हल्द्वानी : भ्रष्टाचार से मुक्ति के दावों के बीच रिश्वत लेने के मामलों में किसी प्रकार की कमी नहीं आ रही है। सिस्टम से परेशान लोग सरकारी विभागों में छोटे-छोटे काम करवाने के लिए भी रिश्वत देने को मजबूर हैं। रिश्वतखोरी के इस खेल में कर्मचारी ही नहीं ए ग्रेड के अधिकारी भी शामिल हैं। इसकी तस्दीक विजिलेंस की रिपोर्ट कर रही है।
राज्य बनने के बाद विजिलेंस की टीम ने 235 शिकायतों पर सटीक जाल बिछाया। इन शिकायतों में 248 अधिकारी-कर्मचारी रंगे हाथ रिश्वत लेते पकड़े गए। इनमें करीब 25 फीसदी यानी 61 अधिकारी ऐसे हैं जिन्हें ए ग्रेड (राजपत्रित) का दर्जा प्राप्त है। शेष में सरकारी विभागों के 187 अधिकारी-कर्मचारी (अराजपत्रित) विजिलेंस के जाल में फंसे हैं।
इनमें सरकारी दफ्तरों के छोटे से बड़े अधिकारी शामिल रहे हैं। विजिलेंस की ओर से भ्रष्टाचार खत्म करने के लिए लोगों को जागरूक किया जाता रहा है। यहां तक विभागों में रिश्वत मांगने वाले अधिकारियों की गोपनीय जानकारी हेल्पलाइन नंबर 1064 पर देने की अपील की जाती रही है।
लगातार बढ़ रहे मामले : प्रदेश के सरकारी विभागों में भ्रष्टाचार के मामलों के बढ़ने के साथ विजिलेंस की कार्रवाई भी साल दर साल बढ़ी है। राज्य गठन के शुरुआती पांच साल में विजिलेंस ने 16 मामलों में दबिश दी। जिसमें से चार राजपत्रित अधिकारियों सहित कुल 16 सरकारी कर्मचारी रिश्वत लेते पकड़े गए। इसके बाद साल दर साल विजिलेंस की कार्रवाई और नतीजों में इजाफा होता रहा है।
2009-10 में सबसे अधिक 59 अधिकारी आए गिरफ्त में
वर्ष 2009 और 10 में 59 अधिकारी-कर्मचारी विजिलेंस की गिरफ्त में आए। 2009 में कुल 29 मामलों में सात राजपत्रित अधिकारियों के साथ कुल 33 सरकारी कर्मचारी रिश्वत लेते पकड़े गए। जबकि 2010 में 25 मामलों में हुई कार्रवाई में आठ ए ग्रेड अधिकारियों के साथ कुल 26 कर्मचारी रिश्वत लेते पकड़े गए।