इस्लामाबाद: ईरान ने मंगलवार को दुनिया को उस समय चौंका दिया, जब उसकी वायुसेना ने पाकिस्तान की धरती पर आतंकी संगठन जैश अल अदल के ठिकानों को मिसाइल से निशाना बनाया। पाकिस्तान ने भी इसका जवाब 48 घंटे के अंदर दिया और गुरुवार तड़के ईरानी सीमा के करीब 50 किमी जाकर बमबारी की, जिसमें सात लोग मारे गए। इस घटनाक्रम के बाद ये अंदेशा जताया जा रहा है कि लड़ाई आगे बढ़ सकती है। ऐसा इसलिए भी क्योंकि दोनों ही देश मामले में कमतर नहीं दिखना चाहते हैं और दोनों के पास काफी ताकवर सेना भी है। अब तक की लड़ाई से कौन फायदे में रहा है और लड़ाई आगे बढ़ी तो किसको फायदा हो सकता है। इस पर अमेरिका में प्रोफेसर, अतंरराष्ट्रीय मामलों के जानकार मुक्तदर खान ने अपनी राय रखी है।
मुक्तदर खान के मुताबिक, पाकिस्तान ने जिस तेजी से जवाब दिया है, वो काफी सरप्राइज करने वाला है। पाकिस्तान ने क्या जवाबी हमले से पहले अमेरिका से कोई संपर्क साधा और क्या इतनी जल्दी असीम मुनीर ने यूएस से भी बात कर ली। ये बड़ा सवाल है कि क्या अमेरिका से पाक को इस हमले के लिए सिग्नल मिला। हालांकि उसने खुद से भी ये हमला किया तो उसके लिहाज से जरूरी ही दिखता है। पाकिस्तान की फौज को इससे दो बड़े फायदे हुए हैं। पहला ये कि अमेरिका और इंडिया के बाद ईरान के हमले से पाकिस्तान के अंदर एक सवाल उठ खड़ा हुआ था कि हमारी संप्रभुता को क्या कोई भी सीरियस नहीं लेता है। ऐसे में उसके लिए ये खतरनाक लेकिन जरूरी स्टेप था कि वो ईरान में जवाबी हमला करे। ताकि वह दुनिया को बता सके कि हम भी जवाब दे सकते हैं। इससे उसका एक विश्वास अपने लोगों में पैदा होगा। इसके अलावा दूसरा फायदा ये होगा कि पाकिस्तानी फौज पर जो आरोप इमरान खान ने हाल कि दिनों में लगाए और जिस तरह से उसको लोकतंत्र का दुश्मन बनाकर खड़ा कर दिया, उससे भी वह एक हद तक बाहर आएगी।
पाक को मिलेगा अमेरिका के करीब जाने का मौका
मुक्तदर खान के मुताबिक, ईरान को अमेरिका काबू करने के तरीके खोज रहा है। खासतौर से उसके समर्थित समूहों ने लाल सागर में और कुछ दूसरी जगहों पर अमेरिका और इजरायल को परेशान किया हुआ है। ऐसे में अगर जंग बढ़ती है तो अमोरिका से पाक को मदद मिल सकती है। अमेरिका की ओर से पाक को सैन्य सहायता मिल सकती है और उसे कर्ज भी हासिल हो सकता है। ये पाकिस्तान के लिए फिर से अमेरिका के करीब आने का भी एक मौका साबित हो सकता है।
अरब देशों और खासतौर से सुन्नी बहुल देशों को ईरान की बढ़ती ताकत खटकती रही है। ऐसे में अगर ईरान और पाकिस्तान के बीच टकराव बढ़ता है तो उसको अरब देशों से भी कुछ मदद मिल सकती है। ऐसे में पाकिस्तान इस टकराव के बढ़ने की स्थित में एक हद तक फायदे में दिख रहा है। वहीं उसके हालिया हमले ने ईरान के अरब दुनिया में दबदबे को भी कम किया है। हालांकि दोनों ही देश किसी लंबी लड़ाई में उलझना नहीं चाहेंगे और ज्यादातर एक्सपर्ट ये मान रहे हैं कि बातचीत के जरिए चीजों को सुलझा लिया जाएगा।