छत्तीसगढ़ के खरोरा नगर से सिर्फ 6 किमी दूर बेल्दार सिवनी में स्थित अर्धनारीश्वर महादेव मंदिर में स्थित शिवलिंग वर्ष में तीन बार अपना स्वरूप बदलते हैं। इस मंदिर से लोगों की आस्था इस कदर जुड़ी हुई है कि आए दिन यहां भक्तों की अच्छी-खासी भीड़ देखने को मिल जाती है। अभी तक आपने देश दुनिया कई ऐसे प्राचीन मंदिरों की कहानी देखी या सुनी होगी, जहां कुछ न कुछ चमत्कारी घटनाएं होती रहती है। ऐसे में आज हम आपको छत्तीसगढ़ के एक ऐसे शिवलिंग के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसे सुनकर आप भी आश्चर्यचकित हो जाएंगे, क्योंकि यह शिवलिंग साल में तीन बार अपना स्वरूप बदलते हैं।
ऋतुओं के साथ बदलता है शिवलिंग का स्वरुप
शिवलिंग वर्ष की तीन ऋतुओं में तीन बार अपना स्वरूप बदलने के लिए प्रसिद्ध है। वर्षा ऋतु में जुलाई से सितंबर तक अर्धनारीश्वर शिवलिंग का स्वरूप काला और चिकना होता है।शीत ऋतु में अक्टूबर से फरवरी तक शिवजी खुरदुरा हो जाता है। वहीं ग्रीष्म ऋतु में मार्च से जून तक शिवलिंग भूरा रंग होकर बीच से फट जाता है। वर्ष में तीन बार ऐसे दिव्य स्वरूप में दर्शन देकर भोलेनाथ लोगों की मनोकामना पूर्ण करते हैं। वैज्ञानिकों ने कई बार इसके पीछे का रहस्य जानने के लिए शोध किया, लेकिन आज तक कोई इस रहस्य को नहीं समझ सका है। यह ईश्वर की दिव्य शक्ति ही है जो आज लोगों के लिए रहस्य बनकर आस्था का केंद्र बना हुआ है।
महाशिवरात्रि पर लगता है भव्य मेला
मंदिर के पुजारी संतोष महाराज ने बताया कि द्वादश ज्योतिर्लिगों की भांति राज्य में इसे अर्धनारीश्वर शिवलिंग को भी विशेष पूजा की जाती है। सबसे आश्चर्यजनक तथ्य यह है, कि इस शिवलिंग के साल में तीन दिव्य स्वरूप देखने को मिलते हैं। पुजारी ने बताया कि श्रद्धालुओं की इसमें अटूट आस्था है। यहां जो भी मनोकामना की जाती है वह पूरी होती है। महाशिवरात्रि पर यहां भव्य मेला लगता है।
सदियों पुराना है शिव मंदिर
यहां आने वाले भक्तों की मानें तो शिव मंदिर सदियों पुराना है।गांव के बुजुर्ग बताते हैं, कि मंदिर गांव के बीच में स्थित है। वर्षभर यहां दूर-दूर से दर्शन के लिए आते हैं। बुजुर्ग बताते हैं कि आज भी गर्मी के दिनों में शिवलिंग में अपने आप दरारें पड़ जाती हैं मानो उस दरार में अंगुली समा जाय इतनी जगह बन जाती हैं।