देहरादून : भाजपा के खिलाफ विपक्षी दलों के महागठबंधन की चुनौती की संभावना के बीच प्रदेश में सत्तारूढ़ दल के लिए लोकसभा की एक-एक सीट के खास मायने हैं। स्वाभाविक है कि पांचों लोस सीटें जीतने के लिए भाजपा चुनावी रणनीति को धारदार बनाने के साथ ही जिताऊ प्रत्याशियों पर ही दांव लगाएगी।
सियासी हलकों में चर्चा है कि पार्टी चेहरे बदलने से भी नहीं हिचकेगी। इन चर्चाओं से चुनाव लड़ने का ख्वाब देख रहे कई भाजपा नेताओं की उम्मीदें बढ़ गई हैं। वहीं, मुख्य प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस भी भाजपा के दुर्ग में सेंध लगाने के लिए ऐसे पत्ते की तलाश में है जो तुरुप का इक्का साबित हो। अमर उजाला ने पौड़ी गढ़वाल सीट पर दोनों दलों में टिकट की दावेदारी को लेकर अंदरखाने चल रही जोर आजमाइश की पड़ताल की। पेश है यह रिपोर्टः
दो पूर्व मुख्यमंत्रियों समेत कई दिग्गज हैं दावेदार
राजनीतिक गुरु जनरल बीसी खंडूड़ी (सेनि) के पुत्र को हराकर सांसद बने पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत पौड़ी गढ़वाल लोकसभा सीट पर टिकट के अभी सबसे मजबूत और स्वाभाविक दावेदार हैं। लेकिन सियासी जानकारों का मानना है कि अपने फैसलों से चौंकाने वाले केंद्रीय नेतृत्व के सामने पार्टी में कुछ भी स्थायी नहीं है। इसी संभावना से पार्टी के तमाम नेताओं की उम्मीदों को जिंदा रखा है, जिनकी पौड़ी लोस सीट के टिकट पर निगाह है।
टिकट के लिए जोड़तोड़
बेशक टिकट के लिए संघर्ष अभी सतह पर नहीं दिख रहा है, लेकिन अंदरखाने संपर्कों के तार भिड़ाए जा रहे हैं। तीरथ के बाद दावेदारों में दूसरे स्थान पर पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत हैं। वह पौड़ी जिले के मूल निवासी हैं और मुख्यमंत्री की कुर्सी से हटने के बाद गढ़वाल क्षेत्र का कम से कम दो बार पूरा दौरा कर आए हैं। राजनीतिक पहचान के तौर पर उन्हें पौड़ी संसदीय क्षेत्र में कोई दिक्कत नहीं है। ब्राह्मण चेहरे के तौर पर पार्टी के पास कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट और बदरी-केदार मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय सरीखे नेता हैं, जिन पर पार्टी दांव लगा सकती है। सियासी हलकों में राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी का नाम भी लिया जाता है, लेकिन बलूनी को केंद्रीय नेतृत्व शायद ही मुक्त कर पाएगा। उनके कंधों पर पार्टी के मीडिया प्रबंधन की जिम्मेदारी है। वहीं वर्तमान में भाजपा महिला मोर्चा की राष्ट्रीय महामंत्री दीप्ति रावत भी दावेदार हैं। वह पौड़ी गढ़वाल से हैं भी। अब महा जनसंपर्क अभियान के बाद टिकट के लिए जोड़तोड़ तेज होगी।
भाजपा का मजबूत गढ़ बन चुकी है पौड़ी सीट
पौड़ी गढ़वाल लोकसभा सीट नब्बे के दशक के बाद भाजपा का मजबूत गढ़ बन चुकी है। 2014 के बाद पार्टी ने इस सीट पर लगातार चुनाव जीता है। जनरल बीसी खंडूड़ी सबसे अधिक पांच बार सांसद रहे। उन्होंने 1991, 1998, 1999, 2004, 2014 में इस सीट से चुनाव जीता। कांग्रेस इस सीट पर दो बार ही चुनाव जीती। दोनों बार 1996 में और फिर 2009 में सतपाल महाराज जो अब भाजपा सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं, सांसद बने।
पूरे प्रदेश में भाजपा के पक्ष में माहौल है। पार्टी पांचों सीटों को जीतने के साथ अपना वोट प्रतिशत भी बढ़ाएगी। मैं टिकट की दौड़ में नहीं हूं। मुझे पांचों सीटें जिताने के लिए मेहनत करनी है। प्रत्याशी का नाम केंद्रीय संसदीय बोर्ड तय करता है। -महेंद्र भट्ट, प्रदेश अध्यक्ष, भाजपा