Monday, June 2, 2025
नेशनल फ्रंटियर, आवाज राष्ट्रहित की
  • होम
  • मुख्य खबर
  • समाचार
    • राष्ट्रीय
    • अंतरराष्ट्रीय
    • विंध्यप्रदेश
    • व्यापार
    • अपराध संसार
  • उत्तराखंड
    • गढ़वाल
    • कुमायूं
    • देहरादून
    • हरिद्वार
  • धर्म दर्शन
    • राशिफल
    • शुभ मुहूर्त
    • वास्तु शास्त्र
    • ग्रह नक्षत्र
  • कुंभ
  • सुनहरा संसार
  • खेल
  • साहित्य
    • कला संस्कृति
  • टेक वर्ल्ड
  • करियर
    • नई मंजिले
  • घर संसार
  • होम
  • मुख्य खबर
  • समाचार
    • राष्ट्रीय
    • अंतरराष्ट्रीय
    • विंध्यप्रदेश
    • व्यापार
    • अपराध संसार
  • उत्तराखंड
    • गढ़वाल
    • कुमायूं
    • देहरादून
    • हरिद्वार
  • धर्म दर्शन
    • राशिफल
    • शुभ मुहूर्त
    • वास्तु शास्त्र
    • ग्रह नक्षत्र
  • कुंभ
  • सुनहरा संसार
  • खेल
  • साहित्य
    • कला संस्कृति
  • टेक वर्ल्ड
  • करियर
    • नई मंजिले
  • घर संसार
No Result
View All Result
नेशनल फ्रंटियर
Home अपराध संसार

मील का पत्थर साबित होगी नई कोयला खनन नीति-(लेख)

Manoj Rautela by Manoj Rautela
08/06/20
in अपराध संसार, राष्ट्रीय
मील का पत्थर साबित होगी नई कोयला खनन नीति-(लेख)
Share on FacebookShare on WhatsappShare on Twitter

मील का पत्थर साबित होगी नई कोयला खनन नीति 

देश को कोयला खनन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से केंद्र सरकार ने हाल ही में एक नई खनन नीति की घोषणा की है। ऐसा कहा जा रहा है कि यह नई खनन नीति खेल परिवर्तक साबित होगी। इस नीति के अंतर्गत कोयला खनन क्षेत्र में सरकार का एकाधिकार ख़त्म कर कोयला क्षेत्र को निजी क्षेत्र के लिए भी खोल दिया जाएगा एवं इसे  व्यावसायिक दृष्टि से सक्षम बनाया जाएगा, इसके चलते कोयले की क़ीमतों में कमी देखने को मिलेगी। इसके लिए 50 नए ब्लाक तुरंत ही उपलब्ध कराए जाएँगे एवं इन ब्लाक पर तुरंत ही काम प्रारम्भ किया जाएगा। साथ ही, सरकार कोयले से गैस बनाये जाने के कार्य को भी प्रोत्साहन राशि प्रदान कर प्रोत्साहित करेगी। कोयले को खदानों से उत्पादन स्थल तक पहुँचने के लिए भी विशेष परिवहन बुनियादी ढाँचा विकसित किया जाएगा, जिसके लिए केंद्र सरकार 50,000 करोड़ रुपए की राशि ख़र्च करेगी।  

भारत में अभी कोयले का उत्पादन 70 करोड़ से 80 करोड़ टन प्रतिवर्ष के बीच रहता है। देश में प्रतिवर्ष 15 करोड़ से 20 करोड़ टन कोयला का आयात किया जाता है। जबकि भारत सरकार का यह लक्ष्य रहा है कि देश में कोयले के उत्पादन को 100 करोड़ टन तक पहुँचाया जाय ताकि कोयले के आयात की बिल्कुल भी आवश्यकता नहीं पड़े। इस दृष्टि से कोयले के उत्पादन के क्षेत्र में सरकार के एकाधिकार को ख़त्म कर निजी क्षेत्र को प्रवेश देना बहुत आवश्यक है ताकि कोयला खनन के लिए अधिक पूँजी जुटाई जा सके। और, इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए भारत सरकार द्वारा कोयला खनन के क्षेत्र को व्यावसायिक रूप दिया जा रहा है ताकि इस क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा बढ़े, दक्षता का स्तर सुधरे, उत्पादन बढ़े एवं कोयले का आयात ख़त्म हो।   

