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Home राजनीति

उम्मीदवार के चुनावी हलफनामे में गलती, कौन करेगा इसकी शिकायत?

Jitendra Kumar by Jitendra Kumar
13/03/25
in राजनीति, राज्य
उम्मीदवार के चुनावी हलफनामे में गलती, कौन करेगा इसकी शिकायत?
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बेंगलुरु: कर्नाटक हाई कोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा कि, उम्मीदवारों के चुनावी हलफनामों में गलतियों के बारे में शिकायत दर्ज करने का अधिकार केवल चुनाव आयोग के पास है. अदालत ने कहा कि, जनप्रतिनिधि अधिनियम के तहत निजी लोगों को ऐसी शिकायतें दर्ज करने का अधिकार नहीं है. इसके साथ ही हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं के खिलाफ दायर मामलों को भी खारिज कर दिया.

जस्टिस एम नागप्रसन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच ने महादेवपुर विधानसभा क्षेत्र की विधायक मंजुला लिंबावली और बीदर दक्षिण विधानसभा क्षेत्र के एमएलए शैलेंद्र बेलदले की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने यह स्पष्टीकरण जारी किया.

मामले के दस्तावेजों और दलीलों की समीक्षा करने के बाद बेंच ने पाया कि जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 125A के तहत केवल चुनाव आयोग को चुनावी हलफनामों में त्रुटियों पर सवाल उठाने का अधिकार है. अदालत ने फैसला सुनाया कि ऐसे मामलों में निजी शिकायतें स्वीकार्य नहीं होगा, जिसके कारण याचिकाकर्ताओं के खिलाफ कार्यवाही खारिज कर दी गई.

क्या है पूरा मामला

पिछले विधानसभा चुनावों में, मंजुला लिंबावली पर एक कंपनी की संपत्ति का विवरण छिपाने का आरोप लगाया गया था, जिसमें वह भागीदार हैं. इसके अलावा, उन्होंने कथित तौर पर हलफनामे में अपने आश्रितों के विवरण की आवश्यकता वाले खंड को खाली छोड़ दिया. इस संबंध में नल्लूरल्ली नागेश नामक शख्स की तरफ से निजी शिकायत दर्ज की गई थी.

इसी तरह, शैलेंद्र बेलदले पर अपने पैतृक गांव के बारे में गलत जानकारी देने का आरोप लगाया गया था. राजकुमार मडकी ने उनके खिलाफ एक निजी शिकायत दर्ज की. दोनों विधायकों ने राहत के लिए अलग-अलग अदालत में याचिका दायर की थी.

अदालती कार्यवाही

सुनवाई के दौरान, मंजुला लिंबावली के वकील ने तर्क दिया कि उनके बच्चे आर्थिक रूप से स्वतंत्र हैं और अपना आयकर रिटर्न खुद दाखिल करते हैं, जिससे वे गैर-आश्रित हो जाते हैं. बचाव पक्ष ने यह भी कहा कि जिस कंपनी में वह भागीदार हैं, वह एक कॉर्पोरेट इकाई है, न कि स्वामित्व वाली कंपनी.

बेलदले की कानूनी टीम ने तर्क दिया कि वह पिछले तीन चुनावों से चिट्टा गांव के निवासी हैं और उनके पास उसी स्थान से एक मतदाता पहचान पत्र है. उन्होंने आगे जोर दिया कि निजी व्यक्तियों को चुनावी हलफनामों में गलत जानकारी के बारे में शिकायत दर्ज करने की अनुमति नहीं है. इन तर्कों के आधार पर, हाई कोर्ट ने माना कि ऐसी शिकायतें चुनाव आयोग के अधिकार क्षेत्र में आती हैं. इसके साथ ही कोर्ट ने दोनों विधायकों के खिलाफ दायर निजी शिकायतों को खारिज कर दिया.

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