य का विषय बताया । किंतु शनै शनै यह कार्यक्रम प्रधानमंत्री जी की मन की बात से सामान्य समाज की जन की बात बनता चला गया ।आगामी 30 अप्रेल को 100 वा एपीसोड पूर्ण कर विरोधियों की अनेक भ्रांतियों और भ्रम का शमन कर रहा है।
एक राजनीतिक दल के नेता के साथ – साथ सरकार के प्रतिनिधि होने के बाद भी मन की बात में किसी भी राजनैतिक विषय को स्पर्श किये बिना सतत संवाद एक संगठन की सतत साधना से गढे गये साधक की प्रतिमा को स्थापित करता है।
स्वच्छता, शिक्षा, संस्कार और भारत के प्रत्येक भाग से जीवंत उदाहरणों का उल्लेख कर बड़ी बड़ी बातों को भी सहज सरल भाषा में जब वह समझाते हैं तो किसी भारतीय को अपने अभिभावक के रूप में, किसी युवा को अपने साथी के रूप में तो किसी छात्र को अपने शिक्षक के रुप में सुनाई पढते हैं।
मन की बात जब हम सुनते हैं तो हमें मोदी जी के दो व्यक्तित्व दिखाई देते हैं – एक और दृढ, शक्तिशाली और उद्देश्यपूर्ण प्रधानमंत्री मोदी तो दूसरी और नम्र, दयालु और नेक पिता तुल्य अभिभावक। यदि हम आंख बंद करके ‘मन की बात’ सुनते हैं, तो हमारे मन में दृश्य उभरता है कि मोदी जी गांव की चौपाल पर बैठे हैं, लोगों से बातचीत कर रहे हैं, उनकी बातें सुन रहे हैं, उनके साथ संवाद कर रहे हैं, जहां आवश्यकता है वहां ज्ञान भरी सलाह दे रहे हैं या किसी अनुकरणीय कार्य के लिए किसी की प्रशंसा कर रहे हैं। कुछ समय पहले ही उन्होंने दुर्घटना पीडि़तों के परिवारों के साथ अपनी बातचीत साझा की, जिन्होंने बहादुरी से अपने प्रियजनों के अंग दान करने के फैसले किए थे। मोदी जी ने उस बातचीत का उपयोग अंगदान के नेक विचार को बढ़ावा देने के लिए किया।
पत्राचार की पुरानी परंपरा को बढ़ावा देते हुये पत्रों की बात को अपने संवाद में सम्मिलित करके न केवल पोष्टकार्ड और अन्तर्देशीय पत्रों को पुन: व्यवहार में लाना आरंभ हो गया है। जब किसी बालिका या किसी युवा के पत्र का उद्धरण देते हुये प्रधानमंत्री जी अपनी बात रखते हैं तो वह न केवल उस एक व्यक्ति का मनोबल बढाते हैं अपितु उस एक पीढी के प्रेरणास्त्रोत बन जाते हैं।
ऐसे अनेक उदाहरण बताये जा सकते हैं जिनमें जलवायु की विपरीत परिस्थितियों से निपटने से लेकर स्वास्थ्य और स्वच्छता से जुड़े सामान्य लोगों के अच्छे कार्यों के लिए उन्हें उदार मन से बधाई देना। मोदी जी की ‘मन की बात’ अनिवार्य रूप से वास्तविक जीवन की कहानियों और अनुभवों के बारे में है। ऐसी कहानियां, जो वास्तविक भारत का दर्शन कराती हैं और इसी वजह से ‘मन की बात’ का हर एपिसोड अत्यधिक लोकप्रिय होता है।