भारत में बिजली के कुल उत्पादन में से 76 प्रतिशत बिजली कोयले के उपयोग से उत्पादित होती है और केवल 24 प्रतिशत बिजली ही अन्य स्त्रोतों से उत्पादित की जाती है। अर्थात, देश में 24 घंटो में से 18 घंटे उपयोग हेतु बिजली कोयले की सहायता से निर्मित होती है। कोयले के उपयोग से निर्मित बिजली का उपयोग स्थानीय उपभोक्ता एवं उद्योग करते हैं।  अतः देश के अंदर ही खनन की गतिविधियों को बढ़ाकर यदि कोयले का उत्पादन बढ़ाया जाएगा तो कोयले की लागत में कमी आएगी एवं कोयले की समय पर उपलब्धता भी सुनिश्चित होगी। इससे पूरे देश भर में कोयले की सप्लाय चैन में सुधार होगा और कोयले की कम लागत का लाभ देश में सभी वर्गों को मिलने लगेगा। 

कोयला मंत्रालय में हुए एक मंथन के अनुसार, वर्ष 2023-24 तक कोयले के आयात को ख़त्म कर देने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसका सीधा सा आश्य है कि देश को कोयला उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाना है। इसलिए केंद्र सरकार द्वारा कोयला खनन क्षेत्र के लिए किए सुधार कार्यक्रम का नाम ही आत्मनिर्भर भारत दिया गया है। इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए जो भी उचित क़दम उठाए जाने की आवश्यकता हो उन्हें शीघ्र ही लागू किया जाना चाहिए।

कोयला खनन के क्षेत्र में व्यावसायिक स्तर पर खनन का देश में एक नया विचार आ रहा है। इसलिए, इस नए विचार को सफल बनाने के लिए इस सम्बंध में सख़्त नियम भी बनाए जाएँगे ताकि कोयला खनन में काम करने वाली कम्पनियाँ इन नियमों का दुरुपयोग नहीं कर सकें। नियमों एवं शर्तों का यदि कोई पालन नहीं कर पाता है तो उस पर दंड का भी सख़्त प्रावधान किया जाएगा। अब कोयला खनन के लिए बोली लगाने के समय इस बात का ध्यान रखा जाएगा कि बोली लगाने वाली कम्पनी इस कार्य के लिए सक्षम हो, सही तरीक़े से खनन का कार्य कर सके और भारत को इस मामले में आत्मनिर्भर बनाने में मदद कर सके। 

कोयला खनन क्षेत्र के लिए घोषित की गई नई नीति में सरकार एवं कोयला खनन करने वाली कम्पनियों के बीच राजस्व बँटवारे के मुद्दे का हल भी निकाल लिया गया है। पुरानी व्यवस्था के अंतर्गत खनन का अधिकार पाने वाली कम्पनी को खनन के एवज़ में एक स्थिर रक़म सरकार के ख़ज़ाने में जमा करनी होती थी। और, केवल निश्चित रक़म अदा करने के बाद, कम्पनी खनन के लिए स्वतंत्र होती थी कि वह कितना भी उत्पादन करे। अब नए नियमों के अनुसार, राजस्व में हिस्सेदारी का सिद्धांत लागू किया जा रहा है। जब राजस्व  में सरकार की हिस्सेदारी होगी तो सरकार की जवाबदेही भी तय होगी इससे सरकार पर भी एक ज़िम्मेदारी आ जाएगी और प्रशासनिक अमले की ज़िम्मेदारी भी बढ़ेगी। इस व्यवस्था के अंतर्गत यदि कोयले का उत्पादन बढ़ेगा तो सरकार की आय भी बढ़ेगी। सरकार एक सुविधा प्रदान करने वाली संस्था के रूप में कार्य करेगी। उत्पादन, गुणवत्ता और आय भी बढ़ेगी। सरकार की भूनिका भी बढ़ जाएगी। अतः निश्चित रक़म अदा करने के नियम की तुलना में राजस्व में हिस्सेदारी का सिद्धांत ज़्यादा अच्छा है क्योंकि अब जब सरकार खनन करने वाली कम्पनियों के साथ रहेगी और खनन से आय में भी सरकार की हिस्सेदारी होगी तो सरकार भी खनन में आने वाली समस्याओं का हल शीघ्रता से करने का प्रयास करेगी ताकि कोयले का उत्पादन बढ़े और सरकार की आय भी बढ़े। अतः सरकार भी अब इस ओर ध्यान देगी ताकि कोयले का उत्पादन बढ़े। सरकार और कोयले का खनन करने वाली कम्पनियाँ आपस में मिलकर काम करेंगे। 

