एक दिन में हम अनुमानत: 85 बार अपना मोबाइल फोन चेक करते हैं. यानी हर 15वें मिनट हमारा दिमाग काम से हटकर फोन की तरफ जाता है. ऐसी स्थिति में हम जो भी काम कर रहे होते हैं वो प्रभावित होता है. पढ़ाई-लिखाई, जॉब वर्क या फिर फैमिली टाइम… हर समय मोबाइल हमारे दिमाग में घुसा रहता है. ऑस्ट्रेलिया की डीकिन यूनिवर्सिटी में हुई रिसर्च स्टडी के अनुसार, बार-बार फोन चेक करने से लोगों में तनाव भी बढ़ रहा है. तो फिर उपाय क्या है?
दरअसल, फोन में नोटिफिकेशन से बार-बार हमारा ध्यान भटकता है. यह भटकाव दो तरह का होता है. पहला एक्सोजेनस इंटरप्शन, जिसमें नोटिफिकेशन आते ही हम एक्साइटेड हो जाते हैं. यह हमारी खुशी और उत्सुकता जगाती है. इससे उसी चीज की लत लग जाती है.
वहीं दूसरा भटकाव होता है, एंडोजेनस इंटरप्शन. इसमें आपको अंदर से फोन चेक करने की इच्छा होती है. नोटिफिकेशन आए या न आए. आपका ध्यान काम से हटकर फोन पर जाता रहेगा और आप चेक करते रहेंगे. यानी फिजूल का ही डिस्ट्रैक्शन.
बार-बार फोन चेक करने की आदत से फिजूल का तनाव बढ़ रहा है. नोटिफिकेशन पर रिएक्ट न करने से लोग विचलित हो जाते हैं. काम में मन नहीं लगता. ध्यान नहीं लगा पाते. ध्यान भटकता है तो दोबारा कंंसन्ट्रेट नहीं कर पाते.
तो फिर उपाय क्या है? आपको करना क्या है कि…..बिना इंटरेस्ट वाले ऐप्स के नोटिफिकेशन्स बंद कर दें. सोते समय या तो फोन को बहुत दूर रखें या फिर दूसरे कमरे में. नोटिफिकेशंस आएं तो भी सोच कर ही क्लिक करें. ऐसे शुरुआत करें कि आधे घंटे काम के बाद ही फोन चेक करेंगे. बीच में नहीं. फिर इस ड्यूरेशन को बढ़ाएं. दृढ़ इच्छाशक्ति से सबकुछ संभव है.