मन की बात का पहला एपिसोड 3 अक्तूबर, 2014 को प्रसारित किया गया था और यह 30 अप्रैल, 2023 को 100 एपिसोड पूर्ण करेगा। यह कार्यक्रम अपनी विषय वस्तु, इसकी डिजाइन, बातचीत और आम लोगों तथा समग्र रूप से समाज के साथ संवाद करने के अभिनव तरीकों के मामले में अद्वितीय है। 262 रेडियो स्टेशनों और 375 से अधिक निजी और सामुदायिक रेडियो स्टेशनों के साथ विश्व के सबसे बड़े रेडियो नैटवर्क ‘ऑल इंडिया रेडियो’ के माध्यम से, भारतीय प्रधानमंत्री सामाजिक-आर्थिक और सांस्कृतिक रूप से विभिन्नता वाली विशाल जनसंख्या तक पहुंचते हैं, उन्हें न केवल सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक मुद्दों पर, बल्कि जलवायु परिवर्तन, अपशिष्ट प्रबंधन, ऊर्जा संकट जैसी चुनौतीपूर्ण समस्याओं पर भी प्रेरित व सक्रिय करते हैं, जिनका सम्पूर्ण विश्व समाज आज सामना कर रहा है।
भारतीय लोक प्रसारक, प्रसार भारती मन की बात का अनुवाद और प्रसारण 52 भाषाओं/बोलियों में करता है, जिसमें 11 विदेशी भाषाएं शामिल हैं, जिससे देश के सबसे दूर-दराज क्षेत्रों से लेकर विदेशों में रहने वाले भारतीयों तक इसकी पहुंच सुनिश्चित हो सके। मन की बात भारत का पहला वर्चुअल रूप से समृद्ध रेडियो कार्यक्रम है, जिसे टी.वी. चैनलों द्वारा एक साथ प्रसारित किया जाता है।
दूरदर्शन नैटवर्क के 34 चैनल और 100 से अधिक निजी सैटेलाइट टी.वी. चैनल इस अभिनव कार्यक्रम को देश भर में प्रसारित करते हैं, जो संचार के इस पारंपरिक माध्यम के प्रति एक नई रुचि और जागरूकता पैदा करते हैं। इतने व्यापक प्रभाव के साथ, मन की बात को एक सामाजिक क्रांति के रूप में देखा जा सकता है। इस कार्यक्रम को जनभागीदारी से व जन लोकप्रियता से ठोस आधार प्राप्त होता है।
‘मन की बात’ के 8 वर्षों के अपने 99 एपिसोड को सफल बनाने के क्रम में, न केवल महत्वपूर्ण विषयों के बारे में जनता में जागरूकता पैदा करने का प्रयास किया गया है, अपितु उन्हें सामाजिक और राष्ट्रीय हितों को लेकर कार्य करने के लिए प्रेरित किया गया है। कार्यक्रम में प्रधानमंत्री जी द्वारा दिए गए सामाजिक संदेश कुछ ही घंटों में सोशल मीडिया के ट्रैंड बन जाते हैं और कुछ ही सप्ताहों में एक जन आंदोलन बन जाते हैं।
स्वच्छ भारत अभियान हो या बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ आंदोलन, कोविड टीकाकरण हो या हर घर तिरंगा इसके कुछ उत्कृष्ट उदाहरण हैं। हाल ही में ‘मन की बात’ के 88वें एपिसोड में प्रधानमंत्री ने जल संरक्षण के महत्व पर प्रकाश डाला और नागरिकों से अपने अपने क्षेत्रों में अमृत सरोवर बनाने का आग्रह किया। ‘मन की बात’ कार्यक्रम के माध्यम से प्रधानमंत्री ने सफलतापूर्वक कल्याणकारी योजनाओं और नीतियों को हर स्तर पर लोगों तक पहुंचाने और इसके बारे में जागरूकता पैदा करने हेतु एक तंत्र स्थापित किया है।
हम सभी के लिये वास्तव में यह गर्व और गौरव का विषय है कि विश्व के सबसे श्रेष्ठ व सबसे व्यस्ततम प्रधानमंत्री जी निर्वाध रूप से सतत संवाद की एक अनुकरणीय परंपरा का पालन करते हुए मन की बात के द्वारा असंख्य मनों को मनों से जोडऩे की आवाज है बन गये हैं।