कोयले की खदानें देश के दूर दराज़ इलाक़ों में रहती हैं वहाँ आधारिक संरचना सम्बंधी सुविधाएँ न्यूनतम स्तर की रहती हैं। इन कारणों के चलते कोयले की लागत अधिक होती है और खदान से कोयला निकालने में समय भी अधिक लगता है। साथ ही, कोयले की खदान से निकाले गए कोयले को कोयले के उपयोग होने वाले स्थल तक पहुँचाना भी ज़रूरी है। इस कार्य के लिए विकसित परिवहन व्यवस्था का होना भी अति आवश्यक है। अतः उत्पादित कोयले को कोयला खदानों से कोयले के उपयोग होने वाले स्थल तक पहुँचाने हेतु परिवहन व्यवस्था को विकसित करने के लिए केंद्र सरकार ने 50,000 करोड़ रुपए ख़र्च करने का निश्चय किया है। यह भारत सरकार का बहुत बड़ा निर्णय है। पर्यावरण हितैषी परिवहन व्यवस्था पर बल दिया जा रहा है अतः रेल्वे का इसमें बड़ा योगदान रहने वाला है। इससे कोयले के उत्पादन की लागत कम होगी और कोयले को कम क़ीमत पर उपलब्ध कराया जा सकेगा। 

नयी कोयला खनन नीति के अनुसार, कोयले का गैसीकरण करने पर भी बल दिया जाएगा। अर्थात, कोयले से अब गैस का उत्पादन किया जाएगा। यह प्रयास स्वच्छ ऊर्जा की ओर बढ़ता, एक क़दम साबित होगा। अभी हमारा देश गैस का आयात करता है, यदि कोयले से गैस का उत्पादन देश में ही प्रारम्भ हो जाएगा तो गैस के आयात को भी कम किया जा सकेगा। कोयले को उत्पादन के स्थान पर ही गैस में परिवर्तित किया जा सकेगा इससे कोयला को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने की आवश्यकता ही समाप्त हो जाएगी। कोयले के खनन की आवश्यकता भी नहीं होगी क्योंकि खदान के अंदर ही कोयले को गैस में परिवर्तित कर लिया जाएगा। दूर दराज़ इलाक़ों में जहाँ कोयले के पर्याप्त भंडार मौजूद हैं परंतु वहाँ पर कोयले का खनन नहीं किया जा पा रहा है ऐसे स्थानों के लिए प्रयास हो रहा है कि कोयले को गैस में परिवर्तिति कर लिया जाय।

कोयले से गैस बनाना देश में आज भी एक नई तकनीकी के तौर पर देखा जा रहा है।  परंतु विदेशों में इस तकनीक का उपयोग बहुत बड़े स्तर पर हो रहा है। हाँ, इस तकनीक में लागत बहुत अधिक आती है। परंतु अब सरकार इस कार्य पर प्रोत्साहन राशि उपलब्ध कराएगी। जिन दूर दराज़ इलाक़ों में खदाने बहुत अंदर हैं एवं मज़दूर इन खदानों में कोयला निकालने में बहुत अधिक कठिनाई का अनुभव करते हैं ऐसे इलाक़ों में कोयले को सीधे ही गैस में परिवर्तित किया जाएगा। अतः अब आर्थिक दृष्टि से कोयला उद्योग को बहुत बढ़ावा मिलेगा। 

लेखक,

प्रह्लाद सबनानी,

सेवा निवृत उप-महाप्रबंधक,
(भारतीय स्टेट बैंक)

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

About

नेशनल फ्रंटियर

नेशनल फ्रंटियर, राष्ट्रहित की आवाज उठाने वाली प्रमुख वेबसाइट है।

Follow us

  • About us
  • Contact Us
  • Privacy policy
  • Sitemap

© 2021 नेशनल फ्रंटियर - राष्ट्रहित की प्रमुख आवाज NationaFrontier.

  • होम
  • मुख्य खबर
  • समाचार
    • राष्ट्रीय
    • अंतरराष्ट्रीय
    • विंध्यप्रदेश
    • व्यापार
    • अपराध संसार
  • उत्तराखंड
    • गढ़वाल
    • कुमायूं
    • देहरादून
    • हरिद्वार
  • धर्म दर्शन
    • राशिफल
    • शुभ मुहूर्त
    • वास्तु शास्त्र
    • ग्रह नक्षत्र
  • कुंभ
  • सुनहरा संसार
  • खेल
  • साहित्य
    • कला संस्कृति
  • टेक वर्ल्ड
  • करियर
    • नई मंजिले
  • घर संसार

© 2021 नेशनल फ्रंटियर - राष्ट्रहित की प्रमुख आवाज NationaFrontier.